मोहन को कई विधाओं में पारंगत हैं और वह सूरीनाम में गजल, भजन गायक, संगीतकार और कवि के तौर पर भी लोकप्रिय हैं.
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मुंबई: सूरीनाम में रहने वाले भारतीय मूल के निवासी दक्षिण अमेरिकी देश में भारतीय संस्कृति, परंपरा और भाषा के तत्वों को जीवित रखे हुए हैं जहां उनके पूर्वज एक सदी से अधिक समय पहले गिरमिटिया मजदूर के रूप में गये थे.
मुंबई प्रेस क्लब में बीते गुरुवार को इसकी एक झलक उस समय देखने को मिली जब सूरीनाम के जाने माने कलाकार, अंतरराष्ट्रीय पॉप गायक और संगीतकार राज मोहन और उनके बैंड ने भोजपुरी में गीतों की प्रस्तुति दी.
मोहन के बैंड हमवतन रग्गा मेंनो के साथ भोजपुरी में एक दर्जन से अधिक गीत प्रस्तुत किया. भोजपुरी बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में एक लोकप्रिय भाषा है. मोहन को कई विधाओं में पारंगत हैं और वह सूरीनाम में गजल, भजन गायक, संगीतकार और कवि के तौर पर भी लोकप्रिय हैं. उन्होंने अनूप जलोटा के साथ एक भजन एलबम सहित पांच संगीत एलबम जारी किये हैं.
मोहन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम अब भी अपने पूर्वजों की भाषा भोजपुरी से प्रेम करते हैं. हमनें सूरीनाम में अपनी सदी पुरानी भारतीय परंपरा और संस्कृति को बहुत हद तक जीवित रखा है.’’
1870 के दशक और 1916 के बीच हजारों लोगों को ‘गिरमिटिया मजदूर’ के रूप में वर्तमान के उत्तर प्रदेश और बिहार से सूरीनाम ले जाया गया था. उनसे अच्छा वेतन, अच्छा खाना और उपजाऊ जमीन देने का वादा किया गया था.
(इनपुट-भाषा)