Bloody Daddy Review: फिल्म को शाहिद के स्टारडम का सहारा; इमोशन कमजोर, केवल एक्शन पर जोर
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Bloody Daddy Review: फिल्म को शाहिद के स्टारडम का सहारा; इमोशन कमजोर, केवल एक्शन पर जोर

Shahid Kapoor Film: बीस साल के करियर में शाहिद कपूर के हिस्से चुनिंदा कामयाबियां हैं, लेकिन कबीर सिंह ने उनके खाते में स्टारडम लिख दिया है. उसी का एक्टसेंशन ब्लडी डैडी में दिखता है. फ्रेंच फिल्म की इस रीमेक को शाहिद अपने कंधों पर संभालते हैं. उनके कबीर अंदाज से इंप्रेस लोगों को फिल्म एंटरटेन करेगी.

 

Bloody Daddy Review: फिल्म को शाहिद के स्टारडम का सहारा; इमोशन कमजोर, केवल एक्शन पर जोर

Shahid Kapoor Film On OTT: ब्लडी डैडी उन फिल्मों में है, जिनकी कहानी के छोटे-से प्लॉट के बाद आप खुद समझ जाएंगे कि आगे क्या होगा. दिल्ली में एक पुलिस अफसर है सुमेर (शाहिद). पत्नी से अलग हो चुका है. पत्नी अपने बॉयफ्रेंड से प्रेग्नेंट है. सुमेर 13 साल के बेटे के साथ एक होटल में रहता है. एक सुबह वह कारों की लंबी रेस के बाद 50 करोड़ के ड्रग्स पकड़ता है. इधर वह ड्रग्स छुपाता है, उधर ड्रग डीलर सिकंदर (रोनित रॉय) सुमेर के बेटे का अपहरण कर लेता है. फोन पर बात होती है कि मेरा माल लाओ, अपना माल ले जाओ.

फिर इसके बाद
सुमेर ड्रग्स का बैग लेकर सिकंदर के 7 स्टार होटल में गुरुग्राम पहुंचता है. सिकंदर से मिलने के पहले वह बैग को एक टॉयलेट में छुपा देता है. सिकंदर जब बेटे से मुलाकात कराता है, तो सुमेर कहता है कि तीन मिनिट में बैग देता हूं. लेकिन जब वह टॉयलेट में पहुंचता है तो बैग गायब! इस बीच आप देखते हैं कि सुमेर के पीछे उसके ही दो साथी पुलिसवाले अदिति (डायना पेंटी) और समीर (राजीव खंडेलवाल) लगे हैं. अदिति ने बैग निकाल कर दूसरी जगह छुपा दिया और समीर रास्ते में है, होटल पहुंचने वाला है. यहां से अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि आगे क्या-क्या हो सकता है और द एंड क्या होगा.

कबीर सिंह का टच
ब्लडी डैडी की ताकत इसकी कहानी नहीं, स्टाइल है. जिसे निर्देशक अली अब्बास जफर ने एक्शन से सजाया है. हीरो हर हाल में अपनी स्टाइल बनाए रखता है. वह गुस्सैल है. मुंहफट है. मजबूत है. शाहिद कपूर ने यह रोल निभाने में बहुत मेहनत की है. कहीं-कहीं अच्छे भी लगे हैं. लेकिन उनकी अच्छे लगने की यह कोशिशें पर स्क्रीन दिखाई पड़ती हैं क्योंकि स्टाइल उनके अंदर सहज रूप से नहीं है. उनके व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं है. कबीर सिंह की सफलता के साथ शाहिद ने खुद को थोड़ा एंग्री अंदाज में पेश करना शुरू किया है. मगर हर बार वह बात नजर नहीं आ सकती क्योंकि कबीर सिंह कहानी की डिमांड था. ब्लडी डैडी में शाहिद एक पिता के रूप में बेटे को पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन यहां इस रिश्ते के इमोशन पर हीरो के एक्शन और स्टाइल हावी हैं.

वक्त गुजरता नहीं
ब्लडी डैडी औसत ढंग से शुरू होती है और देर तक रूटीन फिल्म बनी रहती है. करीब आधी फिल्म तक कुछ खास नहीं घटता क्योंकि कहानी होटल के अंदर सिमट जाती है और सुमेर ड्रग माफिया को बेवकूफ बनाने की कोशिश में वक्त गुजारता रहता है. वह चाहता है कि माफिया को पता नहीं लगे कि ड्रग्स खो गए हैं और किसी तरह बेटे को लेकर निकल जाए. तभी कहानी में उस डॉन (संजय कपूर) की एंट्री होती है, जिसके लिए सिकंदर ने ड्रग्स मंगवाए हैं. डॉन अपने आदमियों के साथ आया है. यहां डायरेक्टर कुछ कॉमिक अंदाज में दर्शकों को जोड़ने की कोशिश करते हैं. जबकि कहानी और हालात जहां के तहां खड़े रहते हैं.

अंडरवर्ल्ड में अंडरकवर
फिल्म लंबे समय तक करवट नहीं बदलती, लेकिन दूसरा हिस्सा तब थोड़ा-सा रोचक हो जाता है जब सुमेर को पता चलता है कि उसके पीछे अदिति और समीर लगे हैं. तब अदिति से एक भिडंत में सुमेर उसे समझाता है कि वह अंडरकवर मिशन पर है और लंबे समय बाद इस रैकेट का भंडाफोड़ करने का मौका आया है. लेकिन क्या सुमेर सच बोल रहा हैॽ क्या कुछ और भी राज हैं, जो आगे चौंका सकते हैं. इस मोड़ पर फिल्म थोड़ी-सी रोचक होती है और आप सवालों के जवाब जानना चाहते हैं. यहां से आगे का मामला शाहिद के एक्शन पर टिका है. कैसे सुमेर अकेला सिकंदर और उसके आदमियों से अंत तक लोहा लेता है. पूरा घटनाक्रम एक रात में सिमटा हुआ है.

एक और रीमेक
ट्रीटमेंट के स्तर पर ब्लडी डैडी देखने योग्य है, लेकिन इसका पूरा मजा छोटे स्क्रीन पर नहीं आता. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा (Jio Cinema) पर रिलीज किया गया है. समस्या यह है कि बड़े पर्दे पर सिनेमाहॉल में भी इसकी सफलता की गारंटी नहीं दी जा सकती. ब्लडी डैडी फ्रेंच फिल्म स्लीपलैस नाइट (2011) का हिंदी रीमेक है. बॉलीवुड फिलहाल इसी असमंजस में झूल रहा है कि कौन-सी कहानी कहां के लिए बनाए. कहां दिखाए. ब्लडी डैडी पूरी तरह से शाहिद कपूर के आस-पास बुनी गई है. रोनित रॉय जरूर उनके सामने खड़े हैं, लेकिन डायना पेंटी, राजीव खंडेलवाल और संजय कपूर जैसे कलाकारों के हिस्से छोटे-छोटे रोल हैं. ब्लडी डैडी कोरोना काल को छूती है और होटल में शादी के माहौल के बीच इसमें गीत-संगीत की गुंजाइश निकल आई है. लेकिन दोनों ही हालात का डायरेक्टर सही इस्तेमाल नहीं कर पाए.

एक्शन के शौकीन
ब्लडी डैडी तभी देखी जा सकती है, जब आपके दिमाग में कबीर सिंह का हैंगओवर बचा हो. आप शाहिद कपूर के फैन हों. उनकी कड़ी मेहनत से उभरकर आने वाली स्टाइल आपको पसंद आती हो. इसके अलावा एक और वजह हो सकती है, एक्शन. आप एक्शन फिल्मों के शौकीन हों. निर्देशक ने सीन अच्छे से रचे हैं. लेकिन अली अब्बास जफर को ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाने के लिए सलमान खान का सहारा चाहिए. इससे कम में वह बड़ा सिनेमा रच नहीं पाते. इससे पहले ओटीटी पर तांडव (वेबसीरीज, 2021) और जोगी (फिल्म, 2022) में वह बुरी तरह चूके थे. ब्लडी डैडी भी शाहिद कपूर के स्टारडम के भरोसे है.

निर्देशकः अली अब्बास जफर
सितारे: शाहिद कपूर, डायना पेंटी, राजीव खंडेलवाल, रोनित रॉय, संजय कपूर
रेटिंग**1/2

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