जामनगर का वो 'सरदार' जो एक फिल्म से बन गया 'कोहिनूर', बीवी भी थी बला की खूबसूरत एक्ट्रेस मगर कमाई हुई दौलत ही बन गई काल
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जामनगर का वो 'सरदार' जो एक फिल्म से बन गया 'कोहिनूर', बीवी भी थी बला की खूबसूरत एक्ट्रेस मगर कमाई हुई दौलत ही बन गई काल

Chandulal Shah Wife Story: जामनगर के 'सरदार' की कहानी से शायद अंजान होंगे. ऐसा लड़का जिसने पहली ही बारी में 17 दिन के अंदर फिल्म बना डाली. देखते ही देखते इतना अमीर हो गया कि यही दौलत काल बन गई. चलिए बताते हैं ये खास स्टोरी.

जामनगर का 'सरदार' जो एक फिल्म से बन गया कोहिनूर, मगर यही दौलत बन गई विनाश की वजह

अगर आप सिनेमा के दीवाने हैं तो आपने अब तक कई बड़े बड़े फिल्मकार की कहानी पढ़ी होंगी या सुनी होंगी. लेकिन जामनगर के 'सरदार' की कहानी से शायद अंजान होंगे. ऐसा लड़का जो फिल्मों में आने से पहले बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में नौकरी करता था. अच्छा पढ़ा लिखा था. मगर जब वह फिल्मों में आया तो हर किसी को हैरान कर दिया. कुछ ही फिल्मों से इतना फेमस हो गया कि उस दौर का सबसे बड़ा प्रोडक्शन हाउस खोल लिया. जो शौक कभी ख्वाबों में हुआ करते थे उन्हें भी पूरा किया. मगर देखते ही देखते बेशुमार दौलत ही उसे अर्श से फर्श पर ले आई.

ये कहानी है गुजरात के जामनगर से आने वाले Chandulal Shah की. डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और स्क्रीनराइटर. उनकी पत्नी मिस Gohar Khayyam Mamajiwala भी फिल्मों की महारानी थीं. जिन्होंने खूब काम किया और फेम हासिल किया. मगर दोनों मियां-बीवी का काल भी दौलत और फेम बन गया. चलिए शुरू से इनकी कहानी सुनाते हैं.

क्यों पहली ही फिल्म से हैरत में डाल दिया
1920 में कोहिनूर फिल्म कंपनी काफी बड़ी कंपनी हुआ करती थी. प्रोडक्शन हाउस ने साल 1926 में एक फिल्म बनाने का फैसला किया जिसका नाम था 'टाइपिस्ट गर्ल'. इस फिल्म कोहिनूर फिल्म कंपनी ने एक नौजवान लड़के को चुना. जब चंदूलाल शाह ने 17 दिन के अंदर फिल्म की शूटिंग पूरी कर दी तो हर कोई हैरान रह गया.

पहली फिल्म की हीरोइन
'टाइपिस्ट गर्ल' में दो हीरोइनें थीं पहली सुलोचना और दूसरी मिस गौहर. वहीं गौहर जिन्हें देखते ही चंदूलाल दिल दे बैठे. पहली फिल्म शूट करते करते दोनों एक दूसरे के करीब आए और आगे चलकर सात जन्मों के बंधन में बंध गए.

खुद का प्रोडक्शन हाउस
गौहर को लेकर चंदूलाल शाह ने कई फिल्मों का डायरेक्शन किया. कहते हैं कि कोहिनूर कंपनी में उन्होंने खूब नाम कमा लिया था. मगर आगे चलकर उन्होंने रास्ता बदल लिया. साल 1929 में आकर उन्होंने वाइफ के साथ मिलकर खुद का स्टूडियो खोला जिसका नाम जामनगर के राजा और क्रिकेटर रंजीत सिंह के नाम पर रखा. इस प्रोडक्शन हाउस के तहत पहली साइलेंट फिल्म बनी 'पति-पत्नी', इसकी हीरोइन भी मिस गौहर थीं. 

खूब छापे नोट
चंदूलाल शाह ने अपने प्रोडक्शन हाउस का नाम आगे चलकर चेंज किया और रंजीत मूवीटोन रख लिया. आगे चलकर ढेरों फिल्में बनाई गई और उस दौर में ये स्टूडियो सबसे बड़ा बन गया. चंदूलाल शाह ने इस तरह अपने दम पर खूब पैसा कमाया. उनकी फिल्में खूब बिजनेस करती और मोटा फायदा होता.

लग गए शौक
अब देखते ही देखते चंदूलाल शाह पर अमीरी का रंग चढ़ने लगा. वह स्टॉक मार्केट में नौकरी कर चुके थे तो ये शौक तब जॉब के समय का ही था. वह पैसा स्टॉक मार्केट में लगाने लगे. आगे चलकर उनकी रुचि घुड़दौड़ में भी आने लगी. वह खूब पैसा लगाते भी और कभी जीतते भी.

कहां हुई बर्बादी
मगर यही दौलत उन्हें ले भी डूबी. कहते हैं कि एक बार उन्होंने स्टॉक मार्केट और डर्बी (घुड़दौड़) में इतना पैसा लगा दिया कि वह अर्श से सीधे फर्श पर आ गए. उन्हें इस लत की वजह से सवा करोड़ का नुकसान हुआ और वह ठप्प पड़ गए. 

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फिल्में
कामकाज की बात करें तो चंदूलाल शाह ने जमीन के तारे, ऊटपटांग, अछूत,राधा रानी, सति सावित्री, देश दासी, कीमती आंसू से लेकर विमला जैसी फिल्मों का डायरेक्टशन किया तो ढेरों फिल्में लिखी भी थीं.

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