50 सालों का करियर, शाही जिंदगी जीती थी बॉलीवुड की ये खलनायिका; बनी Rolls Royce खरीदने वाली पहली एक्ट्रेस
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50 सालों का करियर, शाही जिंदगी जीती थी बॉलीवुड की ये खलनायिका; बनी Rolls Royce खरीदने वाली पहली एक्ट्रेस

Actress Nadira: नादिरा इनका असली नाम नहीं था बल्कि उनका नाम था फ्लोरेंस एजिकल जो उन्हें मिसेज महबूब खान से मिला. ये उस दौर की उन एक्ट्रेस में शुमार हुईं जिन्हें फिल्मों में काम करने की मोटी फीस दी जाती थी.  

50 सालों का करियर, शाही जिंदगी जीती थी बॉलीवुड की ये खलनायिका; बनी Rolls Royce खरीदने वाली पहली एक्ट्रेस

Bollywood Actress: अगर हिंदी सिनेमा के गुजरे जमाने की शानदार अभिनेत्रियों की बात हो एक्ट्रेस नादिरा का नाम जरूर लिया जाएगा. 50-70 के दशक में अपने दमदार अभिनय से नादिरा (Actress Nadira) ने खास पहचान बनाई और ऐसी एक्ट्रेस बनीं जो अपनी जिंदगी को शाही अंदाज में जीना पसंद करती थीं. खासतौर से उन्हें पहचान मिली बॉलीवुड की पहली वैंप के तौर पर. जी हां...शुरुआत में भले ही नादिरा ने पॉजीटिव किरदार निभाए लेकिन फिर वो हिंदी सिनेमा की पहली खलनायिका बन गईं. 

नादिरा नहीं था असली नाम
ये बात भी सही है कि नादिरा इनका असली नाम नहीं था बल्कि उनका नाम था फ्लोरेंस एजिकल जो उन्हें मिसेज महबूब खान से मिला. काफी कम उम्र में ही नादिरा हिंदी सिनेमा से जुड़ गई थीं. महज 10 साल की उम्र में उन्होंने डेब्यू किया और धीरे धीरे वो छाती चली गईं. लेकिन एक फिल्म ने उन्हें खलनायिका के तौर पर हिंदी सिनेमा में स्थापित कर दिया. वो फिल्म थी श्री 420. जिसका गाना ‘मुड़-मुड़ कर ना देख’ काफी हिट रहा था. इस गाने में उनका हर अंदाज इस कदर छाया कि वैंप को एक पहचान मिली. लेकिन इस फिल्म से उन्हें नुकसान ये हुआ कि इसके बाद उन्हें लीड रोल मिलना बंद हो गए थे. 

पहली एक्ट्रेस जिसने खरीदी रॉल्स रॉयस
नादिरा उन एक्ट्रेस में से थीं जिन्हें मोटी फीस मिलती थी. यही वजह रही कि वो लग्जरी लाइफ जीती थीं. आलीशान घर से लेकर लग्जरी गाड़ियों तक का शौक था उन्हें. बल्कि रॉल्स रॉयस जैसी महंगी कार खरीदने वालीं वो हिंदी सिनेमा की पहली एक्ट्रेस थी. वो भी उस दौर में जब एक्ट्रेसेस इस तरह से अपनी जिंदगी को शो ऑफ नहीं करती थीं. 

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गुमनामी में हुआ जिंदगी का अंत
वहीं भले ही नादिरा ने अपनी जिंदगी आलीशान तरीके से जी लेकिन आखिरी समय में वो अकेली थीं. उनका जब अंत समय आया तो मेड के अलावा उनके पास कोई ना था. 9 फरवरी, 2006 में लंबी बीमारी के बाद उन्होंने आखिरी सांस ली. 

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