Children Age Groups: सेंसर बोर्ड अब फिल्मों के विवाद टालने के लिए यू-ए फिल्मों को तीन कैटेगरी में बांट सकेगा. अभी तक यू-ए का मतलब इतना है कि कोई बच्चा अपने माता-पिता के साथ या उनकी अनुमति से फिल्म देख सकता हैं. परंतु नई श्रेणी में फिल्मों के लिए आयु भी निर्धारित कर दी गई है.
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New Censor Categories: सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक, 2023 में फिल्मों के लिए बच्चों की उम्र की अलग-अलग रेटिंग तय की गई है. इससे दर्शकों, विशेषकर माता-पिता को अपने या अपने बच्चों के लिए फिल्में चुनने में अब अधिक आसानी हो जाएगी. इस बिल के लिए 2017 में फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल के नेतृत्व में एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी. हालांकि इस समिति की सभी सिफारिशों को इसमें नहीं माना गया है. जिसमें सबसे खास बात यह है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सीबीएफसी अभी भी फिल्मों को वर्गीकृत यानी कैटगराइज करने के बजाय सेंसर यानी काट-छांट करने के अपने अधिकार को बरकरार रखा है.
‘ए’ पर चल सकती है कैंची
इस बीच इस विधेयक में प्रस्तावित नई आयु रेटिंग यू-ए 7+, यू-ए 13+ और यू-ए 16+ हैं. इसे यूं समझा जा सकता है कि अगर किसी बच्चे की उम्र 14 साल है, तो वह किसी वयस्क की इजाजत या उपस्थिति के बगैर यू-ए 7+ और यू-ए 13+ फिल्में देख सकता है. इस रेटिंग से निर्माताओं को और सुविधा हो जाएगी कि वह किस आयु वर्ग के लिए अपनी फिल्म बनाना चाहते हैं. इससे सेंसर को लेकर होने वाले विवादों में कमी आएगी. वैसे आयु रेटिंग के साथ सीबीएफसी अभी भी ‘ए’ रेटिंग वाली फिल्मों को सेंसर कर सकता है. खास तौर पर जिसमें नग्नता और अपशब्द शामिल हैं.
कौन बच्चा जाएगा हॉल
बिल को राज्यसभा में पास कर दिया गया है. संसदीय बहस के दौरान स्ट्रीमिंग और सोशल मीडिया के युग में फिल्म सेंसरशिप पर भी सवाल उठाया गया. कुछ सदस्यों ने इस बात पर चिंता जताई कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म द्वारा आयु रेटिंग प्रदान करने के बावजूद उन पर सही ढंग से पाबंदी नहीं हो पाती क्योंकि खास तौर पर बच्चों पर हमेशा निगरानी संभव नहीं हो पाती है. जैसे अगर कोई फिल्म यू-ए 7+ तो 7 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को वह देखने की आजादी है. लेकिन सवाल यह कि क्या इस उम्र के बच्चे अकेले सिनेमाघरों में जा सकते हैं. अब सबकी नजर इस बात पर है कि फिल्म इंडस्ट्री पर इस नई सेंसर रेटिंग लागू होने के बाद क्या असर पड़ेगा.