Dharmendra: धर्मेंद्र की ये इच्छाएं रह गईं अधूरी, दुर्भाग्य से अब कभी नहीं हो पाएंगी पूरी
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Dharmendra: धर्मेंद्र की ये इच्छाएं रह गईं अधूरी, दुर्भाग्य से अब कभी नहीं हो पाएंगी पूरी

Dharmendra Films: इस दुनिया में कोई ऐसा नहीं, जिसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हों. लेकिन बड़े सितारों के बारे में बारे में माना जाता है, वह जिस चीज को चाहें हाथ बढ़ा कर हासिल कर सकते हैं. ऐसा नहीं हैं. दिग्गज स्टार धर्मेंद्र ने करोड़ों दिलों पर राज किया. परंतु उनकी कुछ इच्छाएं अधूरी रह गईं. आगे भी वे पूरी नहीं हो सकेंगी...

 

Dharmendra: धर्मेंद्र की ये इच्छाएं रह गईं अधूरी, दुर्भाग्य से अब कभी नहीं हो पाएंगी पूरी

Dharmendra Movies: हिंदी सिनेमा के ही-मैन धर्मेंद्र 87 साल के हो चुके हैं. शुक्रवार को रिलीज हुई रॉकी और रानी की प्रेम कहानी (Rocky Aur Rani Kii Prem Kahaani) में उन्हें देखकर सिने-प्रेमियों को बहुत खुशी हुई. धर्मेंद्र ने हमेशा कहा है कि जब तक हैं, तब तक फिल्मों में काम करते रहना चाहते हैं. कुछ महीनों पहले वह जी5 की वेब सीरीज (Web Series) ताजः डिवाइडेट बाय ब्लड (Taj: Divided By Blood) में भी दिखे थे. छह दशक से भी अधिक में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके धर्मेंद्र ने सदा स्वीकार किया कि उन्हें अपनी अपेक्षा से कहीं अधिक मिला है. लेकिन उनकी कुछ ऐसी इच्छाएं भी हैं, जो पूरी नहीं हो सकी और अफसोस कि अब कभी पूरी नहीं हो सकेंगी. इनमें एक तरफ दिलीप कुमार (Dilip Kumar) जैसे महान एक्टर के साथ काम करने की इच्छा है तो दूसरी तरफ कुछ अधूरी फिल्में. एक नजर धर्मेंद्र की उनकी अधूरी इच्छाओं और न बन सकी फिल्मों पर...

चाणक्य और चंद्रगुप्तः धर्मेंद्र (Dharmendra) का सबसे बड़ा अफसोस यह है कि वह उस अभिनेता, दिलीप कुमार के साथ काम नहीं कर पाए, जिनकी वह पूजा करते थे. धर्मेंद्र बताते हैं कि दिलीप कुमार की वजह से उन्होंने एक्टर बनने का फैसला किया और मुंबई आ गए थे. दिलीप कुमार उनके आदर्श थे. एक्टिंग के महासम्राट कहलाने वाले दिलीप कुमार के साथ काम करने का धर्मेंद्र का सपना लगभग सच हो गया था, जब बी.आर.चोपड़ा ने दोनों को फिल्म चाणक्य और चंद्रगुप्त में कास्ट किया. दिलीप कुमार बने चाणक्य और धर्मेंद्र बने चंद्रगुप्त. फिल्म की तैयारी के दौरान कॉस्ट्यूम, मेकअप और पब्लिसिटी पर लाखों रुपये खर्च किए गए. लेकिन फिल्म किन्हीं कारणों से फिल्म की शूटिंग ही शुरू नहीं हो सकी.

बनना था देवदासः महान बांग्ला उपन्यासकार शरतचंद्र चटर्जी के क्लासिक देवदास पर गुलजार  फिल्म बना रहे थे. फिल्म में धर्मेंद्र को देवदास की भूमिका निभानी थी. पारो के रूप में शर्मिला टैगोर और चंद्रमुखी के रूप में हेमा मालिनी थीं. फिल्म का निर्माण प्रेम चोपड़ा के छोटे भाई कैलाश चोपड़ा कर रहे थे. संगीत आर.डी.बर्मन (R.D. Burman) का था. तीन बार फिल्म शुरू करने की कोशिश हुई, मगर हर बार रुक गई. धर्मेंद्र पर्दे पर देवदास बनने से चूक गए. फिल्म न बन पाने का सदमा इतना गहरा था कि निर्माता की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.

डागदर बाबूः रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में धर्मेंद्र और जया बच्चन (Jaya Bachchan) पति-पत्नी बने हैं. कई साल पहले फिल्म डागदर बाबू में जया भादुड़ी (बच्चन) के साथ धर्मेंद्र को कास्ट किया गया था. यह फिल्म हिंदी क चर्चित लेखक फणीश्वरनाथ रेनू के एक लोकप्रिय उपन्यास पर आधारित थी. इसे बिमल रॉय (Bimal Roy) की देवदास और मधुमती जैसी फिल्मों के राइटर नबेंदु घोष डायरेक्टर करने वाले थे. यह फिल्म लॉन्च हुई, परंतु पैसे के संकट के कारण रुक गई.

शबाना के साथ बिच्छूः रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में धर्मेंद्र और शबाना आजमी (Shabana Azmi) का प्रेम दिखाया गया है. इससे पहले वह सिर्फ दो फिल्मों एक-दूसर के अपोजिट थे. लेकिन निर्देशक सई परांजपे की फिल्म बिच्छू में धर्मेंद्र के साथ शबाना आजमी मुख्य किरदार में थीं. फिल्म बासु भट्टाचार्य प्रोड्यूस कर रहे थे. मुंबई के बड़े होटल में भव्य पार्टी के साथ फिल्म लॉन्च की गई. परंतु फिर कुछ समस्याएं पैदा हुईं और फिल्म बंद हो गईं.

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