गीतों में कविता को शामिल किया जाना अच्छी पहल : इरशाद कामिल
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गीतों में कविता को शामिल किया जाना अच्छी पहल : इरशाद कामिल

गीतकार इरशाद कामिल का कहना है कि कविताएं बॉलीवुड में गीतों के रूम में वापसी कर रही हैं और उन्हें इस बात की खुशी है। 44 वर्षीय कामिल का झुकाव कविताओं और लोकधुनों की ओर है। यह चाहें बाबा फरीद का ‘कागा सब तन खाइयो’ हो या रॉकस्टार में ‘नादान परिंदे ’ हो ,या सुल्तान का ‘जग घूमिया हो , बेहद सराहे गए हैं।  उनके अनुसार बिना साहित्यिक पृष्ठभूमि के अच्छा गीत लिखना संभव नहीं है। कामिल ने बातचीत में बताया कि ‘मैं कविताओं को बॉलीवुड गीतों में शामिल करता रहा हूं। इसके साथ ही शब्दभंडार के क्षेत्र में भी नए नए प्रयोग कर रहा हूं ।

फोटो साभार- फेसबुक (इरशाद कामिल)

नई दिल्ली: गीतकार इरशाद कामिल का कहना है कि कविताएं बॉलीवुड में गीतों के रूम में वापसी कर रही हैं और उन्हें इस बात की खुशी है। 44 वर्षीय कामिल का झुकाव कविताओं और लोकधुनों की ओर है। यह चाहें बाबा फरीद का ‘कागा सब तन खाइयो’ हो या रॉकस्टार में ‘नादान परिंदे ’ हो ,या सुल्तान का ‘जग घूमिया हो , बेहद सराहे गए हैं।  उनके अनुसार बिना साहित्यिक पृष्ठभूमि के अच्छा गीत लिखना संभव नहीं है। कामिल ने बातचीत में बताया कि ‘मैं कविताओं को बॉलीवुड गीतों में शामिल करता रहा हूं। इसके साथ ही शब्दभंडार के क्षेत्र में भी नए नए प्रयोग कर रहा हूं ।

मैंने हिन्दी कविता में पीएचडी किया है और यही कारण है कि मेरे गीतों में इतना मजबूत साहित्यिक प्रभाव है। मुझे लगता है कि चाहे कोई भी लेखक क्यों न हो, उसे पढना चाहिए। बिना अच्छा साहित्य पढे आप कदापि अच्छा नहीं सकते। उन्होंने बताया कि ‘अगर ‘इक कुड़ी’ ‘‘उड़ता पंजाब’’ का हिस्सा नहीं होता तो इसके बारे में कितने लोगों को पता होता, जबकि इसे शिव कुमार बटालवी ने लिखा है।‘ अपनी आने वाली नवीनतम फिल्म ‘सुल्तान’ को लेकर सुखिर्यों में आए कामिल ने बताया कि मेरे पसंदीदा एलबम ट्रेक ‘जग घूमिया’ को राहत फतेह अली खान ने गाया है। उन्होंने बताया कि ‘कुछ भी लिखने से पहले चरित्र में जाने और उसे समझने की जरूरत है। यदि आप चरित्र को समझने में सक्षम नहीं है तो आप पूरी तरह दिल से नहीं लिख सकते।’

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