बर्थडे स्‍पेशल: गुलजार अपनी दोस्त मीना कुमारी के लिए करते थे ये काम!
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बर्थडे स्‍पेशल: गुलजार अपनी दोस्त मीना कुमारी के लिए करते थे ये काम!

गुलजार (Gulzar) फिल्म इंडस्ट्री में साठ के दशक से काम कर रहे हैं.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: 86 साल की उम्र में बेहद क्रिएटिव और एक्टिव गुलजार (Gulzar) फिल्म इंडस्ट्री में साठ के दशक से काम कर रहे हैं. आज भी नाम की वजह से कई लोग उन्हें मुस्लिम मान लेते हैं, जैसा गुलजार साहब के मेंटर बिमल राय ने माना था. पर असलियत में गुलजार सिख परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका नाम था संपूर्ण सिंह कालरा. बाद में जब उनका रुझान गीत और नज्म रचने में हुआ, तो अपना नाम बदल कर उन्होंने गुलजार'' रख लिया. पाकिस्तान में जन्मे गुलजार का परिवार बंटवारे से पहले दिल्ली आ गया था. गुजारे के लिए गुलजार ने गैराज में भी काम किया. लेकिन जल्द ही वे मुंबई आ गए फिल्मों में गीत लिखने. गीतकार शैलेंद्र उनके हुनर से काफी प्रभावित थे. उन्होंने ही विमल राय के पास गुलजार को भेजा और 'बंदिनी' में गुलजार ने पहला गाना 'मोरा गोरा अंग' लिखा.

  1. गुलजार (Gulzar) फिल्म इंडस्ट्री में साठ के दशक से काम कर रहे हैं
  2. गुलजार जब मीना कुमारी से मिले तब वो जिंदगी में बहुत तन्हा हो चुकी थीं
  3. गुलजार जब राखी से मिले तो उनमें उन्हें मीना कुमारी की झलक नजर आई

मीना कुमारी से दोस्ती
गुलजार जब मीना कुमारी (Meena Kumari) से मिले तब वो जिंदगी में बहुत तन्हा हो चुकी थीं. वे गजलें लिखतीं और अपना गम कम करने के लिए शराब का सहारा लेतीं. गुलजार के रूप में उन्हें एक अच्छा दोस्त मिल गया. दोनों अक्सर मिलकर एक-दूसरे को अपनी शेरो-शायरी सुनाया करते. एक बार रोजा शुरू होने से पहले जब गुलजार मीना कुमारी से मिलने आए, वो बीमार और उदास लगीं. पूछने पर बताया कि इस बार बीमारी की वजह से वो रोजा नहीं रख पाएंगी और इस बात का उन्हें बहुत अफसोस है. अपनी दोस्त को परेशान देख कर गुलजार साहब ने पेशकश की कि वे उनकी तरफ से उनके लिए रोजा रख सकते हैं. मीना कुमारी मान गईं. गुलजार साहब ने पूरे रोजे रखे. रोज इफ्तार के वक्त वे मीना कुमारी के घर जाते. उनके सामने रोजा खोलते. इसके बाद कई सालों तक उन्होंने मीना कुमारी के लिए रोजा रखा और साथ में ईद मनायी. मीना कुमारी मानती थीं कि गुलजार जैसा जहीन दोस्त और इनसान दूसरा कोई नहीं.

गुलजार की दूसरी दोस्त
संगीतकार हेमंत कुमार के घर पर गुलजार जब राखी से मिले तो उनमें उन्हें मीना कुमारी की झलक नजर आई. दोनों ने झटपट शादी कर ली. एक बेटी हुई मेघना, जिसे गुलजार 'बोस्की' बुलाते थे. शादी के कुछ वर्षों बाद राखी अलग हो गईं. गुलजार ने बेटी की परवरिश का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया. बोस्की के वे पापा ही नहीं, सबसे अच्छे दोस्त बन गए. नर्सरी में एडमीशन करवाने से पहले वे बेटी को पच्चीस स्कूल लेकर गए कि उसे जिसमें पढ़ना हो, पढ़ ले. रोज सुबह बोस्की के बालों की चोटी करना, आर्टिस्टिक तरीके से शूज के लेस बांधना और स्कूल से लौटने पर घर पर रहना जैसे सारे काम किए. मेघना मानती हैं कि उनके सबसे अच्छे दोस्त उनके पापा हैं.

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