Bollywood Shooting: एक्ट्रेस को झाड़ियों के पीछे बदलने पड़ते थे कपड़े, शूटिंग पर नहीं होती थीं सुविधाएं
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Bollywood Shooting: एक्ट्रेस को झाड़ियों के पीछे बदलने पड़ते थे कपड़े, शूटिंग पर नहीं होती थीं सुविधाएं

IFFI 2022: गोवा में भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में एक्ट्रेस आशा पारेख ने कहा कि सिनेमा की दुनिया बहुत बदल चुकी है. फिल्मों के साथ-साथ यहां काम करने का महौल और सुविधाएं बेहतर हुई हैं. उन्होंने यह बात कहते हुए अपने दौर को भी याद किया.

 

Bollywood Shooting: एक्ट्रेस को झाड़ियों के पीछे बदलने पड़ते थे कपड़े, शूटिंग पर नहीं होती थीं सुविधाएं

Asha Parekh Films: बॉलीवुड में आज भले ही एक्टरों को तमाम सुविधाएं मिलती हैं परंतु एक दौर ऐसा भी था, जब फिल्म में काम करने वाले कलाकारों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. गोवा में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित आशा पारेख ने अपने दौर को याद करते हुए कहा कि हमारे समय में वैनिटी वैन जैसी सुविधाएं नहीं थीं और इस वजह से खास तौर पर हीरोइनों को कई बार खराब अनुभव से गुजरना पड़ता था. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि शूटिंग के दौरान कई बार बहुत मुश्किलें आती थीं और उस वक्त सुविधाओं के बारे में कोई विचार तक नहीं किया जाता था.

बाथरूम भी नहीं होते थे
मात्र 10 साल की उम्र में फिल्मों में काम शुरू करने वाली आशा पारेख ने बताया कि कई बार हम लोग जब शूटिंग पर जाते थे तो स्टूडियो में बाथरूम तक नहीं होते थे. वैनिटी वैन की बात ही बहुत दूर है. उन्होंने बताया कि कभी कभी यह स्थिति होती थी कि महिला कलाकारों को बाथरूम न होने के अभाव में पूरा दिन यूं ही गुजार देना पड़ता था. उन्होंने कहा कि यह स्थिति उन्होंने झेली और यह भगवान का शुक्र है कि इन असुविधाओं की वजह से किडनी की कोई बीमारी उन्हें नहीं हुई. उन्होंने कहा कि कई मौके ऐसे आते थे कि हम लोग आउटडोर शूटिंग पर जाते थे और वहां कपड़े बदलने के लिए कोई जगह या सुविधा नहीं होती थी. ऐसे में कई बार हीरोइनों को झाड़ियों के पीछे जाकर कपड़े बदलने पड़ते थे.

वेस्ट के प्रभाव की आलोचना
फिल्म महोत्सव में अपने भाषण में आशा पारेख ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्ति किया कि क्यों आजकल की महिलाएं पश्चिमी देशों की नकल करते हुए वस्त्र पहन रही हैं. उन्होंने कहा कि वह शादियों में जब महिलाओं को गाऊन पहने देखती हैं तो आश्चर्य होता है क्योंकि हमारे यहा साड़ी, घाघरा-चोली और सलवार-कुर्ती जैसी ड्रेस हैं. उन्होंने कहा कि हमारे जमाने से लेकर आज तक सब कुछ बदल चुका है. पता नहीं क्यों हम लोग इतने ज्यादा वेस्टर्न होते जा रहे हैं. हीरोइनें पर्दे पर वेस्टर्न ड्रेस पहन रही हैं तो समाज में लड़कियां भी अपना फिगर देखे बगैर उनकी नकल कर रही हैं. वे देखती नहीं कि उनके शरीर पर वे कपड़े अच्छे लगते भी हैं या नहीं. आशा पारेख ने कहा कि यह देखकर दुख होता है.

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