कंगना रनौत (kangana Ranaut) ने सैफ अली खान (Saif Ali Khan)और दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) पर दिए अपने बयान पर कोई सफाई नहीं दी. उन्होंने कहा कि वह भी और की तरह किसी विषय पर अपना पक्ष रख रही हैं. किसी से पंगा लेना जैसा कुछ नहीं है.
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नई दिल्ली : कंगना रनौत (kangana Ranaut) इन दिनों अपनी फिल्म के प्रचार में व्यस्त हैं. सैफ अली खान (Saif Ali Khan) के 'इंडिया वाले बयान' और दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) के 'जेएनयू जाने को लेकर' भी उनसे सवाल किए गए तो उन्होंने अपना पक्ष बेबाकी से रखा और हलचल मचा दी. जब उनसे पूछा कि सैफ अली खान पर आपके दिए बयान को एक अलग ढंग से पेश किया गया. कंगना ने कहा-हां, मैंने हैडलाइन पढ़ी कि मैंने खरी खोटी सुना दी,मैं सैफ पर बरसीं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. उन्होंने अपना पक्ष रखा और मैंने अपना. चीजों को सनसनीखेज बनाकर पेश किया जा रहा है. इसके लिए सिर्फ मीडिया ही दोषी नहीं है. लोगों का टेस्ट भी ऐसा ही हो गया है.
दरसअल, फिल्म की निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी के अलावा अपने सह-कलाकार जस्सी गिल, ऋचा चड्ढा और नीना गुप्ता संग अपनी आगामी फिल्म 'पंगा' के एक प्रचार कार्यक्रम में शामिल हुईं कंगना ने कहा कि मुझे नहीं लगा कि मैंने इस मामले में कोई 'पंगा' लिया है. मुझे लगता है कि लोगों के भावों व विचारों को अपमानजनक तरीके से देखने से दूसरों को रोकने का यह एक सटीक समय है. मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है.
उन्होंने आगे कहा कि मेरे ख्याल से हर बार जब एक लड़की अपनी बात रखती है तो उसे आसपास के लोगों से कई सारी प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. मुझे लगता है कि हमें इन्हें सहजता से लेना चाहिए. हाल ही में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने टिकटॉक पर अपनी फिल्म 'छपाक' के लुक को रीक्रिएट करने का चैलेंज दिया था. तेजाब हमले जैसे किसी गंभीर मुद्दे को असंवेदनशील अंदाज में लेने के चलते सोशल मीडिया पर दीपिका को लोगों ने खूब ट्रोल किया और कंगना ने भी इसके लिए उनकी आलोचना की.
सैफ अली खान ने भी बयान दिया था कि अंग्रेजों से पहले भारत की कोई अवधारणा नहीं थी. यानी भारत के अस्तित्व पर ही उन्होंने सवाल उठा दिए. इस पर कंगना ने कहा था कि ये सच नहीं है. भारत वर्ष नहीं था तो महाभारत क्या था, जो 5 हजार पुराना महाकाव्य लिखा गया था वो क्या था. वो क्या था जो हमारे वेदव्यास ने लिखा था. ये कुछ लोगों की अवधारणा है, पर श्री कृष्ण महाभारत में थे. भारत महान था. भारतवर्ष के सभी राजाओं ने मिलकर महायुद्ध लड़ा था. यूरोप के भी छोटे-छोटे टुकड़े किए गए, जिनकी कभी एक सामूहिक पहचान थी, जिसका कभी नाम था. इससे क्या मिला था? अब कुछ लोग कहते हैं कि भारत था ही नहीं, इसके टुकड़े होने चाहिए, लेकिन जो तीन टुकड़े किए थे, उसे भी लोग अभी तक भुगत ही रहे हैं.