Subhash Ghai: नाना पाटेकर और सुभाष घई एक ही समय में काम करते रहे, लेकिन उन्होंने कोई फिल्म साथ नहीं की. अमिताभ बच्चन के साथ घई की देवा भी शूटिंग के बीच में बंद हो गई थी. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी सबसे चर्चित फिल्मों में शुमार खलनायक को सुभाष घई पहले नाना पाटेकर के साथ बनाने वाले थे...
Trending Photos
Nana Patekar: नाना पाटेकर का अपना अंदाज है और उनके गुस्से से सब वाकिफ हैं. उनकी नाराजगी का शिकार होने वालों में इंडस्ट्री के शो मैन कहे जाने वाले सुभाष घई भी शामिल हैं. बात नई नहीं, बल्कि पुरानी है. उन दिनों की जब नाना पाटेकर बॉलीवुड में खुद को मजबूती से जमा चुके थे और परिंदा (1989) में नेशनल अवार्ड तक उन्हें मिल चुका था. ऐसे ही दौर में सुभाष घई अपने शिखर पर थे. उन्हीं दिनों में सुभाष घई ने नाना को लेकर फिल्म की योजना बनाई. फिल्म थी, खलनायक (1993). सुभाष घई फिल्म को कम बजट में बनाना चाहते थे, जिसमें फिल्म का लीड किरदार अधेड़ उम्र का था. ऐसे में उन्होंने खलनायक की मुख्य भूमिका के लिए नाना पाटेकर से बात की.
फ्री में काम नहीं
नाना पाटेकर को खलनायक की कहानी पसंद आई. सुभाष घई ने उन्हें कहा था कि जैसे ही स्क्रिप्ट पूरी होगी, वह उन्हें साइन करेंगे. नाना खुश थे क्योंकि सुभाष घई बड़े डायरेक्टर थे और उनके साथ काम करने का सपना उन दिनों इंडस्ट्री का हर एक्टर देखता था. लेकिन घई ने जब फिल्म लिखनी शुरू की, तो एहसास हुआ कि खलनायक के लीड हीरो को अधेड़ उम्र का व्यक्ति नहीं बल्कि एक गुमराह युवा होना चाहिए. इस बारे में उन्होंने नाना को बताया और कहा कि वह उन्हें इस फिल्म में कास्ट नहीं कर पाएंगे. उस वक्त नाना पाटेकर ने उन्हें कहा कि कोई बात नहीं, परंतु यह बात उनके दिल मे बैठ गई. इसके बाद उन्होंने मीडिया में सुभाष घई के विरुद्ध वक्तव्य दिए और कहा कि वह चाहते थे कि मैं फिल्म में मुफ्त में काम करूं.
आर्ट-हाउस फिल्म
बताया जाता है कि दिलीप कुमार और राजकुमार जैसे दिग्गजों के साथ सौदागर की बड़ी सफलता के बाद सुभाष घई हॉलीवुड में फिल्म बनाना चाहते थे. इसके लिए उन्हें हॉलीवुड में ओमार शरीफ और अशोक अमृतराज जैसे प्रोड्यूसर मिल रहे थे. लेकिन फिर उन्हें लगा कि ऐसी भाषा में क्यों फिल्म बनाएं, जिसे वह बहुत अच्छे से जानते नहीं हैं. तब उन्हें लगा कि कर्मा, राम लखन और सौदागर जैसी बड़ी फिल्मों के बाद एक छोटी फिल्म बनाई जाए. उन्होंने नाना पाटेकर और जैकी श्रॉफ को लेकर एक अपराधी और पुलिसवाले की कहानी पर आर्ट-हाउट फिल्म बनाने की सोची. मगर जब स्क्रिप्ट लिखने बैठे तो फिर इसमें मसाले पड़ते गए, गानों की गुंजाइश बन गई, लव स्टोरी आ गई, मां की ममता और विलेन से बदला आ गया. तब उन्होंने तय किया कि वह इसे एंटरटेनर की तरह बनाएंगे.
विवादों में फिल्म
खलनायक सुभाष घई के करियर सबसे सफल और विवादास्पद फिल्मों में से है. फिल्म में माधुरी दीक्षित और नीना गुप्ता पर फिल्माया गाना चोली के पीछे क्या है... काफी विवादों में रहा. इस गाने के लिए इला अरुण और अल्का यागनिक को संयुक्त रूप से बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का फिल्म फेयर अवार्ड दिया गया. फिल्म फेयर के इतिहास में अभी तक पहली और आखिरी बार यह अवार्ड दो लोगों के बीच शेयर किया गया. इस फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद संजय दत्त भी मुंबई बम विस्फोटों के घटनाक्रम के बाद अवैध ढंग से हथियार रखने के आरोप में जेल गए. जेल से बाहर लौटने के बाद उन्होंने इसकी डबिंग की. संयोग से खलनायक के आखिरी दृश्य में उन्हें जेल जाते दिखाया गया. इससे फिल्म को जबर्दस्त सुर्खियां मिली. इस साल अगस्त में फिल्म को रिलीज हुए 30 साल पूरे हो जाएंगे.