तैराकी सीखने के लिए Pankaj Tripathi ने खा लिए थे कीड़े, एक्टर ने इसलिए बदला था अपना सरनेम
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तैराकी सीखने के लिए Pankaj Tripathi ने खा लिए थे कीड़े, एक्टर ने इसलिए बदला था अपना सरनेम

Pankaj Tripathi: इन दिनों पंकज त्रिपाठी अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म 'मैं अटल हूं' को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. इसी बीच एक्टर ने अपने जीवन से जुड़े कई हैरान कर देने वाले राज खोले. एक्टर ने बताया वो कीड़े खाया करते थे और साथ ही एक्टर ने यह भी बताया कि उन्होंने अपना सरनेम क्यों बदला?  

तैराकी सीखने के लिए Pankaj Tripathi ने खा लिए थे कीड़े, एक्टर ने इसलिए बदला था अपना सरनेम

Pankaj Tripathi: बॉलीवुड के दिग्गज कलाकारों में गिने जाने वाले पंकज त्रिपाठी इन दिनों अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म 'मैं अटल हूं' (Main Atal Hoon) को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. हाल ही में फिल्म का दूसरा गाना 'राम धुन' (Ram Dhun) रिलीज हुआ था, जिसको खूब पसंद किया गया था. फिल्म में एक्टर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के किरदार में नजर आने वाले हैं. 

यह फिल्म 19 जनवरी को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली हैं, जिसको लेकर उनके फैंस भी काफी एक्साइटेड नजर आ रहे हैं. इसी बीच एक्टर ने एक मीडिया चैनल के साथ बातचीत के दौरान अपनी लाइफ से जुड़े कई राज खोले. इंटरव्यू में एक्टर ने अपने बचपन और गांव से जुड़ी कई चीजों के बारे में खुलकर बात की. एक्टर ने बताया, 'वो अपने बचपन में जब 7वीं और 8वीं में थे तो लड़कियों के बीच फेमस होने के लिए साइकिल से स्टंट किया करते थे'. 

जब तैराकी सीखने के लिए खा गए थे कीड़े 

इसके अलावा एक्टर ने आगे बताया, 'एक समय ऐसा भी आया था जब उन्होंने तैराकी सीखने का फैसला किया'. एक्टर ने बताया, 'उनके घर के पीछे एक नदी थी जिसके ऊपर छोटे-छोटे काले कीड़े तैरा करते थे. दूसरे शरारती बच्चों ने उनसे कहा कि अगर वो इन कीड़ों को खाएंगे तो तैरना सीख जाएंगे तो मैंने भी 10-12 कीड़े उठाए और उन्हें पानी के साथ पी गया. हां, मैं इस बात से संतुष्ट हूं कि मेरा पेट खराब नहीं हुआ'. 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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इसलिए बदला अपना सरनेम

इसके साथ ही पंकज त्रिपाठी ने अपने सरनेम 'त्रिपाठी' को लेकर भी बात की और बताया, 'इतिहास में ये पहली बार हुआ कि किसी पिता को अपने बेटे से नाम मिला हो. मैंने 10वीं क्लास का एंट्री फॉर्म भरा था. मेरे चाचा जी अपने सरनेम  त्रिपाठी लिखते थे और वे सरकार में एक अधिकारी थे. एक बाबा भी ऐसे थे जो अपने नाम के साथ त्रिपाठी लगाया करते थे और वो हिन्दी के प्रोफेसर बन गये तो, मैंने सोचा कि जिंदगी में कुछ करने लिए मुझे भी अपने नाम के पीछे त्रिपाठी लगाना चाहिए और अपने फॉर्म पर नाम पंकज त्रिपाठी लिखा और इसलिए ही मैंने पिताजी के नाम के पीछे का सरनेम भी चेंज कर दिया'.

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