Bollywood Actress: कोई 150 फिल्मों में काम करे और उसके अंतिम संस्कार में इंडस्ट्री का कोई शख्स न पहुंचे, तो हैरानी होगी ही. मगर बॉलीवुड में ऐसा अक्सर हुआ. एक दौर में मनोरमा हिंदी फिल्मों की सबसे खूबसूरत हीरोइनों में थीं. लेकिन आज उनकी पहचान क्रूर खलनायिकाओं और कॉमेडियन के रूप में होती है...
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Manorama: कई कलाकारों को वह जगह और सम्मान नहीं मिल पाता, जिसके वह हकदार होते हैं. मनोरमा हिंदी सिनेमा का ऐसा ही नाम हैं. उनका फिल्मी करियर छह दशक तक फैला हुआ है. चाइल्ड आर्टिस्ट से शुरू करके, हीरोइन, विलेन और अंततः कॉमेडियन. मनोरमा के चेहरे पर खलनायिका के रूप में ऐसे हाव-भाव आते थे कि कोई भी डर जाए. फिल्म सीता और गीता (1972) में उन्होंने हेमा मालिनी की दुष्ट चाची का रोल निभाया. इस रोल में मनोरमा को देखने के बाद लोग उनसे नफरत करने लगे. खुद हेमा मालिनी ने बताया कि एक सीन में वह मेरी साड़ी खींच कर उतार देती हैं. इस दृश्य में उनका अंदाज और हाव-भाव ऐसे थे कि मैं बुरी तरह से डर गई थी और सीन के बाद कांप रही थी. मनोरमा स्क्रीन पर इतनी दुष्ट नजर आती थीं. यही उनकी अदाकारी थी.
वाटर की मधुमती
सीता और गीता ही क्यों, मनोरमा ने जब अपने करियर के आखिरी दौर में दीपा मेहता की फिल्म वाटर (2005) में काम किया तो पूरी दुनिया की नजर उन पर पड़ी. फिल्म में वह वृंदावन के एक आश्रम की बेहद कुटिल और आत्याचारी बूढ़ी मुखिया मधुमती के रोल में थीं. मधुमती आश्रम की युवतियों और लड़कियों से वेश्यावृत्ति करवाती है. पश्चिम के फिल्म समीक्षक वाटर में उन्हें देखकर हैरान रह गए. उन्हें लगा की यह अभिनेत्री नहीं, सचमुच ऐसी ही महिला है. जो वेश्यावृत्ति का धंधा करवाती है. मनोरमा ने दस लाख (1966), दो कलियां (1968), एक फूल दो माली (1969), बॉम्बे टू गोवा (1972) से लेकर सीता और गीता तक अपनी खलनायकी का लोहा मनवाया.
Remembering yesteryear Hindi film actress #Manorama on her birth anniversary (16/08).
“The founder of emojis” pic.twitter.com/0sE7q9WKTM
— Bollywoodirect (@Bollywoodirect) August 16, 2021
चाइल्ड आर्टिस्ट से स्टार हीरोइन
मनोरमा का जन्म 16 अगस्त 1926 को लाहौर में हुआ था. उनकी मां आयरिश थीं और पिता भारतीय ईसाई. वह इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और तरक्कीपसंद इंसान थे. उनके माता-पिता को संगीत का शौक था. उन्होंने बेटी को शास्त्रीय संगीत तथा नृत्य की शिक्षा दिलाई. मनोरमा का असली नाम, इरीन आइजैक था. किशोरावस्था में जब उन्हें प्रतिष्ठित फिल्मकार आर.के. शौरी ने मंच पर करते देखा तो उनके पिता को इस बात के लिए राजी कर लिया कि बेटी फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम करे. वह फिल्म खजांची (1941) में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में आईं और उनका करियर चल पड़ा. वह पंजाबी फिल्मों की स्टार हीरोइन बन गईं. अपने समय में वह सबसे खूबसूरत हीरोइनों में थीं और लक्स साबुन ने उन्हें अपने विज्ञापन का चेहरा बनाया था. लक्स के बारे में प्रसिद्ध है कि वह हर दौर में अपने समय की सबसे हसीन अभिनेत्री को अपने विज्ञापन में लिया करता था.
कार और अंतिम संस्कार
इस बीच उन्होंने एक्टर राजन हक्सर से शादी की. जो कई बरसों तक चलने के बाद अंततः तलाक पर खत्म हुई. यह पति-पत्नी देश विभाजन के समय भारत आ गए थे. मनोरमा मुंबई में फिल्में करती रहीं. लेकिन यहां उन्हें सपोर्टिंग रोल ऑफर हुए. कैरेक्टर आर्टिस्ट से होते हुए मनोरमा का करियर पहले विलेन और कॉमेडियन के रूप में आगे बढ़ा. परंतु 1980 के दशक में उन्हें काम मिलना लगभग बंद हो गया. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. वाटर के बाद उन्होंने दीपा मेहता से कहा कि इधर अब मेरे पास कुछ पैसे आ गए हैं. जिससे मैंने सेकेंड हैंड कार खरीदी है और ड्राइवर भी रखा है. तुम मुंबई में रहो तो इस कार का इस्तेमाल कर लेना, ऑटो में मत घूमना. मनोरमा ने करीब 150 फिल्मों में काम किया. महेश भट्ट की फिल्म जुनून में काम करने का उन्हें जब पैसा मिला तो वह बहुत खुश हुई और बोली, आज मैं नहा पाऊंगी. मनोरमा 2007 में स्ट्रोक की शिकार हुई थीं. फरवरी 2015 में उनकी मृत्यु हुई तो वह लगभग अकेली थीं. उनके अंतिम संस्कार के वक्त इंडस्ट्री से कोई नहीं पहुंचा था.