साल 2002 में अमृता राव ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था. वह तबसे बॉलीवुड में आए बदलाव को देखती आ रही हैं. एक्ट्रेस ने इतने वर्षों में आए बदलाव को लेकर खुलकर अपनी बात रखी है.
अमृता आगे बताती हैं, ‘मैं युवा थी, तब मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे प्रतिक्रिया दूं. मैं मुस्कुराई और अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया, क्योंकि मुझे शर्म आ रही थी. मेरे दिमाग में यह घूम रहा था कि 'क्या ऐसा होता है?' इसका मतलब है कि उन्होंने वाकई में मेरी फिल्म देखी थी और मुझे पहचान लिया था.'
अमृता ने तब के दौर की यादें साझा कीं. उन्होंने बताया, मुझे याद है कि मेरी भावनाएं मिली-जुली थीं. जब भी मैं इसे याद करती हूं, मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है. 'मैं हूं ना' की सफलता की पार्टी का अवसर था. वहां कॉलेज के छात्रों का एक समूह खड़ा था, जिन्होंने मुझे देखा और मुझे 'संजना' कहा.
अमृता ने इंडस्ट्री में तब प्रवेश किया था, जब इंडस्ट्री बदलाव के दौर से गुजर रही थी. वह कहती हैं, ‘इससे पहले, प्रतिभा का होना महत्वपूर्ण था और एक कलाकार के रूप में, हम अपने कौशल को बेहतर करते थे. अब टैलेंट मैनेजमेंट जैसी चीजें भी हैं. एक तरह से यह एक अच्छा परिवर्तन है जो कलाकारों को नौकरी के अवसर के साथ अधिक सुरक्षित महसूस कराता है.'
हालांकि अमृता का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हस्ती बनने में कोई बुराई नहीं है, बस एक बड़ा बदलाव हुआ है.
एक्ट्रेस का मानना है कि इन दिनों अभिनेता सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति के कारण भी लोकप्रिय हो रहे हैं. मुझे लगता है कि एक अभिनेता के लिए, एक चरित्र और फिल्म के लिए याद किया जाना ज्यादा महत्वपूर्ण है.'
अमृता ने बताया कि जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया था, तब मुझे 'इश्क विश्क', 'मस्ती', और 'मैं हूं ना' जैसी फिल्मों में सराहा गया था. लोगों ने मेरे काम की वजह से मुझ पर ध्यान दिया. जबकि 'मैं हूं ना' जैसी फिल्म में शाहरूख खान और सुष्मिता सेन जैसे सुपरस्टार नजर आए थे.
हाल में अमृता राव (Amrita Rao) ने मीडिया से कहा, 'सोशल मीडिया और पीआर मशीनरी के इस दौर से पहले, एक कलाकार की लोकप्रियता उसकी प्रतिभा की देन होती थी.
ट्रेन्डिंग फोटोज़