आजादी के 30 साल बाद तक बॉलीवुड में ज्यादातर फिल्में समाज, औरतों के साथ हुए उत्पीड़न, हैरेसमेंट जैसे विषयों पर बनती थीं. इस दौर की फिल्मों में असल जिंदगी में महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय को पर्दे पर उतारा जाता था. इसी दौर में एक ऐसी एक्ट्रेस आईं, जिनकी खूबसूरती ने तहलका मचा दिया. नाम था नजीमा. नजीमा (Nazima) एक ऐसी एक्ट्रेस थीं, जिन पर सबसे ज्यादा रेप सीन फिल्माए गए.
नजीमा (Nazima) फिल्मों में या तो हीरोइन-हीरो की बहन बनती थीं या फिर उसकी सहेली. ज्यादातर फिल्मों में उनका किरदार सिर्फ महिला उत्पीड़न के इर्द-गिर्द रहा. हीरोइनों से कम दिखने वाली नजीमा हमेशा साइड रोल में ही नजर आईं.
बता दें कि 70-80 के दशक में ज्यादातर फिल्मों में महिला उत्पीड़ के सीन होते थे. ऐसे सीन्स में नजीमा (Nazima) नजर आती थीं. उन्होंने इन किरदारों के जरिए अपने लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया था कि बाकी हीरोइनें भी डर गईं थीं.
नजीमा (Nazima) ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर की थी. इसके बाद उन्होंने 'जिद्दी', 'आरजू', 'अप्रैल फूल', 'आये दिन बहार के', 'औरत' और 'वही लड़की' जैसी कई फिल्मों में काम किया.
नजीमा (Nazima) के मन तो लीड हीरोइन बनने की हसरत थी, लेकिन उन्हें साइड रोल ही मिलते रहे और मजबूरी के चलते वे ये रोल करती रहीं. जो भी फिल्में उन्हें मिल रहीं थीं वो उन्हें कर रहीं थीं, वो बेरोजगार नहीं होना चाहती थीं.
नजीमा (Nazima) को ये भी डर था कि कहीं उन्हें लोग भूल न जाएं और उन्हें काम मिलना बंद न हो जाए. इसका जिक्र नजीमा ने 1968 में एक इंटरव्यू के दौरान किया था.
मात्र 22 साल की उम्र में ही नजीमा (Nazima) उस दौर की एक ऐसी एक्ट्रेस बन गईं जिनके आगे फिल्म की लीड हीरोइनें भी फीकी पड़ गईं. खुद को ऊंचाइयों पर देखने का ख्वाब संजोने वाली नजीमा को क्या पता था कि वे मौत को गले लगाने वाली हैं.
सिर्फ 27 साल की छोटी सी उम्र में ही नजीमा (Nazima) ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया. कैंसर होने से उनकी हालत बिगड़ी गई और उनका निधन हो गया. उनकी कई फिल्में तो ऐसी रहीं जो उनकी मौत के बाद रिलीज हुईं और सभी सक्सेसफुल रहीं.
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