Bollywood Superhero film: धूम, बंटी और बबली, सरकार तथा गुरु जैसी फिल्मों के बाद अभिषेक बच्चन ने चेंज के रूप में सुपरहीरो का किरदार निभाया तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर करियर की सबसे कमजोर फिल्मों में गिनी गई. इसके बाद जूनियर बच्चन ने यह जोखिम फिर नहीं उठाया.
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Abhishek Bachchan Film: तमाम कोशिशों के बावजूद अभिषेक बच्चन का करियर वैसी रफ्तार नहीं पकड़ सका, जैसी शुरुआती दिनों में उम्मीद थी. पिता (Amitabh Bachchan) ने भी उनके साथ फिल्में करके सहारा दिया और मां ने भी. लेकिन बात नहीं बनी. अभिषेक ने हर तरह के किरदारों को निभाने की कोशिश की कि कहीं तो वह जमें, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. अभिषेक पर्दे पर अपने करियर में सुपर हीरो भी बने, लेकिन वह फिल्म भी नहीं चल पाई. वास्तव में वह उनके करियर की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में शुमार हुई. फिल्म थी, द्रोण (2008). गोल्डी बहल फिल्म के निर्देशक थे. इरॉस (Eros) के साथ उनका और अमिताभ बच्चन का पैसा भी इसमें लगा था. फिल्म में उस वक्त के सबसे बेहतरीन स्पेशल इफेक्ट्स (VFX) इस्तेमाल किए गए, अंतरराष्ट्रीय तकनीशियनों को बुलाया गया. देश-विदेश में फिल्म शूट हुई. कुल बजट बताया गया 45 करोड़. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म 15 करोड़ रुपये ही निकाल पाई.
अमृत मंथन से जोड़ा कनेक्शन
द्रोण में अभिषेक के साथ प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) और के.के. मेनन (K K Menon) थे. मेनन खलनायक थे और यह हिंदी की संभवतः पहली फिल्म थी, जिसमें हीरोइन किसी सुपरहीरो को विलेन से बचाती है. लोगों को यह बात बिल्कुल गले नहीं उतरी. फिर अभिषेक के किरदार को अमृत मंथन की माइथोलॉजी से जोड़ा गया, जो स्क्रिप्ट में कहीं मजबूती से उभर नहीं पाया. द्रोण हर सुपरहीरो की तरह अपने जन्म के साथ कुछ रहस्यों से घिरा था और उसके पास दुनिया को बुरी ताकत से बचाने का मिशन था. द्रोण की मां का किरदार जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने निभाया. यह किरदार रहस्यमयी लगते हुए अजीब-सा महसूस कराता और इसकी कहानी कहीं पहुंचती. इस पर सुपर हीरो के रूप में प्रियंका और अभिषेक का जो गेट-अप दिया गया था, वह हास्यास्पद मालूम पड़ता है. कहानी और स्क्रिप्ट फिल्म की बड़ी कमजोरी थी. फिल्म समीक्षकों ने द्रोण को सिरे से खारिज कर दिया. रोमांस-एक्शन-इमोशन कुछ भी ऐसा नहीं था कि दर्शकों को जोड़ता. लोगों को यह सुपर हीरो कतई पसंद नहीं आया. स्टंट के रूप में यहां डाले गए इंडिया के पारंपरिक मार्शल आर्ट कलिरयापट्टू, गटका और तलवारबाजी में दर्शकों को मजा नहीं आया.
फिर सुपरहीरो नहीं बने अभिषेक
दर्शक इसे उस साल की सबसे खराब फिल्म बताने में नहीं चूके. किसी ने कहा कि इससे बेहतर है की ऋतिक रोशन की कृष पांच बार देख ली जाए. किसी ने कहा कि 145 मिनिट की यह फिल्म फास्ट फॉरवर्ड मोड पर आधे घंटे में खत्म कर देने लायक है. कृष के साथ सुपर हीरो फिल्मों का सीक्वल लोग देख चुके थे और द्रोण देखकर लोगों ने निर्माता-निर्देशक से अपील की कि इस फिल्म का सीक्वल न बनाएं. निर्देशक के रूप में गोल्डी बहल की यह अंतिम फिल्म साबित हुई. अभिषेक इसके बाद किसी फिल्म में सुपर हीरो नहीं बने.
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