Veda Movie Review: कहानी से ज्यादा किरदारों पर जोर, सोशल मैसेज वाली एक्शन मूवी
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Veda Movie Review: कहानी से ज्यादा किरदारों पर जोर, सोशल मैसेज वाली एक्शन मूवी

15 अगस्त को 'वेदा' फिल्म थियेटर में रिलीज हो रही है. अगर आप इस फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो एक बार इस रिव्यू को जरूर पढ़ लें.

वेदा फिल्म रिव्यू

निर्देशक: निखिल आडवाणी 

स्टार कास्ट: जॉन अब्राहम, शरवरी, अभिषेक बनर्जी, आशीष विद्यार्थी, तमन्ना भाटिया, कुमुद मिश्रा, राजेंद्र चावला, कपिल निर्मल, क्षितिज चौहान आदि 

कहां देख सकते हैं: थियेटर्स में 

क्रिटिक रेटिंग: 3.5

Veda Movie Review: 'आर्टिकल 15' के बाद जाति व्यवस्था पर मज़बूत संदेश देने वाली कोई मूवी आई है,  वेदा.  हालांकि दो सच्ची कहानियों को इस मूवी में एक साथ पिरोकर एक ड्रामेटिक कहानी बनाई गई है, जिसके किरदार इतने पावरफुल हैं कि आप कहानी भले भूल जाएं लेकिन किरदार शायद याद रहेंगे. एक्शन मूवी लवर्स के लिए बनी ये मूवी जॉन अब्राहम और अभिषेक बनर्जी को एक नये रूप में पेश करती है. 

कश्मीर में तैनात आर्मी मेजर की कहानी

कहानी है कश्मीर में तैनात आर्मी मेजर अभिमन्यु सिंह कंवर (जॉन अब्राहम) की, जिसकी पत्नी राशि (तमन्ना भाटिया) जिद करके एक ऑपरेशन में वेश बदलकर  चली जाती है और आतंकी उसका गला काटकर मार देते हैं. अभिमन्यु उस आतंकी को मना करने के बावजूद मार देता है, नतीजे में मिलता है कोर्ट मार्शल. ऐसे में पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए वो बाड़मेर के एक गांव में चला आता है, जहां राशि के पिता एक स्कूल में प्राध्यापक हैं.

दलित परिवार का जिक्र
कहानी में  वेदा (शरबरी) का परिवार भी है, एक दलित परिवार की लड़की, जिसका सपना बॉक्सर बनने का है, उसका भाई एक ऊंची जाति की लड़की से प्यार करता है. उस गांव  में प्रधान जितेंद्र प्रताप सिंह (अभिषेक बनर्जी), उसके काका (आशीष विद्यार्थी) और छोटे भाई सुयोग (क्षितिज चौहान) का आतंक है, और दरोगा भीमसेन पुरोहित (कपिल निर्मल) समेत पूरा थाना उनका हुक्का बजाता है. 

 

 

वेदा के स्कूल में ही बॉक्सिंग का असिस्टेंट कोच बन जाता है अभिमन्यु और प्रधान के छोटे भाई के एतराज के बावजूद वेदा को बॉक्सिंग की कोचिंग देने लगता है.  कहानी में निर्णायक मोड़ तब आता है जब वेदा लिए भाई को उसकी प्रेमिका के साथ प्रधान का छोटा भाई पकड़ लेता है, फिर भरी पंचायत में वेदा के परिवार की खूब बेइज्जती की जाती है. अगले दिन वेदा का भाई लड़की को लेकर गाँव से भाग जाता है. फिर गांव में होता है हिंसा का नंगा नाच. तब अभिमन्यु की शरण में आती है वेदा और अभिमन्यु फिर उस चक्रव्यूह से उसे कैसे बचाकर लाता है, उसमें काफी एक्शन है, इमोशन और सोशल मेसेज भी. 

नये भारत कुमार आए

एंटरटेनमेंट के नाम पर इस मूवी में बस दो गाने हैं  जो आपको पसंद आयेंगे, एक होली गीत शरबरी पर फिल्माया गया है और दूसरा आइटम गाना मॉनी रॉय पर. नहीं तो बाकी मूवी गंभीर किरदारों के इर्द गिर्द ही आगे बढ़ती है. निर्देशक निखिल आडवाणी जॉन अब्राहम के साथ 'बटला हाउस' के बाद ये मूवी लेकर आये हैं, हालांकि बीच में ‘सत्यमेव जयते’से वो भी जुड़े थे, लेकिन ऐसी फ़िल्मों से ही जॉन की छवि नये भारत कुमार जैसी देशभक्त की बनी है. 

जॉन और अभिषेक बनर्जी इस मूवी में बेहद गंभीर किस्म के रोल में दिखे हैं, शरबरी के हिस्से में भी दूसरे हाफ में काफ़ी मज़बूत सीन आये हैं.  वहीं कपिल निर्मल और क्षितिज  चौहान ने भी अपनी छाप फिल्म पर छोड़ी है, आशीष विद्यार्थी और कुमुद मिश्रा बेहतरीन कलाकार हैं, छोटी भूमिकाओं में भी मूवी में जान डाल देते हैं. 

ये नहीं होगा हजम
हालांकि मूवी में जिस तरह क्लाइमेक्स को राजस्थान हाई कोर्ट में फ़िल्माया गया, एक प्रधान स्तर के व्यक्ति का हाईकोर्ट परिसर पर कब्ज आसानी से हजम होने वाला नहीं लगा. ऐसे में कम से कम उसे विधायक जैसा ओहदा तो देना ही चाहिए था.  वेदा से अभिमन्यु का आसान इमोशनल कनेक्शन  को भी थोड़ी मजबूरी की ज़रूरत थी.

एक्शन का मिलेगा डोज

ऐसे में एक्शन के दीवानों, जॉन के जब्रा फैन्स के लिए तो ये मूवी बोनांजा है, हालांकि सोशल मेसेज वाली इस मूवी को दो बड़ी फ़िल्मों से टक्कर मिलने वाली है, ‘स्त्री2’ पहले ही एडवांस बुकिंग में काफ़ी आगे है, वहीं अक्षय कुमार की ‘खेल खेल में’ भी अच्छी टाइम पास मूवी है.

 

 

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