विधानसभा चुनावों के लिए फौज तैयार.. 'टीम बीजेपी' के दिग्गजों पर निगाहें
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विधानसभा चुनावों के लिए फौज तैयार.. 'टीम बीजेपी' के दिग्गजों पर निगाहें

Assembly Elections: भागवत ने तो यहां तक उन्होंने कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता है और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान सदाचार बनाए नहीं रखा गया था. इसे सीधे-सीधे बीजेपी नेतृत्व की आलोचना के रूप में देखा गया.

विधानसभा चुनावों के लिए फौज तैयार.. 'टीम बीजेपी' के दिग्गजों पर निगाहें

Vidhansabha Chunav: लोकसभा चुनावों में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल करने में असफल रही बीजेपी ने अब इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कमर कस ली है. इसी कड़ी में पार्टी ने सोमवार को शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों और अनुभवी वरिष्ठ नेताओं के एक समूह को प्रभारी नियुक्त किया. यानि कि बीजेपी ने चुनावी राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में दिग्गजों की फौज उतार दी है. रोचक बात यह है कि बीजेपी ने बड़े दिग्गजों को इसके लिए मैदान में उतार दिया है. इसमें मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं. 

नेताओं और कैडर में बेचैनी?

असल में विधानसभा चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब लोकसभा चुनावों में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल करने पीछे रह गई है. ऐसे में संसदीय चुनावों से पहले लिए गए निर्णयों के कारण पार्टी के कुछ नेताओं और कैडर के एक वर्ग में बेचैनी पैदा हो गई है, ऐसी रिपोर्ट्स बीजेपी के अंदरखाने हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत की सार्वजनिक टिप्पणियों के बाद आरएसएस आगामी चुनावों को किस तरह से देखता है यह भी महत्वपूर्ण होगा.

संघ प्रमुख ने भी दी हिदायत?

भागवत ने तो यहां तक उन्होंने कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता है और लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान सदाचार बनाए नहीं रखा गया था. इसे सीधे सीधे बीजेपी नेतृत्व की आलोचना के रूप में देखा गया. महाराष्ट्र और झारखंड में आरएसएस कैडर की भूमिका अहम होगी. लेकिन पिछले महीने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी आरएसएस की मदद की आवश्यकता के बिना अब सक्षम बन गई है. इस टिप्पणी से संघ के कार्यकर्ताओं में हलचल भी देखी गई. 

विधानसभा चुनावों का अतिरिक्त महत्व

बीजेपी यह हमेशा कहती रही है कि सभी चुनाव पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं. लेकिन अब नई राजनीतिक परिस्थिति में इन चुनावों का अतिरिक्त महत्व है. ये चुनाव जीतना बीजेपी नेतृत्व के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उसे पार्टी पर अपना नियंत्रण फिर से हासिल करना है. अभी, राज्य इकाइयों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र में इसके प्रदर्शन की समीक्षा के साथ, कैडर के बीच हलचल बढ़ रही है. इसलिए, जोरदार जीत से कम कुछ भी पार्टी के लिए चीजें तय नहीं करेगा.

उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के शुरुआती आकलन के बाद एक इंटरव्यू में बीजेपी के एक सीनियर नेता ने बताया कि नेतृत्व को व्यापक रूप से आत्मनिरीक्षण करना होगा कि वह राज्य चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकता है. एक नेता ने तो चेतावनी दी कि यदि राज्य चुनावों में प्रदर्शन फिर से उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा, तो चीजें गलत दिशा में जा सकती हैं. 

आखिर बड़े दिग्गजों को उतार दिया.. 

पिछले दिसंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी दी गई है. जहां यादव प्रभारी नेता हैं, वहीं वैष्णव सह-प्रभारी हैं. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हरियाणा के प्रभारी होंगे, जबकि त्रिपुरा के पूर्व सीएम बिप्लब कुमार देब सह-प्रभारी होंगे. देब हरियाणा के प्रभारी सचिव रह चुके हैं. 

बीजेपी महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी एक आधिकारिक नोट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा झारखंड में पार्टी का चुनाव प्रचार संभालेंगे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साथ कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने चाहिए, सत्तारूढ़ पार्टी ने केंद्रीय कोयला और खान मंत्री और तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष जी किशन रेड्डी को केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव प्रचार के प्रभारी नेता के रूप में नियुक्त किया है.

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