Bengaluru Water Crisis: 40 साल में ऐसा सूखा नहीं देखा! बोले DK, कर्नाटक में क्यों आई आफत? पूरी बात समझ‍िए
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Bengaluru Water Crisis: 40 साल में ऐसा सूखा नहीं देखा! बोले DK, कर्नाटक में क्यों आई आफत? पूरी बात समझ‍िए

Bengaluru Karnataka Water Crisis: कर्नाटक हाल के सालों में सबसे बुरे सूखे की मार झेल रहा है. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि उन्होंने पिछले 30-40 साल में ऐसा सूखा नहीं देखा. बेंगलुरु में जल संकट चरम पर पहुंच गया है.

Bengaluru Water Crisis: 40 साल में ऐसा सूखा नहीं देखा! बोले DK, कर्नाटक में क्यों आई आफत? पूरी बात समझ‍िए

Bengaluru Water Shortage News: बेंगलुरु में जल संकट के पीछे कर्नाटक में पड़ा भयानक सूखा है. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सोमवार को यही कहा. उनके मुताबिक, 'पिछले 30-40 सालों में हमने ऐसा सूखा नहीं देखा है; पहले भी सूखा पड़ता था लेकिन हमने कभी इतने सारे तालुकाओं को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया था.' कर्नाटक ने 240 तालुकों में से 223 में सूखा घोषित किया है. इनमें से 196 को गंभीर रूप से सूखा प्रभावित माना गया है. बेंगलुरु में जल संकट से हालत बिगड़ते जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर यूजर्स वर्क फ्रॉम होम की डिमांड कर रहे हैं ताकि वे संकट की घड़ी में अपने-अपने घरों को लौट सकें. शिवकुमार ने कहा कि अगले दो महीने बेहद अहम हैं. बेंगलुरु से ज्‍यादा खराब हालत उत्तरी कर्नाटक की है. इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हावेरी और गडग के लोगों को पानी की सप्लाई के लिए 15 से 30 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है. बांधों के नजदीक वाले इलाकों की हालत और बुरी है.

बेंगलुरु के 40% बोरवेल सूखे: डीके शिवकुमार

डीके शिवकुमार ने बताया कि बेंगलुरु में लगभग 13,900 बोरवेल थे जिनमें से करीब 6,900 सूख चुके हैं. खुद शिवकुमार के घर में लगे बोरवेल से भी पानी नहीं आ रहा. बेंगलुरु में पानी की सप्लाई अब टैंकरों के भरोसे है. बेंगलुरु का वाटर लेवल 1800 फीट से नीचे चला गया है. बेंगलुरु को कावेरी नदी से प्रति दिन 1,450 मिलियन लीटर (MLD) पानी मिल रहा है, जबकि उसे जरूरत 2,100 MLD है.

कर्नाटक में इस साल भयानक सूखा क्‍यों?

कर्नाटक में पिछले साल मॉनसून फेल रहा. कभी-कभार ही भारी बारिश हुई. नतीजा जल संकट के रूप में देखने को मिल रहा है. कर्नाटक के वर्षाहीन इलाकों में हालात बेहद खराब हैं. अभी अप्रैल से जून तक का पीक गर्मी सीजन बाकी है, ऐसे में हालात और भयावह होने की आशंका जताई जा रही है. 

उत्तरी कर्नाटक के सभी जिलों में पानी की किल्लत है. सबसे ज्‍यादा परेशान उन इलाकों में हो रही हैं जो तुंगभद्रा बांध के भरोसे रहते हैं. पिछले साल मार्च के पहले हफ्ते में, बांध के भीतर 24.56 हजार मिलियन क्यूबिक (TMC) फीट पानी था. इस समय बांध में सिर्फ 1.7 TMC पानी बचा है.

कर्नाटक राज्‍य आपदा निगरानी केंद्र (KSNDMC) के मुताबिक, 30 जुलाई से 26 अगस्त के बीच बारिश में 60% से ज्‍यादा की कमी रही. मॉनसून सीजन खत्म होते-होते बारिश में कमी का आंकड़ा घटकर 25 प्रतिशत तक रह गया था. हालांकि, कावेरी और तुंगभद्रा नदियों के जल ग्रहण वाले इलाकों में 40% कम बारिश दर्ज की गई थी. बारिश के आंकड़े देखकर कृषि मंत्री एन चालुवरैया स्वामी को हाल ही में कहना पड़ा था कि कृषि में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट तय है.

कर्नाटक के किसानों पर पड़ रही दोहरी मार

कर्नाटक ने 2023 खरीफ सीजन में 82.35 लाख हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा था. हालांकि, सूखे के चलते 42 लाख हेक्टेयर भूमि में फसल का नुकसान हुआ. कर्नाटक के किसानों के लिए सूखा दोहरी मार की तरह आया. पहले फसल की बर्बादी हुई और अब पानी की कमी हो गई है. किसानों को अभी तक राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) के तहत केंद्र से मुआवजा नहीं मिला है. राज्य सरकार ने जनवरी में कर्नाटक के 33 लाख किसानों के लिए अंतरिम मुआवजे के रूप में 628 करोड़ रुपये (प्रति व्यक्ति 2,000 रुपये) जारी किए थे. इसके अलावा, किसानों को पिछले आठ महीनों में पीएम-किसान योजना के तहत 2,000 रुपये की दो किस्तें मिलीं.

2021 में केंद्र सरकार ने सूखे की स्थिति को देखते हुए, कर्नाटक को मनरेगा योजना के तहत काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 करने की अनुमति दी थी. हालांकि, इस साल राज्य की ओर से मांग किए जाने के बावजूद ऐसा परमिट जारी नहीं किया गया है.

कर्नाटक सरकार ने 7,408 गांवों की पहचान की है जहां वाटर सप्लाई की प्रॉब्लम है. ये गांव उन 675 गांवों से अलग हैं जहां पहले से ही दिक्कत थी. सूखे की वजह से चारे की कमी है, किसान अपने मवेशियों को औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हैं. 

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