Jharkhand Political Crisis: झारखंड में हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन (Champai Soren) को राजभवन से सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद शपथ ग्रहण भले हो गया, लेकिन इसके तुरत बाद जेएमएम-कांग्रेस-राजद के विधायकों को तेलंगाना में हैदराबाद भेज दिया गया है. सूत्रों के मुताबिक सभी विधायक 5 फरवरी को वापस सीधे विधानसभा पहुंचेंगे.
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Resort Politics New Destination: जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. ईडी की टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और गठबंधन के बाकी दलों ने चंपई सोरेन (Champai Soren) को विधायक दल का नेता चुन लिया. इसके बाद राजभवन से सरकार गठन के लिए देरी से आमंत्रण, शपथ ग्रहण के बाद बहुमत साबित करने की तारीख और भाजपा की बैठकों को लेकर रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की नौबत आ खड़ी हुई.
चंपई सोरेन को सरकार बनाने का न्योता मिलने के बावजूद झारखंड में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स
चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. आखिरकार राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ( Governor CP Radhakrishnan) ने चंपई सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. चंपई सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह के बाद बहुमत साबित करने का दिन भी तय हो गया है. इसके बावजूद जेएमएम, कांग्रेस और राजद ने अपने 39 विधायकों को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के एक रिसॉर्ट में रहने के लिए रवाना कर दिया है.
भुरकुंडा रिसोर्ट एंड स्पा से निकलकर हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी के पास ठहरेंगे विधायक
रांची में भाजपा की बैठकों को देखते हुए जेएमएम गठबंधन ने तय किया है कि भुरकुंडा रिसोर्ट एंड स्पा से रवाना उनके 39 विधायक हैदराबाद (Hyderabad) में रामोजी फिल्म सिटी के करीब ठहरेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक उन सबको हैदराबाद एयरपोर्ट से अधिकतम पांच किलोमीटर की दूरी पर बने एक शानदार रिसॉर्ट में रखा जाएगा. वहां से सभी विधायक फ्लोर टेस्ट वाले दिन यानी 5 फरवरी को वापस सीधे विधानसभा पहुंचेगे. माना जा रहा है कि कांग्रेस शासित तेलंगाना के रिसॉर्ट में ये सभी विधायक ज्यादा सुरक्षित रहेंगे.
झारखंड में 2022 में भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स, तब छत्तीसगढ़ भेजे गए थे गठबंधन के सभी विधायक
झारखंड में इससे पहले साल 2022 में भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स सामने आई थी. उस दौरान भी सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ आफिस ऑफ प्रॉफिट का केस आने के बाद राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति बन गई थी. उस दौरान भी सत्तारुढ़ जेएमएम गठबंधन के विधायकों को कांग्रेस शासित पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के रिसॉर्ट में भेज दिया गया था. इस बार विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य तेलंगाना भेजने की प्लानिंग पर काम किया गया है.
कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बदले तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी पर ज्यादा भरोसा
आइए, जानते हैं कि कांग्रेस (Congress) में चुनाव से पहले और बाद की रणनीति बनाने के लिए दशकों से मशहूर नेता और इन दिनों कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivkumar) के बदले कांग्रेस ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) पर ज्यादा भरोसा क्यों दिखाया है. क्या कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष रहे डीके शिवकुमार का पुराना परफॉर्मेंस इसकी वजह है या रेवंत रेड्डी को टेस्ट करने के लिए मौका दिया जा रहा है.
रिजॉर्ट पॉलिटिक्स क्या है , क्यों और कब तक की जाती है विधायकों की फाइव स्टार आवभगत
कहा जाता है कि राजनीति में अच्छा या बुरा कुछ नहीं होता. राजनीति में जीत के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी तरह के दांव आजमाए जाते हैं. राजनीतिक की ऐसी ही एक गतिविधि रिसॉर्ट पॉलिटिक्स के नाम से जानी जाती है. इसमें विधायकों को चार्टेड प्लेन और महंगी बसों में सफर कराना, महंगे होटल में ठहराना और तमाम सुख सुविधाएं मुहैया कराना शामिल होता है. राज्यसभा चुनावों के अलावा गठबंधन की राजनीति में ही विधायकों के पास ऐसे शानदार आवभगत के मौके आ पाते हैं.
साल 2023 में एग्जिट पोल को देखकर ही रिजॉर्ट पॉलिटिक्स के लिए एक्टिव हो गई थी कांग्रेस
बीते साल पांच राज्यों के चुनाव नतीजे से पहले सामने आए एग्जिट पोल्स को देखकर कांग्रेस की ओर से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना को लेकर रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की बात सामने आई थी. तेलंगाना में एग्जिट पोल कांग्रेस के पक्ष में था, फिर भी वह किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार थी. तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख रेवंत रेड्डी ने कहा था कि वह जीत को लेकर निश्चिंत हैं. 119 सदस्यों वाले तेलंगाना विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 60 है. वहां, विधायकों को शिफ्ट करने की जरूरत को लेकर कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की अहम भूमिका हो गई थी.
डीके शिवकुमार का रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का बेहतर अनुभव, कई राज्यों को संभालने का दावा
कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष पद भी संभाल रहे डीके शिवकुमार ने साल 2018 में कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान कांग्रेस और JDS विधायकों के लिए इसी तरह की व्यवस्था की थी. डीके शिवकुमार ने रिजॉर्ट पॉलिटिक्स से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा था कि कांग्रेस आलाकमान कहे तो वह सभी पांच राज्यों के विधायकों को संभाल सकते हैं. सूत्रों ने दावा किया कि शिवकुमार ने कई रिजॉर्ट्स और फाइव स्टार होटलों की पहचान कर ली थी. उन्होंने जरूरत पड़ने पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधायकों के लिए भी तैयार रहने का दावा किया था.
डीके शिवकुमार के रहते हुए कांग्रेस ने रेवंत रेड्डी को क्यों चुना? हो सकते हैं ये तीन बड़े कारण
कांग्रेस में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स के ऐसे हैवीवेट चैंपियन के बावजूद इस बार तेलंगाना को चुना गया है. यहां के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी डीके शिवकुमार की चुनावी रणनीति के आधार पर ही जीत हासिल की थी. इसलिए कहें तो कांग्रेस के युवा नेता रेवंत रेड्डी का झारखंड के विधायकों को संभालने से ट्रेनिंग भी हो जाएगा. हालांकि, इसकी दूसरी वजह यह भी सामने आ रही है कि देश में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की शुरुआत अविभाजित आंध्र प्रदेश में ही साल 1983 में हुई थी. इसलिए हैदराबाद के राजनेताओं लिए यह ज्यादा फ्रेंडली और फैमिलियर सियासी दांव है. इसकी तीसरी वजह लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को दक्षिणी राज्यों से बढ़ती उम्मीद भी है.