UK Government Extremism guidelines: ब्रिटेन की सुनक सरकार चरमपंथ के खिलाफ खड़ी हो गई है. यूके सरकार के मंत्री ने चरमपंथ की नई परिभाषा जारी की है. देश के कट्टरपंथी और चरमपंथी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.
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Islamist Extremism in Britain: चरमपंथ दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन चुका है. कट्टरपंथी लोग मानवता का बंटाधार कर रहे हैं. यूरोप का सिरमौर रहा ब्रिटेन भी चरमपंथ नाम की बीमारी से त्रस्त है. यूके (UK) सरकार बीते दशक में चरमपंथ के बढ़े मामलों से हैरान थी. ब्रिटेन (Britain) के कुछ मोहल्लों में चरमपंथी इतने हावी हो गए कि सरकार बदलने की धमकी देने लगे थे. चरमपंथी पुलिस-प्रशासन का सिरदर्द बन गए थे. ऐसे में जब ये बीमारी लाइलाज लगने लगी तब उन्मादियों को सबक सिखाने के लिए ऋषि सुनक (Rishi Sunak) की सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया. दरअसस यूके की सरकार ने चरमपंथ की परिभाषा में बदलाव किया है.
नई परिभाषा के मुताबिक हिंसा, घृणा या असहिष्णुता पर आधारित किसी भी विचारधारा का प्रचार-प्रसार उग्रवाद या अतिवाद माना जाएगा. सरकार का कहना है कि नई परिभाषा 2011 की पिछली परिभाषा की तुलना में ज्यादा सटीक है.
फैसले पर बवाल
कड़े प्रावधान तैयार हैं. कंजरवेटिव पार्टी के नेता और सुनक सरकार के मंत्री माइकल गव इस समस्या के समाधान के लिए काफी समय से काम कर रहे थे. चरमपंथ को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी होते ही सरकार का फैसला वैश्विक सुर्खियों में आ गया. कट्टरपंथियों के समर्थक इसके प्रावधानों से परेशान हैं. इसलिए इसे मनमाना फैसला बताते हुए सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
चरमपंथ की पुरानी परिभाषा
चरमपंथ की पुरानी परिभाषा की बात करें तो पहले ब्रिटिश सरकार उग्रवाद या अतिवाद को ब्रिटेन के मौलिक मूल्यों जैसे पारस्परिक सम्मान और सहिष्णुता के सक्रिय विरोधी के तौर पर देखती थी. नई परिभाषा के बाद कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि इससे मुस्लिम समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है. ऋषि सुनक ने मार्च महीने के शुरुआत ही में दावा किया था कि ब्रिटेन में चरमपंथ और आपराधिक गतिविधियों में चौंकाने वाला इजाफा हुआ है और ब्रिटेन लोकतंत्र के बजाए भीड़तंत्र वाले शासन की ओर बढ़ता नजर आ रहा है.
भारत के UAPA जैसा सख्त कानून
चरमपंथ के बढ़े खतरों के मद्देनजर चरमपंथ की जो ‘नई और अधिक स्पष्ट’ परिभाषा जारी की गई है, उसका मकसद दक्षिणपंथी और इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ उदार लोकतांत्रिक सिद्धांतों का संरक्षण करना है. चरमपंथ को अब हिंसा, घृणा और असहिष्णुता पर आधारित एक विचारधारा के प्रचार या इसे बढ़ावा देने के रूप में परिभाषित किया गया है. जिसके तहत अब दूसरों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता को नकारना माफी के लायक नहीं होगा.
वहीं ऐसे बयान और कृत्य जिनसे ब्रिटेन के उदार संसदीय लोकतंत्र और सरकार को कमजोर करने के मकसद से किए जाएंगे उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. यानी ब्रिटेन के ‘उदार संसदीय लोकतंत्र और लोकतांत्रिक अधिकारों’ को कमजोर करने की किसी भी कोशिश को चरमपंथ से जोड़कर देखा जाएगा.
कानून के इस नए प्रावधान को भारत के यूएपीए कानून जैसा सख्त माना जा रहा है. देश विरोधी गतिविधियों के खिलाफ लगाया जाने वाला यह एक्ट (Unlawful Activities Prevention Act) काफी खतरनाक होता है. इसमें काफी कड़ी सजा का प्रावधान है.
सरकार का तर्क
'द गार्जियन' की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश मंत्री माइकल गव ने कहा कि ब्रिटेन की इमेज को मतबूत करने के लिए इस परिभाषा को फिर से गढ़ने की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी. गव ने चरमपंथियों को दो टूक चुनौती देते हुए कहा, ‘लोकतंत्र और सहिष्णुता के हमारे मूल्यों को चरमपंथ से खतरा है. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए, उग्रवाद से उत्पन्न खतरों की पहचान करने में स्पष्टता होना बेहद जरूरी है. इसलिए ऐसे असमाजिक और देशविरोधी तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.'
हमास के हमदर्दों की भीड़ देख सहमी थी सरकार?
आपको बताते चलें कि पिछले साल अक्टूबर में इजराइल में हमास के आतंकवादी हमलों के बाद ब्रिटेन में हमास के समर्थन में ताबड़तोड़ रैलियां निकालकर उग्र प्रदर्शन किए गए थे. इन आयोजनों में हमास के हमदर्दों ने फिलिस्तीन की खुलकर मदद न करने. इजरायल पर फौरन हमला रोकने का दबाव न बनाने के लेकर सरकार की आलोचना की गई थी. इन प्रदर्शनों के दौरान इजरायल को फंडिंग और हथियार देने को लेकर अमेरिका के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी हुई थी.