महाराष्ट्र में 12 दिन बाद दिख तो रही Happy Ending, लेकिन मुस्कुराते चेहरों के पीछे छिपा है बवंडर!
Advertisement
trendingNow12544079

महाराष्ट्र में 12 दिन बाद दिख तो रही Happy Ending, लेकिन मुस्कुराते चेहरों के पीछे छिपा है बवंडर!

Mahayuti Government In Maharashtara: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के 12 दिन बाद आखिरकार महायुति के नेताओं ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेस में मुस्कुराते हुए शपथ ग्रहण के बारे में बताया. हालांकि, इस दौरान भाजपा, शिवसेना और एनसीपी नेताओं के बीच दिखी कशमकश भविष्य के बवंडर का संकेत देते दिख रहे थे.

महाराष्ट्र में 12 दिन बाद दिख तो रही Happy Ending, लेकिन मुस्कुराते चेहरों के पीछे छिपा है बवंडर!

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मनोनीत मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस बुधवार शाम को सरकार और मंत्रिमंडल गठन के लिए चर्चा करने शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे से मिलने वर्षा बंगले पहुंचे. करीब घंटे भर चली बैठक खत्म होने फडणवीस अपने आवास पर लौटे. बैठक के नतीजे को लेकर सूत्रों ने दावा किया है कि महाराष्ट्र में सीएम और दो डिप्टी सीएम शपथ लेंगें. गृह मंत्रालय भाजपा के पास रहेगा. तीनों दलों में मंत्रालयों का बंटवारा हो चुका है. इससे पहले दोपहर महायुति के तीनों दलों भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के नेताओं देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने साझा प्रेस कांफ्रेंस में मुस्कुराते हुए गुरुवार शाम को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह की जानकारी दी.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे के 12 दिन बाद हैप्पी एंडिंग

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने के 12 दिन बाद आखिरकार माना जा रहा है कि सत्तारुढ़ महायुति के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी कशमकश की हैप्पी एंडिग हो गई. हालांकि, महाराष्ट्र के सीएम पोस्ट को लेकर महायुति के घटक दलों में सिर्फ भाजपा और शिवसेना के बीच ही रस्साकशी चल रही थी. एनसीपी नेता अजित पवार इस विवादित चर्चाओं से शुरू से ही दूर दिख रहे थे. उन्होंने चुनावी नतीजे के फौरन बाद भाजपा और देवेंद्र फडणवीस को बिना शर्त पूरा समर्थन देने का ऐलान कर दिया था.

नतीजे के एक सप्ताह बीतने के बाद एकनाथ शिंदे ने तोड़ी चुप्पी

महायुति के प्रमुख घटक दल शिवसेना के प्रमुख और महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नतीजे के एक सप्ताह बीतने के बाद प्रेस कांफ्रेस कर मुख्यमंत्री पद से अपना दावा छोड़ा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का नाम लेकर कहा कि भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाए और शिवसेना पूरा समर्थन करेगी. हालांकि, इसके बावजूद दिल्ली बैठक से मुंबई लौटते ही उनका 'मन' खराब हो गया. महायुति की प्रस्तावित बैठकों को रद्द कर वह अपने पैतृक गांव चले गए और फिर कई दिनों तक असमंजस का दौर जारी रहा.  

दिल्ली में महायुति की बैठक के एक सप्ताह बाद सुलझा मामला

दिल्ली में हुई महायुति की बैठक के एक सप्ताह बाद भाजपा विधायक दल की बैठक में तय हुआ कि देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे. इसके बाद फडणवीस ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया. भाजपा के ऑब्जर्वर्स विजय रूपाणी और निर्मला सीतारमण इस दौरान पूरे समय उनके साथ मौजूद थे. इसके बाद फडणवीस, शिंदे और पवार साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में शपथ ग्रहण समारोह होगा.

शिवसेना सूत्रों ने बताया शिंदे डिप्टी सीएम बनने को लेकर राजी

हालांकि, इस दौरान फडणवीस और शिंदे दोनों नेताओं ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, लेकिन पवार ने कहा कि इन लोगों का शाम तक तय होगा पर मैं तो कल शपथ ले रहा हूं यह तय है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिंदे ने कहा कि अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है. तीनों नेताओं में सिर्फ फडणवीस ने कहा कि हम तीनों नेता एक हैं. वहीं, देर शाम जाकर शिवसेना सूत्रों ने बताया कि शिंदे ने डिप्टी सीएम बनने को लेकर रजामंदी दे दी है.

शिंदे ने क्यों कहा- महायुति में कोई ऊंच-नीच नहीं, सब ठीक?

इस प्रेस कांफ्रेस के दौरान एकनाथ शिंदे ने लगभग सफाई देते हुए कहा कि मुझे क्या मिल रहा है, यह सवाल ही नहीं था. हमारे मन में सिर्फ यह भावना थी कि महाराष्ट्र को क्या मिला. महायुति में कोई ऊंच-नीच नहीं है और सब ठीक है. पिछली बार देवेंद्र फडणवीसजी ने मेरे नाम की सिफारिश की थी. इस बार मैं मुख्यमंत्री के तौर पर उनका नाम ले रहा हूं. इस बीच, शिंदे के सतारा और ठाणे में बीमार रहने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामने भाजपा नेताओं के एक समूह की ओर से फडणवीस के विकल्प या सीएम पद के दूसरे दावेदारों का नाम रखे जाने को लेकर कोई सवाल नहीं किया गया.

अजित पवार के अकेले दिल्ली दौरे को लेकर भी खुसर-फुसर

दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे के बीमार रहने और देवेंद्र फडणवीस के कूलिंग पीरियड में रहने के दौरान अजित पावर के दिल्ली दौरे को लेकर भी राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनका हर बात पर आसानी से राजी होना किसी को हजम नहीं हो रहा है. हालांकि, इससे पहले शिवसेना और एनसीपी ने कहा था कि पहले भाजपा मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करे बाकी की बात उसके बाद होगी. इसके अलावा एनसीपी और अजित पवार की ओर से खुलकर मंत्रिमंडल या विभाग को कोई डिमांड खुलकर सामने नहीं आई है.

नहीं खत्म हुई है महायुति में बवंडर की आशंका, शिंदे क्यों माने?

वहीं, पहले शिवसेना की ओर से कई नेताओं ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए रखने की आवाज उठाई. खुद एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम पद को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई. उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा भी हुई. बाद में उन्हें खुद आगे आकर इसे अफवाह बताना पड़ा. सरकार में प्रमुख विभागों को लेकर भी शिंदे की ओर से मोलभाव की चर्चा ने खूब जोर पकड़ी. महायुति का संयोजक बनने की बात भी सुर्खियों में आई, लेकिन आखिरकार वह डिप्टी सीएम पर मान गए. हालांकि, इससे भविष्य में उनकी ओर से किसी बवंडर की आशंका खत्म नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें - Maharashtra CM: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के नाम पर कहां अटका है मामला? भाजपा-शिवसेना-एनसीपी में किन विभागों को लेकर खींचतान

दिल्ली बैठक के बाद क्यों आया था शिंदे को बुखार, कई चर्चाएं

दिल्ली में 28 नवंबर को हुई महायुति की बैठक को लेकर कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एकनाथ शिंदे ने भाजपा आलाकमान के सामने यहां तक बोल दिया था कि छह महीने के लिए ही सही, लेकिन उनको महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने दिया जाये. भाजपा की ओर से उनकी मांग नामंजूर कर दी गई. भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दलील दी थी कि छह महीने के लिए मुख्यमंत्री बनाने की कोई व्यवस्था नहीं है और ये एक गलत फैसला होगा. साथ ही शासन-प्रशासन पर भी इसका अच्छा असर नहीं पड़ेगा. इसके बाद ही शिंदे ने कुछ दिनों के लिए कोपभवन जाने का रास्ता चुना था.

ये भी पढ़ें - Devendra Fadnavis: नागपुर के मेयर से मुख्यमंत्री बने, फिर डिप्टी सीएम और शानदार कमबैक! कैसा रहा फडणवीस का कार्यकाल-क्या है उपलब्धियां?

एकनाथ शिंदे के राजनीतिक करियर में अचानक आए कई मोड़

एकनाथ शिंदे के राजनीतिक करियर और सियासी मोलभाव की आदत के साथ ही फैसले के आखिरी वक्त तक शांत बने रहने का एक बड़ा उदाहरण लोगों ने शिवसेना में टूट के वक्त देखा था. ढाई साल पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बगावत करने और भाजपा से मिलकर सरकार बनाने से पहले उन्होंने किसी को कुछ हवा नहीं लगने दी थी. कुछ दिनों पहले तक कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को बधाई देते रहे और अचानकर हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना को तोड़ा और महाविकास आघाड़ी सरकार की विदाई के सबसे बड़े कारण बन गए.

तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!

Trending news