Haryana Chunav Result: भारत का जाटलैंड कहे जाने वाला हरियाणा ने इस बार एक रिकॉर्ड को बनते देखा है. पहली बार किसी सरकार ने वहां हैट्रिक मार दी है. नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में बीजेपी ने वहां झंडा गाड़ दिया और कांग्रेस की खटिया खड़ी कर दी है. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जहां कांग्रेस जीत रही थी वहां अचानक बीजेपी ने बाजी पलट दी और देखते ही देखते पूरी तस्वीर बदल गई. वैसे तो कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने वहां गलतियां पर गलतियां कीं लेकिन आइए समझते हैं की नायब सिंह सैनी के 5 बड़े कदम क्या रहे जिसके दम पर बीजेपी की नैया पार हो गई.
- जाटलैंड में गैर जाटों को एक कर दिया:
यह बात सही है कि नायब सिंह सैनी को जब सीएम बनाया गया तो पार्टी के अंदर ही काफी विरोध हुए. अगर आंकड़ों पर बात करें तो हरियाणा में 40% ओबीसी, 25% जाट, 20% दलित, 5% सिख और 7% मुस्लिम हैं. किसान आंदोलन और पहलवानों के मुद्दों पर कांग्रेस को लगा कि जाट उसके साथ हैं. इधर नायब सिंह सैनी ने अंदर ही अंदर पूरे हरियाणा को मथ दिया और एक परिपक्व नेता की तरह बीजेपी की कमान संभाले रखी. ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी ने दलित वोटर्स को भी एकजुट किया.
- लगभग हर रैली में 'खर्ची और पर्ची' पर जोरदार प्रहार:
नायब सिंह सैनी अपने लगभग हर भाषण में हुड्डा परिवार को निशाने पर रखा और खर्ची-पर्ची का जिक्र करते रहे. खर्ची-पर्ची वही टर्म है जिसको लेकर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप लगते रहे. वे लोगों को ये मैसेज देने में कामयाब रहे कि अगर हुड्डा की सरकार बनी तो फिर वही भ्रष्टाचार, फिर वही गुंडागर्दी और फिर अपने लोगों को हर जगह बैठा दिया जाएगा.
- 40 में से 15 विधायकों के टिकट काटे, एंटी इंकम्बेंसी पर लगाम:
एंटी इंकम्बेंसी पर लगाम लगाने का सबसे बड़ा कदम तो खुद नायब सिंह सैनी ही थे कि उन्हें खट्टर की जगह सीएम बनाया गया. इसके बाद जब नायब सिंह सैनी ने कमान संभाली तो उन्होंने बड़े कदम उठाए. उन्होंने अपने 40 में से 15 विधायकों के टिकट काट दिए हैं और नए चेहरों पर दांव लगाया है. बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर को बेअसर करने के लिए नए मुख्यमंत्री ही नहीं विधायकों में भी नए चेहरों पर भरोसा दिखाया. ये फैक्टर भी सही दांव बन गया.
- नाराज कार्यकर्ताओं-नेताओं से भी मिलते रहे:
चुनाव प्रचार के बीच नायब सिंह सैनी की वो तस्वीरें सामने आती रहीं जब वे बीजेपी के नाराज कार्यकर्ताओं-नेताओं से लगातार मिलते रहे और उन्होंने उनके प्रति भाषा भी संयमित रखीं. वे बार-बार पीएम मोदी की दुहाई देते हुए कार्यकर्ताओं-नेताओं को मनाते रहे. साथ ही उन्होंने सीनियर नेताओं से तालमेल भी बैठाए रखा. इतना ही नहीं उन्होंने चुनाव प्रचार के बीच लोगों में बीजेपी के प्रति जमकर आत्मविश्वास बनाए रखने का माहौल भी बनाया. और बीजेपी की अंडरकरंट बनी रही.
- ओबीसी वोटर्स और व्यापारियों को लामबंद कर ले गए:
राजनैतिक एक्सपर्ट्स इस बात को मान रहे हैं कि किसान आंदोलन और पहलवानों के मुद्दों पर कांग्रेस को लगा कि जाट उसके साथ हैं. लेकिन उधर बीजेपी ने गैर जाटों के साथ मिलकर खेल कर दिया. कांग्रेस ये बात भूल गई कि हरियाणा में सिर्फ 25 प्रतिशत ही जाट हैं. इसी बीच व्यापारी वर्ग में हुड्डा को लेकर आशंका थी कि इनकी सरकार आई तो गुंडागर्दी होगी, इस बात का जिक्र अपनी रैलियों में करते रहे. इसके अलावा उन्होंने गैर जाटों को भी एकजुट कर दिया.