Delhi Unauthorized Colonies: दिल्ली एनसीआर में गैर-कानूनी कॉलोनियों में रहने वालों के लिए खुशखबरी है. केंद्र सरकार ने तय किया है कि इन अवैध कॉलोनियों पर अब 2026 तक कार्रवाई नहीं होगी.
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Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के 12वें दिन मंगलवार को दोनों सदनों में दिल्ली नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉज (स्पेशल प्रॉविजन) सेकंड (अमेंडमेट) बिल, 2023 को मंजूरी दे दी गई. इसके लागु होने से दिल्ली के 40 लाख लोगों को सीधे तौर पर फायदा होगा. इस बिल के मुताबिक अब दिल्ली में अगले तीन साल यानी 2026 तक गैर-कानूनी कॉलोनियां सुरक्षित रहेंगी. इन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. केंद्र सरकार ने अनाधिकृत कॉलोनियों और मकानों को ढहाने की कार्रवाई की अवधि को साल 2026 तक बढ़ा दिया है. केंद्रीय आवास और शहरी विकास मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सदन में इस विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि दिल्ली में जहां पर झुग्गी है, वहां पर केंद्र सरकार मकान बनाने की योजना पर काम कर रही है. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि इस नए विधेयक में क्या-क्या है? साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव से इसका कैसा कनेक्शन है?
2006 में पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने बनवाया था कानून, यूपीए और एनडीए ने 3-3 बार संशोधन कर बढ़ाया
दिल्ली नगर निगम ने साल 2006 में दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद अवैध कॉलोनियों में बने अनियमित मकानों को तोड़ने-ढाहने की कार्रवाई शुरू कर दी थी. न्यायपालिका से राहत नहीं मिलने पर पीड़ित और उनके समर्थक विधायिका की शरण में पहुंचे. इसके बाद तत्कालीन पीएम डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार ने दिल्ली लॉ (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2006 पास करके इन गैर-कानूनी कॉलोनियों पर होने वाली नगर निगम की कार्रवाई पर एक साल के लिए रोक लगा दी थी. बाद में संशोधन कर इन अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को मिलने वाली राहत को साल 2011 तक बढ़ा दिया गया. इसके बाद इन कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई को साल 2014 तक रोकने के लिए नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉ (स्पेशल प्रोविजन) सेकंड एक्ट लाया गया. साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार आने के बाद भी इसमें 3 बार संशोधन कर दिल्ली के अनियमित कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को राहत दी. अब एक बार फिर इस राहत को अगले 3 साल यानी 2026 तक बढ़ाया गया है. इसके चलते अब दिल्ली में अवैध कॉलोनियों और वहां बने मकानों को तोड़ने की कार्रवाई नहीं की जा सकेगी.
नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉज (स्पेशल प्रॉविजन) सेकंड (अमेंडमेट) बिल, 2023 में क्या है
नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉज (स्पेशल प्रॉविजन) सेकंड (अमेंडमेट) बिल, 2023 में में कई बातें बताई गई हैं. इस विधेयक के मुताबिक, दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियां अगले तीन साल तक निगम की कार्रवाई से सुरक्षित रहेंगी. कानून के दायरे में इन कॉलोनियों में 1 जून 2014 तक हुए निर्माण ही आएंगे. मलिन बस्तियों और झुग्गी-झोपड़ी समूहों, अनाधिकृत कॉलोनियों, शहरी गांवों और इजाजत से अधिक निर्माण वाले फार्महाउसों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए व्यवस्थित इंतजाम होनी चाहिए. क्योंकि अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना हक दिए जाने की प्रक्रिया और बढ़ती अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया में समय लग सकता है. हालांकि, इसके सामने आने के बाद विधेयक को लेकर कई तरह के सवाल भी सामने आने लगे हैं.
तीन साल की मोहलत बढ़ाने के बाद क्या होगा? केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दी पूरी जानकारी
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कार्रवाई के लिए तीन साल की मोहलत बढ़ाने के बाद क्या होगा के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मालिकाना हक प्रदान करने का काम 2019 में शुरू हुआ था. कोविड-19 महामारी के कारण उसमें देरी हुई. दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों में करीब 40-50 लाख लोग रहते हैं. इसका मतलब है कि 8-10 लाख परिवार मालिकाना हक के योग्य हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि अब तक इस लिहाज से अब तक सिर्फ 4 लाख पंजीकरण हुए हैं. अभी तक इसमें केवल 20,881 मामलों में कन्वेयंस डीड जारी किए गए हैं. कंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि इस पर अभी और अधिक काम करने की जरूरत है. उन्होंने सदन में बताया कि मास्टर प्लान दिल्ली-2041 का मसौदा अंतिम चरण में है. इसमें अनाधिकृत कॉलोनियों और मलिन बस्तियों के लिए विकास मानदंडों की डिटेल भी शामिल की जा रही है. दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा मास्टर प्लान को पारित करने के बाद अप्रैल, 2023 में आवास और शहरी विकास मामलों के मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.
दिल्ली में चुनाव से कितना जुड़ा है अनधिकृत कॉलोनियों का मुद्दा, भाजपा-आप में क्यों खींचतान
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आजादी के समय आठ लाख की आबादी थी. 2011 की जनगणना में यह बढ़कर 1.6 करोड़ हो गई है. 2021 की जनगणना का आंकड़ा भी सामने नहीं आया है. दूसरी ओर, दिल्ली की बड़ी आबादी को प्रभावित करने वाले इस कानून का लोकसभा चुनाव 2024 और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 पर भी असर पड़ना लाजिमी है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस विधेयक को लाने के पीछे सरकार की योजना भी साफ है. दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं. वहीं विधानसभा और नगर निगम में आम आदमी पार्टी का बहुमत है. अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने और निवासियों को मालिकाना हक दिए जाने का मुद्दा लंबे समय से पेंडिंग है. पिछली बार चुनाव से पहले पीएम मोदी ने आवासीय योजनाओं के तहत इन इलाकों में बनी हजारों फ्लैट्स की चाबियां लाभार्थियों को सौंपी थी. लोकसभा चुनाव को छोड़कर बाकी दोनों चुनावों में भाजपा उम्मीद के मुताबिक इसका फायदा नहीं उठा सकी थी. वहीं, आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर हमेशा अधिक आक्रमकता दिखाते हुए केंद्र पर दबाव की बात कहकर क्रेडिट लेने की कोशिश करती है.