राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान राजसमंद जिले की चर्चित नाथद्वारा सीट के नतीजे पर सभी राजनीतिक महारथियों की निगाहें टिकी थीं. कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी की परंपरागत हॉट सीट पर भाजपा ने राजसी परिवार के उम्मीदवार को उतारा था. जिन्होंने सीपी जोशी को मात देकर एसेंबली की एंट्री हासिल कर ली है.
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राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आते ही कई हॉट सीट ने सबका ध्यान खींचा है. इसके साथ भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद से विधायक बनीं दीया कुमारी की चर्चा के बीच एक और रॉयल फैमिली ने राजस्थान विधानसभा में खामोशी से एंट्री सुनिश्चित कर ली, लेकिन उनकी जीत ने कांग्रेस को चौंकने पर मजबूर कर दिया. महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ को भाजपा ने राजस्थान के राजसमंद जिले की मशहूर नाथद्वारा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी की परंपरागत हॉट सीट पर राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें टिकी थीं. क्योंकि केंद्र और राज्य दोनों की राजनीति में माहिर सीपी जोशी लंबे समय से नाथद्वारा सीट पर चुनाव लड़ते रहे हैं. इस सीट को लेकर उनके पास सबसे ज्यादा अनुभव है. उनके मुकाबले विश्वराज सिंह मेवाड़ का यह पहला चुनाव था.
5 बार के विधायक कांग्रेसी दिग्गज को रॉयल डेब्यू ने दी करारी शिकस्त
मतगणना के दिन सुबह शुरुआती राउंड में सीपी जोशी आगे दिख रहे थे, उसक बाद वह लगातार पिछड़ते और फाइनली हार गए. वहीं, 19वें राउंड की काउंटिंग के बाद विश्वराज सिंह को विजेता घोषित कर दिया गया. नाथद्वारा सीट से पांच बार विधायक रहे और पिछला चुनाव लगभग 17 हजार वोटों से जीतने वाले पूर्व स्पीकर सीपी जोशी के लिए यह हार चौंकाने वाला है. क्योंकि इस सीटों पर कांग्रेस की जीत की गिनती भाजपा से दोगुनी है. वहीं, विश्वराज सिंह मेवाड़ ने चुनाव से कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ली थी और पहली बार चुनाव लड़ रहे थे. हालांकि, उनके पिता महेन्द्र सिंह मेवाड़ भाजपा से ही सांसद रह चुके हैं और उन्होंने तीन बार चुनाव भी लड़ा था. रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वराज सिंह मेवाड़ को भाजपा में लाने में राजसमंद की सांसद और विधानसभा चुनाव भी जीत चुकीं दीया कुमारी की अहम भूमिका है.
नाथद्वारा सीट पर महज एक वोट से भी हार चुके हैं सीपी जोशी
राजस्थान की नाथद्वारा विधानसभा सीट कई मायने में ऐतिहासिक मानी जाती है. इस हॉट सीट पर विधानसभा चुनाव 2008 में भी रोमांचक मुकाबला हुआ था. उस बार कांग्रेसी दिग्गज सीपी जोशी को महज एक वोट से हार का मुंह देखना पड़ा था. भाजपा के उम्मीदवार कल्याण सिंह ने सीपी जोशी को एक वोट से हरा दिया था. सीपी जोशी को 62,215 वोट मिले थे तो कल्याण सिंह को 62,216 वोट मिले थे. इसलिए जीत-हार से ज्यादा सुर्खियों में वोटों का अंतर रहा था. क्योंकि नाथद्वारा सीट पर इससे पहले सीपी जोशी 1980, 1985, 1998 और 2003 में यानी चार बार चुनाव जीत चुके थे. कहा जाता है कि एक वोट से हार की वजह से सीपी जोशी राजस्थान का मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे. 2008 के बाद 2013 में भी नाथद्वारा ने कल्याण सिंह को अपना विधायक चुना. इसके बाद साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सीपी जोशी ने नाथद्वारा सीट को पांचवी बार जीत लिया था.
विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे हैं विश्वराज सिंह मेवाड़ के दादा
कांग्रेसी दिग्गज सीपी जोशी को उनके होम टर्फ पर पराजित करने वाले विश्वराज सिंह मेवाड़ उदयपुर के राजपरिवार के सदस्य हैं. वह मेवाड़ राज्य के आखिरी महाराणा भगवत सिंह के पोते हैं. मेवाड़ की राजनीति पर उनके परिवार का व्यापक असर है. विश्वराज सिंह मेवाड़ के दादा महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ साल 1969 में सर्वसम्मति से विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष भी चुने गए थे. वहीं, उनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ के नाम चित्तौड़गढ़ से सबसे बड़ी चुनावी जीत का रिकॉर्ड है. भाजपा के टिकट पर साल 1989 के चुनाव में उन्होंने 1 लाख 90 हजार वोटों से जीत हासिल की थी. महेंद्र सिंह मेवाड़ बाद में कांग्रेस से जुड़े और चुनावों में हार का भी सामना किया. इसके काफी साल गुजर जाने के बाद इस राजसी परिवार से कोई फिर चुनावी मैदान में उतरा है. अजमेर से स्कूल और मुंबई से कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाले विश्वराज सिंह मेवाड़ अपने परिवार के साथ मुंबई में ही रहते हैं. भाजपा ज्वाइन करते वक्त उन्होंने कहा था कि देश की प्रगति में हर नागरिक को साथ देना चाहिए और हाथ बढ़ाना चाहिए. मैं भी इसीलिए राजनीति में आया हूं.