रत्न भंडार का रहस्य: 40 साल से बंद पुरी के जगन्नाथ मंदिर का वो खजाना 14 जुलाई को खुलने वाला है!
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रत्न भंडार का रहस्य: 40 साल से बंद पुरी के जगन्नाथ मंदिर का वो खजाना 14 जुलाई को खुलने वाला है!

Jagannath Ratna Bhandar: पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को जल्द खोला जा सकता है. आखिरी बार रत्न भंडार को करीब 40 साल पहले खोला गया था.

रत्न भंडार का रहस्य: 40 साल से बंद पुरी के जगन्नाथ मंदिर का वो खजाना 14 जुलाई को खुलने वाला है!

Puri Jagannath Temple Ratna Bhandar: ओडिशा के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की तैयारी है. हाई कोर्ट जज के नेतृत्व में बनी समिति ने मंदिर के खजाने को खोलने की प्रक्रिया तेज कर दी है. 14 जुलाई को करीब चार दशक बाद, रत्न भंडार का दरवाजा खोला जाएगा. आखिरी बार इसका दरवाजा 1985 में खुला था लेकिन तब सिर्फ मरम्मत की गई थी. रत्न भंडार में मौजूद खजाने का लेखा-जोखा आखिरी बार 1978 में लिया गया था.

अप्रैल 2018 में जब मंदिर प्रशासन ने रत्न भंडार के भीतरी चैंबर को खोलने की कोशिश की तो उन्हें चाबी ही नहीं मिली. चाबी गायब होने पर विवाद से ओडिशा की राजनीति गरमा उठी थी. इसी साल हुए ओडिशा विधानसभा चुनाव में भी यह मुद्दा बना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने तत्कालीन नवीन पटनायक सरकार पर 'चाबियों को तमिलनाडु भिजवाने' का आरोप लगाया था.

डुप्लीकेट चाबी से खुलेगा रत्न भंडार

ओडिशा HC के जस्टिस विश्वनाथ रथ की अगुवाई में बनी समिति ने कहा कि इसकी पुष्टि हो गई है कि रत्न भंडार की एक डुप्लीकेट चाबी मौजूद है. 9 जुलाई को हुई बैठक में 14 जुलाई को रत्न भंडार खोलने का प्लान तैयार हुआ. हालांकि राज्य सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही रत्न भंडार को खोजा जा सकता है. रथ ने रिपोर्टर्स से कहा, 'रिकॉर्ड्स बताते हैं कि मौजूदा चाबी से शायद भीतरी चैंबर नहीं खुलेगा. इसे देखते हुए हम ताला तोड़ने की खातिर एक SOP तैयार करेंगे. चूंकि भीतरी चैंबर दशकों से नहीं खुला है, हो सकता है ताले में जंग लग गई हो.'

आखिरी बार कब हुई थी रत्न भंडार की इन्वेंट्री

श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की आखिरी इन्वेंट्री 1978 में हुई थी. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (STJA) की ओर से दाखिल एक हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष (चैंबर) हैं. भीतरी कक्ष में रखे आभूषणों का कभी इस्तेमाल नहीं होता. बाहरी कक्ष के आभूषणों को त्योहारों के अवसर पर निकाला जाता है. देवताओं के दैनिक अनुष्ठानों के लिए वर्तमान कक्ष में रखे आभूषणों का उपयोग किया जाता है.

रत्न भंडार के खजाने में क्या है?

हलफनामे के अनुसार, भीतरी कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है. बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है. वर्तमान कक्ष में 3 किलोग्राम 480 ग्राम सोना और 30 किलोग्राम 350 ग्राम चांदी है.

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अब क्यों खोला जा रहा रत्न भंडार का ताला?

1978 के बाद 1985 में भी रत्न भंडार के भीतरी कक्ष को खोला गया था लेकिन सिर्फ मरम्मत की गई, कोई इन्वेंट्री नहीं ली गई. उसके बाद से, मंदिर प्रशासन ने दो बार भीतरी कक्षा को खोलने की कोशिश की है लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होने के डर से कदम पीछे खींच लिए. आखिरी बार ऐसी कोशिश 4 अप्रैल, 2018 को की गई थी. तब प्रशासन निरीक्षण के लिए भीतरी कक्ष खोलना चाहता था मगर चाबी ही नहीं मिली.

तब ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश पर निरीक्षण करने आई 16 सदस्यीय टीम को बाहर से ही भीतरी चैंबर का निरीक्षण करना पड़ा था. जून 2018 में चाबी गायब होने की खबर फैल गई. नागरिकों, श्रद्धालुओं और विपक्षी पार्टियों के दबाव में पटनायक सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए.

आयोग को जांच शुरू किए 10 दिन भी नहीं हुए थे कि पुरी के जिला प्रशासन को एक सीलबंद लिफाफा मिला जिसके कथित रूप से भीतरी कक्ष की डुप्लीकेट चाबियां थीं. हालांकि, विपक्ष और पुरी के शंकराचार्य लगातार बीजद सरकार की आलोचना करते रहे. हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज रघुबीर दास की अगुवाई में बने जांच आयोग ने उसी साल नवंबर में रिपोर्ट सौंपी थी.

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अगस्त 2023 में, पुरी निवासी दिलीप कुमार ने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की. वह चाबी गायब होने पर न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कराना चाहते थे. 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट में क्या था, इसका खुलासा अब तक नहीं किया गया था. पिछले साल ही, जगन्नाथ मंदिर की प्रबंधन समिति ने एक प्रस्ताव पारित किया कि रत्न भंडार को खोला जाएगा. हालांकि आखिरी फैसला ओडिशा सरकार को करना होता है.

हाई कोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन सीएम नवीन पटनायक ने फरवरी 2024 में 12 सदस्यीय कमेटी बनाई. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी को रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य बहुमूल्य रत्नों की इन्वेंट्री करनी थी. 

ओडिशा में चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बनी. उस समिति को पुनर्गठित करके जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 16 सदस्यीय समिति बनाई गई. समिति रत्न भंडार को फिर खोलने की देखरेख के अलावा रत्न भंडार की मरम्मत और उसमें रखी मूल्यवान वस्तुओं की सूची भी देखेगी.

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