Analysis: SCO में पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर से की 'तौबा', जयशंकर मुस्‍कुराए तो होंगे!
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Analysis: SCO में पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर से की 'तौबा', जयशंकर मुस्‍कुराए तो होंगे!

SCO Summit: जब शहबाज शरीफ ने समापन सत्र के अपने भाषण में कश्‍मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया तो कई विश्‍लेषक इसको वहां मौजूद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीतिक कामयाबी से जोड़कर देख रहे हैं. 

Analysis: SCO में पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर से की 'तौबा', जयशंकर मुस्‍कुराए तो होंगे!

India-Pakistan Relations: संयुक्‍त राष्‍ट्र समेत हर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर हमेशा कश्‍मीर मुद्दे का राग अलापने वाले पाकिस्‍तान ने जब अपनी सरजमीं पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की मेजबानी की तो इस मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया. 15-16 अक्‍टूबर को इस्‍लामाबाद में आयोजित इस बैठक के समापन सत्र में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्‍मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया. हालांकि पाकिस्‍तान-चीन की एससीओ से इतर जो द्विपक्षीय बैठक हुई उसमें जो साझा बयान जारी किया गया उसमें कश्‍मीर का जिक्र हुआ लेकिन एससीओ समिट में पाकिस्‍तान ने ऐसा नहीं किया. 

कूटनीति के जानकार इसको लेकर तमाम कयास लगा रहे हैं. जब शहबाज शरीफ ने समापन सत्र के अपने भाषण में कश्‍मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया तो कई विश्‍लेषक इसको वहां मौजूद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीतिक कामयाबी से जोड़कर देख रहे हैं. कश्मीर मुद्दा भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनाव की वजह रहा है और यह कई बार इस्लामाबाद के आधिकारिक बयानों का हिस्सा रहा है.

पाकिस्‍तान को इमेज की चिंता
ये भी कहा जा रहा है कि एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की बैठक पाकिस्तान के लिए मुश्किल वक्त में बड़ा मौका बनकर आई. इस आयोजन के जरिए पाकिस्तान की पूरी कोशिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने की रही. पाकिस्‍तान की तरफ से कश्‍मीर मुद्दे का जिक्र न होना ये दर्शाता है कि वह इस तरह के अंतरराष्‍ट्रीय आयोजन को किसी भी विवाद से दूर रखना चाहता है. दरअसल ऐसा करने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से जूझ रही है. भारी कर्जे में डूबे देश को बाहरी मदद की सख्त जरूरत है. इसलिए वो चाहता है कि उसकी इंटरनेशनल इमेज में सुधार हो जिससे वह विदेशी निवेश को आकर्षित कर सके.

पाकिस्तानी अखबार द डॉन की मंगलवार की रिपोर्ट के मुताबिक व्यापारिक समुदाय ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद जताई. लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एलसीसीआई) के अध्यक्ष मियां अबुजर शाद ने एक बयान में कहा, "यह आयोजन पाकिस्तान को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय भागीदारों, विशेष रूप से चीन के साथ अपने व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है. शिखर सम्मेलन वैश्विक निवेशकों को देश के व्यापार और निवेश के अवसरों के प्रति खुलेपन के बारे में एक स्पष्ट संदेश भी भेजेगा." प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को इस्लामाबाद में 23वें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए क्षेत्र की कनेक्टिविटी की सामूहिक क्षमता में निवेश करने का आह्वान किया.

तालिबान-ईरान से तनाव
पाकिस्तान विदेश नीति के मोर्च पर भी जूझ रहा है. उसके संबंध इस समय अफगानिस्तान के साथ बेहद तनावपूर्ण है. कभी तालिबान को पूरा समर्थन देने वाला पाकिस्तान अब उस पर आतंकवादियों को पालने का आरोप लगा रहा है. इस्लामाबाद लगातार कहता रहा है तालिबान सरकार अपनी जमीन पर तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) जैसे आतंकी संगठनों को पनाह दे रही है जो पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. दूसरी तरफ काबुल इन आरोपों को खारिज करता रहा है. ईरान के साथ भी पाकिस्तान के सबंधों में पिछले दिनों दरार देखी गई. दोनों देशों के बीच सैनिक झड़पें भी हुईं. ऐसे में पाकिस्तान अब नहीं चाहता है कि उसकी छवि अस्थिर विदेश संबंधों वाली देश की बने.

ऐसे में एससीओ बैठक ने पाकिस्तान को वो मौका दिया जिसे वह लंबे समय से खोज रहा था. अब उसे इंतजार रहेगा कि अगले इंटरनेशनल इवेंट की मेजबानी की.

जयशंकर ने पीएम शहबाज का जताया आभार
इस बीच पाकिस्‍तान से लौटने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्‍तान सरकार का आभार प्रकट करते हुए कहा कि कि भारत ने बुधवार को इस्लामाबाद में एससीओ सरकार के प्रमुखों की बैठक में सकारात्मक और रचनात्मक योगदान दिया. इस दौरान कुल आठ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें भारतीय दृष्टिकोण से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं.

इससे पहले विदेश मंत्री ने बुधवार को एससीओ काउंसिल की 23वीं बैठक में कहा कि आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद 'तीन बुराइयां' है, जिनका समाधान नहीं किया गया तो सहयोग और एकीकरण का फायदा हासिल नहीं हो सकेगा. जयशंकर ने कहा, "यदि सीमा पार से आतंकवाद, चरमपंथ और अलगाववाद जैसी गतिविधियां होती हैं, तो इनसे व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है."

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के समक्ष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए विदेश मंत्री ने कहा, "इसका मकसद आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी संबंधों को मजबूत करना, बहुआयामी सहयोग, विशेष रूप से क्षेत्रीय प्रकृति के सहयोग को विकसित करना है."

गौरतलब है कि एससीओ में चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस शामिल हैं - और 16 अन्य देश पर्यवेक्षक या "वार्ता साझेदार" के रूप में इससे जुड़े हैं. पाकिस्तान, कजाकिस्तान में 2017 में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन में इसका पूर्ण सदस्य बन था.

(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)

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