Impeachment Motion: विपक्ष अब संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) लाने की कवायद में जुट गया है. सूत्रों ने यह भी बताया कि इस नोटिस के लिए 87 सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं.
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Rajya Sabha: संसद के मॉनसून सत्र में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला है. अब तक का अगर सत्र देखें तो यह काफी हलचल भरा रहा. इस दौरान सभापति जगदीप धनखड़ और सपा से सांसद जया बच्चन के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई. बात इतनी आगे तक बढ़ गई कि जया बच्चन ने दो टूक कह दिया कि सभापति को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने सभापति पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया है. विपक्ष भी इस मुद्दे पर सभापति को घेर रहा है और उनके खिलाफ एक्शन की मांग कर रहा है.
इतना ही नहीं, विपक्ष अब संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) लाने की कवायद में जुट गया है. सूत्रों ने यह भी बताया कि इस नोटिस के लिए 87 सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं.
ये अनुच्छेद 67 है क्या आपको ये बताएंगे. लेकिन पहले समझिए कि आखिर बात यहां तक कैसे पहुंच गई. दरअसल, राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जया बच्चन की टोन पर सवालियानिशान खड़े कर दिए. इस पर जया बच्चन ने नाराजगी जाहिर की. इस दौरान धनखड़ ने कहा कि आप राज्यसभा की एक वरिष्ठ सदस्य हैं. क्या उस नाते आसन का अपमान करने का भी आपके पास लाइसेंस है.
जब जया बच्चन ने जगदीप धनखड़ की टोन पर सवाल उठाए तो सभापति ने कहा, यहां मेरी भाषा और टोन पर बात हो रही है. मेरे पास अपनी खुद की स्क्रिप्ट है, मैं किसी दूसरे की स्क्रिप्ट के मुताबिक नहीं चलता. इसके अलावा कई विपक्षी सांसदों ने बोलने ना देने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया.
इस पर सभापति ने कहा कि सदन में आज जो दृश्य बना, उसका पूरा सदन गवाह बना और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा सहित सीनियर सदस्यों ने इस संबंध में अपनी पीड़ा जताई. धनखड़ ने कहा, ‘‘मैंने सदन की कार्यवाही इस बात को ध्यान में रखते हुए स्थगित की ताकि सदन सभी सदस्यों के उपस्थित होने पर ही बेहतर ढंग से कार्य किया जा सके. सदन के हर सदस्य ने संविधान के तहत शपथ ली है और उन्हें व्यापक जन सेवा का दायित्व मिली है. दुर्भाग्यवश, तीनों विचारों पर अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली.’’
क्या है अनुच्छेद 67 बी
दरअसल, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67 बी कहता है कि उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा के सभी सदस्यों की ओर से प्रस्ताव पारित हो और लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो. इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है. अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है. उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है. अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा.
विपक्ष से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि दो दिन पहले, राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा को अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया था कि विपक्ष धनखड़ को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने पर विचार कर रहा है. सूत्र ने कहा कि विपक्षी दलों के लिए यह बात बहुत चिंताजनक है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का माइक बार-बार बंद किया जाता है. सूत्र के अनुसार, विपक्ष चाहता है कि सदन नियमों और परंपरा के अनुसार चले और सदस्यों के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य घटक दलों ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ का रवैया पक्षपातपूर्ण दिखाई देता है और हालत यह है कि नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने नहीं दिया जाता और उनका माइक बंद कर दिया जाता है.