Bhediyas of Bahraich: बहराइच में आदमखोर भेड़ियों की दहशतों के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने आदमखोर भेड़ियों को मारने का आदेश दिया है. अब सवाल ये है कि भेड़ियों को कौन मारेगा, कैसे मारेगा, किस तरह मारेगा, और इसके लिए किसको जिम्मेदारी दी गई है. जानें सारे जवाब.
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How to kill the Bahraich wolf: उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों का आतंक जारी है. जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भेड़ियों को मारने का आदेश दिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर अब बहराइच के जंगल में आदमखोर भेड़िये को मारने के लिए नौ शूटरों की एक विशेष टीम तैनात की गई है. उस टीम में वन विभाग और पुलिस के शूटर शामिल हैं. बहराइच के भेड़ियों को मारने के लिए देश के सबसे बड़े आदमखोर शूटर को भी बुलाया गया है.
सबसे पहले जानते हैं कौन हैं देश के सबसे बड़े आदमखोरों को मारने वाले शूटर कौन हैं?
कौन है नवाब शफत अली खान?
जब कोई जानवर इंसान के जिंदगी के लिए खतरा बन जाता है या खुद कभी जानवर की जिंदगी खतरे में आ जाती है तो फिर एक ही नाम पुकारा जाता है वह नाम है- नवाब शफत अली खान. यह मान्यता प्राप्त शिकारी, ट्रैंकोलाइजिंग एक्सपर्ट है और बिहार वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य हैं. हैदराबाद में शफत अली का जन्म हुआ. इनके दादा और पिता भी रह चुके हैं शूटर.
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शूटिंग में 5 साल की उम्र में जीता ईनाम
शूटिंग में 5 साल की उम्र में जीता था पुरस्कार. 19 साल की उम्र में पागल हाथी को मार गिराया. 40 से अधिक खतरनाक ऑपरेशन को दिया है अंजाम. कई राज्यों में वन विभाग के हैं सलाहकार. लाइफ टाइम अवॉर्ड से भी हो चुके हैं सम्मानित. यवतमाल में खूंखार अवनी बाघिन को मारा. खान ज़्यादातर समय तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ियों में फैले मुदुमलाई नेशनल पार्क में रहते हैं, जहाँ वे कुछ रिसॉर्ट भी चलाते हैं.
40 सालों से करते हैं शिकार
चार दशकों तक नरभक्षी बाघों और तेंदुओं, उत्पाती हाथियों, जंगली सूअरों और नीलगाय (नीली गाय) को ट्रैक करने और उन्हें खत्म करने के अनुभव ने उन्हें वन्यजीव विशेषज्ञ बना दिया है, जिसके पास जानवरों के संकेतों से उन्हें पहचानने की अद्भुत क्षमता है.
अब शूटर से ही जानिए कैसे मारे जाएंगे बहराइच के भेड़िया?
शूटर नवाब शफत अली खान बताते हैं कि भेड़ियों से इंसानों को बचाने के लिए हमें पहले एक प्रॉपर प्लान बनाना होगा. सबसे पहले हमें देखना है कि दिन में ये कहां छिप रहे हैं, और रात में कब निकलते हैं. जंगल के बाहर इन्हें खाने को कुछ नहीं मिलता, इसलिए वह गांवों में जाकर लोगों को शिकार बनाते हैं. हम सबसे पहले आदमखोर भेड़ियों की पहचान करेंगे, आदमखोर भेड़ियों की पहचान हम उनके बॉडी लैग्वेज और उनके इरादे से भांपते हैं.
कैसे करते हैं शूट?
शफात अली खान का कहना है कि उनका यह काम बहुत ही खास है, शूटर ने बताया कि हम सीधे नहीं मारते, बल्कि सबसे पहले प्रयास करते हैं कि हम आदमखोर को जिंदा पकड़े, अगर यह नहीं कर पाते तो हम कोशिश करते हैं उन्हें गांव से दूर ले जा पाएं, जहां वो इंसानों को शिकार बना रहे हैं या नुकसान कर रहे हैं. जिसमें जानवर की सही पहचान करना और उसे जिंदा पकड़ना शामिल है और अगर ऐसा संभव नहीं है, तो उसे गोली मार देना होता है.
ट्रेंकुलाइज कब करते हैं?
जब यह प्रयास में भी विफल हो जाता हैं फिर हम आदमखोर को ट्रैंक्युलाइज करके कहीं दूर ले जाकर छोड़ देने की कोशिश करते हैं यह भी सफल नहीं होता फिर हम आदमखोरों को मारते हैं. हम सभी आदमखोरों को नहीं मारते, कभी-कभी एक की मौत के बाद भय के बाद सब जंगल में भाग जाते हैं. रात में घेरना पड़ेगा, डांट मारने के बाद 10 से 15 मिनट में ही हमें उसे पकड़ना होता है. वरना दवा के रियक्शन से मर सकता है.
क्या है ट्रेंकुलाइज
दरअसल, जानवरों को पकड़ने के लिए उन्हें ट्रेंकुलाइज किया जाता है. सामान्य शब्दों में कहा जाए तो एक विशेष प्रकार की गन के जरिए जानवर पर बेहोशी का इंजेक्शन फायर किया जाता है. हालांकि, किसी जानवर को इस तरह बेहोश करना आसान नहीं होता है. जानवर काफी चौकस और चपल होते हैं. इस वजह से विशेषज्ञ की मदद से ही किसी जानवर को ट्रेंकुलाइज किया जाता है. साथ ही बेहोशी की दवा में मात्रा का भी ध्यान रखता होता है. पहले कई बार डोज ज्यादा होने की वजह से जानवर की मौत भी हो चुकी है.
कौन सी राइफल का करते हैं प्रयोग
शफात अली खान के मुताबिक, वनपाल जो हथियार इस्तेमाल करते हैं, जैसे .303 राइफल या सेल्फ-लोडिंग राइफलें, वे औसतन 60 किलो वजन वाले इंसान के खिलाफ इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन की गई हैं. एक उग्र बाघ या एक दुष्ट हाथी या किसी आदमखोर को मारने के लिए जो अचानक आप पर हमला कर सकता है, आपको विशेष शिकार राइफलों की आवश्यकता होती है. इसके लिए उनके पास उनका पसंदीदा हथियार .458 मैग्नम राइफल और .470 डबल बैरल राइफल हैं.
10 को बना चुका निवाला
बहराइच में आदमखोर भेड़िये के क़हर से लोग दहशत में हैं.भेड़िया अब तक 10 लोगों को अपना शिकार बना चुका है. आदमखोर को पकड़ने का बीते कई दिनों से प्रयास किया जा रहा है लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है. भेड़िया लगातार नए गांवों को निशाना बना रहा है. बार बार ठिकाना बदल रहा है, भेड़िये के कहर से निजात दिलाने के लिए अब उसे जिंदा या मुर्दा किसी भी तरह पकड़ने का आदेश दिया गया है.
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