Dengue Prevention: भारत के शहरों में डेंगू के मामलों में उछाल के साथ ही इस साल दुनिया भर में रिकॉर्ड संख्या में डेंगू के मामले सामने आए हैं. इसमें ब्राजील और अन्य दक्षिण अमेरिकी देश सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के डेटा से पता चलता है कि डेंगू के मामलों की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ रही है. आइए, इस खतरनाक बीमारी के बारे में जानते हैं कि यह कैसे फैलता है. साथ ही डेंगू के मामलों में उछाल की स्थिति क्या है और इसकी रोकथाम के लिए कोई कैसे कदम उठा सकता है.


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डेंगू क्या है? इसके लक्षण क्या हैं?


डेंगू एक वायरल संक्रमण है जो एडीज़ एजिप्टी मच्छर द्वारा फैलता है. संक्रमण वाले ज़्यादातर लोगों में हल्के लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह बीमारी बुखार, तेज़ सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली और उल्टी, आँखों के पीछे दर्द और चकत्ते पैदा करती है. हालांकि, गंभीर मामलों में संक्रमण से अंदरूनी ब्लीडिंग हो सकती है और अगर समय पर ठीक से इलाज नहीं किया गया, तो मौत भी हो सकती है.


द लैंसेट के एक संपादकीय में कहा गया है कि "पिछले दो दशकों में, डेंगू के रिपोर्ट किए गए मामलों में दस गुना वृद्धि हुई है. यह आंकड़ा भी शायद कम आंका गया है. इससे डेंगू ऐसा एकमात्र संक्रामक रोग बन गया है जिसके कारण वार्षिक मृत्यु दर बढ़ रही है."


इस साल कितने लोग डेंगू से संक्रमित हुए हैं? 


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वैश्विक डेंगू निगरानी के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अगस्त तक वैश्विक स्तर पर 12 मिलियन से अधिक मामले और 6,991 मौतें दर्ज की गई हैं. यह पिछले वर्ष दर्ज किए गए अपने आप में एक रिकॉर्ड 5.27 मिलियन मामलों से दोगुना से भी अधिक है. साल 2023 से पहले, पिछले दशक में, डेंगू के लगभग दो से तीन मिलियन वार्षिक मामले दर्ज किए गए थे.


विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल 2024 की रिकॉर्ड संख्या भी कम होने की संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत सहित कई देश अपने डेटा को वैश्विक निगरानी नेटवर्क को रिपोर्ट नहीं करते हैं. यहां तक ​​कि डेटा रिपोर्ट करने वाले देशों में भी, हर डेंगू रोगी का परीक्षण नहीं किया गया हो सकता है. साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों को रिपोर्ट नहीं की गई हो सकती है. 


भारत में डेंगू के मामलों की स्थिति क्या है?


पिछले दो महीनों में कई शहरों में डेंगू के मामलों में उछाल देखने को मिला है. नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, जून के अंत तक डेंगू के 32 हजार से अधिक मामले सामने आए और 32 मौतें हुईं. पिछले दो महीनों में यह संख्या बढ़ने की संभावना है. अगस्त की शुरुआत में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा था कि भारत में इस साल डेंगू के मामलों की संख्या में 2023 की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50 फीसदी की बढ़त देखी गई है.


विशेष रूप से, भारत में संक्रमण की भौगोलिक स्थिति में भी बढ़त देखी जा रही है. यह बीमारी साल 2001 में केवल आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बढ़कर साल 2022 में हर एक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल गई. इसमें लद्दाख में भी साल 2022 में पहली बार दो मामले सामने आए थे.


डेंगू के मामलों में उछाल के पीछे क्या कारण है?


द लैंसेट के संपादकीय में "शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और लोगों तथा वस्तुओं की आवाजाही" को डेंगू और इसके मच्छरों के प्रसार में सहायक बताया गया है.


शहरीकरण: घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक तेजी से फैल सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि शहरी क्षेत्र एडीज एजिप्टी मच्छरों के प्रजनन के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करते हैं. यह मच्छर साफ और ठहरे हुए पानी में प्रजनन करते हैं. आम तौर पर मानसून के दौरान और उसके तुरंत बाद मामलों में बढ़त दर्ज की जाती है. 


रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी में वेक्टर बोर्न डिजीज ग्रुप की डॉ. सुजाता सुनील ने कहा, "अगर आप दिल्ली को देखें, तो हम बीच-बीच में गर्म मौसम के साथ बारिश का अनुभव कर रहे हैं, जो मच्छरों के पनपने के लिए सबसे अच्छी स्थिति है."


जलवायु परिवर्तन: तापमान में वृद्धि मच्छरों को उन जगहों पर प्रजनन करने की इजाजत देती है जहां वे पहले प्रजनन नहीं कर सकते थे. उदाहरण के लिए अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में. डॉक्टर सुजाता सुनील ने कहा, "ग्लोबल वार्मिंग ने निश्चित रूप से उन भौगोलिक क्षेत्रों में वेक्टर के प्रसार में वृद्धि की है जहां यह पहले नहीं पाया जा सकता था." इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के कारण वायरस अधिक शक्तिशाली हो गया है और बेहतर तरीके से संचारित हो रहा है.


डेंगू के मौजूदा प्रकोप पर, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा, "उच्च तापमान डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की सीमा का विस्तार कर सकता है, साथ ही मच्छर में तेजी से वायरल होने, वेक्टर के जीवित रहने में वृद्धि और प्रजनन और काटने की दरों में परिवर्तन जैसे वायरस के संचरण को सुविधाजनक बनाने वाले अन्य कारकों को भी प्रभावित कर सकता है."


लोगों की आवाजाही: लोगों और सामानों की वैश्विक आवाजाही ने, सामान्य रूप से संक्रमण के अधिक प्रसार को बढ़ावा दिया है जो ये लोग अपने साथ ले जाते हैं. हालांकि, बेहतर परीक्षण और रिपोर्टिंग भी मामलों की "वृद्धि" में योगदान दे सकती है. डेंगू के अलावा,  एक ही वेक्टर द्वारा प्रसारित होने वाले चिकनगुनिया और जीका जैसे अन्य संक्रमण भी बढ़ रहे हैं. जीका पहली बार भारत में 2016 में रिपोर्ट किया गया था, लेकिन उसके बाद से कई प्रकोप हुए हैं.


डॉक्टर सुनील ने कहा, "इस बात का अध्ययन करने की जरूरत है कि क्या इनमें से किसी एक संक्रमण से मच्छरों की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और वे अन्य दो संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. अगर ऐसा होता है, तो तीनों संक्रमणों के संचरण में वृद्धि हो सकती है."


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डेंगू के प्रकोप को कैसे रोका जा सकता है? 


डेंगू के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए सबसे पहले, लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मच्छर उनके घरों या उनके पड़ोस में न पनपें. गमलों और पक्षियों के नहाने की जगह वगैरह में पानी के जमाव को रोकने की जरूरत है. दूसरा, लोगों को मच्छरों के काटने से खुद को बचाने की आवश्यकता है. एडीज एजिप्टी मच्छर दिन में काटते हैं. इसलिए, विशेष रूप से मानसून के दौरान पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने से मच्छर काटने से बचा जा सकता है. 


तीसरा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों को निगरानी और प्रकोप की भविष्यवाणी पर ध्यान केंद्रित करना होगा. आखिरकार यही डेंगू के बढ़ते मामलों की संख्या और इसके चलते संक्रमण के कारण होने वाली मौतों को कम करने में मदद करेगा.


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क्या डेंगू के खिलाफ कोई टीका है?


हां, डेंगू के खिलाफ टीका उपलब्ध है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू के लिए दो टीकों सैनोफी का डेंगवैक्सिया और टेकेडा का क्यूडेंगा की सिफारिश की है. हालांकि, इन्हें भारत में मंजूरी नहीं मिली है. भारत अपने स्वयं के कई टीकों पर भी काम कर रहा है. इनमें से कुछ पर विदेशी संस्थानों के सहयोग से काम चल रहा है. इनमें सबसे उन्नत चरणों में दो टीके हैं. इनमें एक है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का वैक्सीन, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज से आनुवंशिक रूप से इंजीनियर कमजोर वायरस का उपयोग करके विकसित किया गया है. उसी वायरस का इस्तेमाल करके एक और उम्मीदवार पैनेसिया बायोटेक द्वारा विकसित किया जा रहा है.


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