Horse Domestication: मनुष्य ने पहली बार कब की घोड़े की सवारी, कैसे बनाया था पालतू? नई स्टडी में चौंकाने वाले दावे
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Horse Domestication: मनुष्य ने पहली बार कब की घोड़े की सवारी, कैसे बनाया था पालतू? नई स्टडी में चौंकाने वाले दावे

The Development Of Human Civilisation: घोड़े मानव सभ्यता के विकास में अभिन्न अंग रहे हैं. हालांकि, यह सवाल भी हमेशा बना रहता है कि आखिर मनुष्य ने कब पहली बार घोड़े की सवारी की थी? इसके अलावा, मानवों ने कब घोड़े को पालतू बनाने की शुरुआत की थी. इन सवालों के नए और हैरतअंगेज जवाब सामने आए हैं.

Horse Domestication: मनुष्य ने पहली बार कब की घोड़े की सवारी, कैसे बनाया था पालतू? नई स्टडी में चौंकाने वाले दावे

When Did Humans First Ride Horses: मानवों ने पहली बार कब घुड़सवारी की थी? इस सवाल का ताजा जवाब लंबे समय से चली आ रही बहस को और ज्यादा पेचीदा बनाने वाली है. नए शोध के परिणामों में सामने आए हैरतअंगेज दावे के बीच जानते हैं कि इस सवाल का नया जवाब क्यों पहले से कहीं ज्यादा जटिल हो सकता है?

पुरातत्व वैज्ञानिकों के सामने आया एक नया और पेचीदा सवाल 

इन दिनों पुरातत्व वैज्ञानिकों के सामने एक नया सवाल आया है कि क्या घुड़सवारी मानव कंकाल के आकार को बदल सकती है? एक नए अध्ययन के अनुसार, इसका उत्तर बेहद जटिल है. रिसर्चर्स की एक टीम ने पाया है कि घुड़सवारी मानव कंकाल पर सूक्ष्म निशान छोड़ती है, लेकिन वे बदलाव इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते हैं कि लोगों ने अपने जीवनकाल में घोड़े की सवारी की है या नहीं की है. यह मनुष्यों की दूसरी गतिविधियां जैसे कि लंबे समय तक बैठना या गाड़ी चलाना भी इसी तरह के परिवर्तनों का परिणाम हो सकता है.

पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांत पर जताया शक

नए निष्कर्षों ने पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से चले आ रहे सिद्धांत पर संदेह जताया है. कुर्गन हाइपोथिसीस के रूप में जानी जाने वाली इस परिकल्पना का तर्क है कि मनुष्यों ने चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से ही घोड़ों को पालना शुरू कर दिया था. 'मानव कंकाल में घुड़सवारी और परिवहन के परिणामों का पता लगाना' शीर्षक से नए अध्ययन का निष्कर्ष 20 सितंबर को साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ था. संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लॉरेन होसेक, रॉबिन जे जेम्स और विलियम टी टी टेलर की टीम ने यह अध्ययन किया था.

कुर्गन हाइपोथिसिस क्या है?

यह सवाल कि मनुष्य ने परिवहन के लिए घोड़ों का उपयोग कब शुरू किया, लंबे समय से बहस का विषय रहा है. इसी के जवाब में 20वीं सदी की शुरुआत में कुर्गन परिकल्पना सामने आई. इसने प्रस्तावित किया कि घोड़ों को पालतू बनाना लगभग 3500 ईसा पूर्व प्राचीन मनुष्यों द्वारा शुरू किया गया था. उन्हें यमनाया के नाम से जाना जाता था और वे काले सागर के पास रहते थे. उन्होंने यूरेशिया में यात्रा करने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया और ऐसा करके उन भाषाओं के आदिम संस्करणों का प्रसार किया जो बाद में अंग्रेजी और फ्रेंच वगैरह के रूप में विकसित हुईं.

इंडो-यूरोपीय भाषाओं का विस्तार भी घोड़े को पालतू बनाने से जुड़ा

नए अध्ययन के लेखकों में से एक विलियम टी टी टेलर ने बताया, "प्राचीन और आधुनिक दोनों दुनियाओं के बारे में हमारी बहुत सी समझ इस बात पर निर्भर करती है कि लोगों ने परिवहन के लिए घोड़ों का उपयोग कब शुरू किया... दशकों से, यह विचार रहा है कि इंडो-यूरोपीय भाषाओं का विस्तार और विकास भी किसी तरह से घोड़े को पालतू बनाने से संबंधित है." 

बीते साल के पुरातात्विक अध्ययन के विश्लेषण पर भी उठाए सवाल 

इससे पहले साल 2023 में, पुरातत्व वैज्ञानिकों की एक टीम ने यमनाया लोगों के कुछ मानव कंकालों का विश्लेषण करते हुए एक अध्ययन प्रकाशित किया था. ये मानव कंकाल लगभग 3000 ईसा पूर्व के हैं. रिसर्चर्स ने दावा किया कि उन्हें घुड़सवारी से कंकालों में घिसावट के सबूत मिले हैं, जो कुर्गन परिकल्पना का समर्थन करते हैं. हालांकि, नए अध्ययन ने उस विश्लेषण के निष्कर्षों के बारे में संदेह की एक इबारत पेश कर दी है.

नए अध्ययन में क्या पाया गया है?

स्टडी रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका लॉरेन होसेक और उनकी टीम ने आधुनिक घुड़सवारों के कई चिकित्सा अध्ययनों और हजारों वर्षों के मानव अवशेषों के रिकॉर्ड की जांच की. उन्होंने पाया कि कूल्हे के जोड़ के आकार में परिवर्तन, जिसे कुछ शोधकर्ताओं ने शुरुआती घुड़सवारी के सबूत के रूप में जिक्र किया है, विभिन्न गतिविधियों के चलते भी हो सकता है. 

उदाहरण के लिए, प्राचीन मनुष्य, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने घोड़ों को पालतू बनाने से पहले गाड़ियां खींचने के लिए आम गधों, जंगली गधों और बाकी मवेशियों का इस्तेमाल किया था. सवारी गाड़ियों या रथों के कारण भी इसी तरह के बदलावों का अनुभव कर सकते थे.

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अकेले मानव कंकाल ही यमनाया की पुष्टि के लिए सबूत नहीं हो सकते

होसेक ने आगे बताया, "समय के साथ, इस तरह के एक मुड़े हुए स्थान पर होने वाले इस दोहरावदार और तेज दबाव से कंकाल में बदलाव हो सकते हैं." इसका मतलब यह है कि अकेले मानव कंकाल इस बात की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हो सकते हैं कि यमनाया लोगों ने घोड़ों को पालतू बनाया था. होसेक ने कहा, "इसके लिए हमें आनुवंशिकी और पुरातत्व से प्राप्त साक्ष्यों और घोड़े के अवशेषों को देखने के साथ-साथ मानव कंकाल के डेटा को भी जोड़ना होगा."

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