अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागून में टोमो रिबा स्वास्थ्य एवं मेडिकल विज्ञान संस्थान (टीआरआईएचएमएस) के चिकित्सकों ने आंखों से जुड़ी दुर्लभ बीमारी 'रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी' (आरओपी) प्लस से पीड़ित एक महीने की बच्ची की सफल सर्जरी की है. 


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चिकित्सकों ने बताया कि बच्ची को एनेस्थीसिया देकर इंट्राविट्रियल एंटी-वीईजीएफ (वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर) का उपचार दिया गया. इस सर्जरी टीआरआईएचएमएस के नेत्र रोग विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. तॉ एनी दीपू ने लीड किया. 


क्या है रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी

रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी (आरओपी) एक आंख की स्थिति है जो कुछ शिशुओं को प्रभावित करती है जो समय से पहले पैदा होते हैं, खासकर 31 सप्ताह से पहले. आरओपी के साथ, एक बच्चे के रेटिना में असामान्य रक्त वाहिकाएं बनती हैं. इससे बढ़ती उम्र के साथ अंधेपन का खतरा होता है.

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सर्जरी का फायदा

वैसे तो 90 प्रतिशत मामलों में यह रेयर डिजीज बिना उपचार ठीक हो  जाते हैं. लेकिन कुछ केस में सर्जरी की जरूरत होती है. ऐसे में इस 1 महीने की बच्ची के सफल सर्जरी के बाद डॉक्टर ये उम्मीद कर रहे हैं, कि उसे इस बीमारी के चलते किसी भी तरह से आंखों से संबंधित परेशानी का सामना न करना पड़े.
 
सर्जरी से जगी नई उम्मीद

एक्सपर्ट का मानना है कि यह सर्जरी न केवल बच्ची के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है. अरुणाचल प्रदेश में उन्नत चिकित्सा तकनीकों का उपयोग और उपलब्धता का यह एक बड़ा उदाहरण है. टीआरआईएचएमएस की इस उपलब्धि से न केवल स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार देखने को मिलेगा, बल्कि इससे अन्य राज्यों के चिकित्सा संस्थानों को भी प्रेरणा मिलेगी.

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