आपकी सांसों में जहर! अचानक दिल के दौरे और स्ट्रोक के पीछे छुपा है वायु प्रदूषण का खतरनाक सच; एक्सपर्ट से जानें पूरी सच्चाई
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आपकी सांसों में जहर! अचानक दिल के दौरे और स्ट्रोक के पीछे छुपा है वायु प्रदूषण का खतरनाक सच; एक्सपर्ट से जानें पूरी सच्चाई

वायु प्रदूषण आज भारत के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है. साल 2021 में वायु प्रदूषण के कारण भारत में लगभग 21 लाख लोगों की जान गई, जिसमें न केवल दमा बल्कि दिल के दौरे और स्ट्रोक का भी असर देखा जा रहा है.

आपकी सांसों में जहर! अचानक दिल के दौरे और स्ट्रोक के पीछे छुपा है वायु प्रदूषण का खतरनाक सच; एक्सपर्ट से जानें पूरी सच्चाई

वायु प्रदूषण आज भारत के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है. साल 2021 में वायु प्रदूषण के कारण भारत में लगभग 21 लाख लोगों की जान गई, जिसमें न केवल दमा बल्कि दिल के दौरे, स्ट्रोक और यहां तक कि बच्चों में बढ़ते बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) का भी गहरा असर देखा जा रहा है. पुणे के प्रसिद्ध पल्मोनोलॉजिस्ट और इंडियन चेस्ट सोसाइटी के प्रमुख, डॉ. संदीप साल्वी ने हाल ही में वायु प्रदूषण के खतरनाक प्रभाव और उससे बचाव के उपायों पर अपने विचार साझा किए.

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. संदीप साल्वी ने बताया कि हवा हमारे लिए जीवनदायिनी तत्व है, जिससे हमें 90% ऊर्जा मिलती है. हम रोजाना लगभग 10 हजार लीटर हवा में सांस लेते हैं और हमारे फेफड़ों का आकार एक टेनिस कोर्ट जितना फैल सकता है. फेफड़े साफ हवा के लिए बनाए गए हैं, परंतु इसमें नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन और PM2.5 जैसे खतरनाक तत्व भी शामिल होते हैं. ये तत्व खून में समाकर शरीर के विभिन्न अंगों में जमने लगते हैं, जिससे सांस, दिल और दिमाग से संबंधित गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टर साल्वी बताते हैं कि कई बार अचानक दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण केवल खान-पान और व्यायाम की कमी नहीं, बल्कि वायु प्रदूषण भी होता है.

भारत में वायु प्रदूषण का भयानक विस्तार
डॉ. साल्वी बताते हैं कि लगभग 98% भारतीय ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर WHO के मानकों से कहीं अधिक है. देश की राजधानी दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती है, परंतु उत्तर भारत के कई अन्य शहरों में भी स्थिति भयावह है.

क्या केवल दिवाली के पटाखे ही प्रदूषण का कारण हैं?
दिवाली के दौरान पटाखे वायु प्रदूषण को अवश्य बढ़ाते हैं, परंतु इसके लिए केवल इन्हें दोषी ठहराना गलत होगा. प्रदूषण में गाड़ियों का धुआं, निर्माण कार्य और कचरे का जलाना भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं. दिवाली पर ठंडी हवा के कारण प्रदूषक तत्व जमीन के करीब रहते हैं, जिससे सांस संबंधी समस्याएं और अधिक बढ़ जाती हैं. दिल्ली में दिवाली के बाद सांस की बीमारियों के मामलों में दो से तीन गुना तक इजाफा देखा गया है.

वायु प्रदूषण और मोटापा का संबंध
एक अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण का लंबे समय तक संपर्क बच्चों में उच्च बीएमआई का कारण बन सकता है. दिल्ली के बच्चों में दमा की दर साफ शहरों के मुकाबले अधिक पाई गई और साथ ही मोटापे का स्तर भी अधिक देखा गया. वायु प्रदूषण शरीर की आंतरिक प्रक्रियाओं में ब्लॉक उत्पन्न करता है जिससे अस्थमा और मोटापा जैसे रोग उत्पन्न हो सकते हैं.

वायु प्रदूषण से बचाव के उपाय
डॉ. साल्वी का कहना है कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए हमें कोविड की तरह मास्क पहनने का अभ्यास करना चाहिए. स्कूल के बच्चों, मोटरसाइकिल चालकों, रिक्शा चालकों को हर समय मास्क पहनने की आदत डालनी चाहिए. दो परतों वाला कॉटन मास्क और उसके बीच एक लेयर सिल्क या शिफॉन लगाने से यह N95 जितना कारगर हो सकता है. इसके अलावा दिन में दो बार नाक को साफ करने, हाइड्रेशन बनाए रखने, ताजे फल और सब्जियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट का सेवन करने से भी राहत मिल सकती है. घर में ऐसे इनडोर पौधे लगाने चाहिए जो वायु से प्रदूषक तत्वों को सोख लेते हैं.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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