Amazing benefits of Uttanasana: आज हम आपके लिए लेकर आए हैं उत्तानासन के फायदे. इसके नियमित अभ्यास से हिप्स, हैमस्ट्रिंग, और काव्स पर खिंचाव आता है, जबकि घुटने और जांघें मजबूत हो जाती हैं. जब आप इस आसन को करते हैं तो सिर आपके दिल के नीचे होता है. इस वजह से रक्त का प्रवाह पैरों में होने की बजाय सिर की तरफ होने लगता है. इससे दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की अच्छी-खासी मात्रा पहुंचने लगती है. इसके नियमित अभ्यास से आप कई बीमारियों से दूर रह सकते हैं.
क्या है उत्तानासन (what is uttanasana)
उत्तानासन संस्कृत भाषा का शब्द है. इसका शाब्दिक अर्थ होता है, जोर से खिंचाव/स्ट्रेचिंग करने वाला आसन. इस आसन के अभ्यास से शरीर को कुछ गजब के फायदे होते हैं. ये आसन न सिर्फ आपके शरीर को हील करता है बल्कि नई जिंदगी भी देता है. उत्तानासन को अंग्रेजी में इसे स्टैंडिंग फॉरवर्ड बेंड (Standing Forward Bend) के नाम से भी जानते हैं.
कैसे करें उत्तानासन (How to do Uttanasana)
- सबसे पहले किसी समतल स्थान पर योग मैट बिछा लें.
- अब इस पर खड़े हो जाएं और पैरों के बीच में एक फीट की दूरी रखें.
- अब पैरों को सीधा रखें और गहरी सांस लेते हुए हाथों को नीचे की ओर ले आएं.
- इस दौरान आपको ध्यान रखना है कि आपके पैर घुटने से न मुड़ें.
- इसी अवस्था को बरकरार रखते हुए हाथों से पैरों के अंगूठे को छूने की कोशिश करें.
- इसके बाद अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाएं.
- अब एड़ी के ऊपरी हिस्से को (चित्रानुसार) पकड़ने की कोशिश करें.
- थोड़ी देर इसी मुद्रा में रहें और फिर वापस सामान्य मुद्रा में आ जाएं.
- अब इसी चक्र को तीन-चार बार दोहराएं.
उत्तानासन के शानदार फायदे (Amazing benefits of Uttanasana)
- उत्तानासन से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है.
- ये आसन पीठ, हिप्स, पिंडली और टखनों को अच्छा स्ट्रेच देता है.
- दिमाग को शांत करता है और एंग्जाइटी से राहत देता है.
- सिरदर्द और इंसोम्निया की समस्या होने पर आराम देता है.
- पेट के भीतरी पाचन अंगों को अच्छी मसाज देकर पाचन सुधारता है.
- उत्तानासन हमारी किडनी और लिवर को सक्रिय करता है.
- हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, नपुंसकता, साइनोसाइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस को ठीक करता है.
उत्तानासन के दौरान रखें ये सावधानियां (Keep these precautions during Uttanasana)
- निचली कमर में चोट होने पर इसे न करें
- हैमस्ट्रिंग में खिंचाव होने पर इसे न करें
- ग्लूकोमा या मोतियाबिंद होने पर भी इन न करें
- शुरुआत में इसे योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें.
- संतुलन बनने पर आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं.
- अभ्यास शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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