Health Risks of Polluted Air: प्रदूषित हवा सिर्फ सांस से संबंधित परेशानियों से ही नहीं बल्कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का भी खतरा बढ़ता है.
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ठंड के मौसम में देश के कई इलाकों में हवा की क्वालिटी खराब हो जाती है. इसमें दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कानपुर जैसे कई शहर सबसे ऊपर होते हैं. इन जगहों की एयर क्वालिटी कई बार इतनी खराब हो जाती है कि इसमें चंद घंटे सांस लेने भर से आप जानलेवा बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं.
बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण, हवा में विषैले कणों और गैसों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में घर में एयर प्यूरीफायर लगवाना और मास्क पहनकर बाहर निकलना बहुत जरूरी है. वरना आप इन 5 परेशानियों से हमेशा परेशान रह सकते हैं.
फेफड़ों से जुड़ी बीमारी
जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो हमारे फेफड़े सीधे हानिकारक कणों और गैसों का सामना करते हैं. यह स्थिति श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और COPD (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का कारण बन सकती है. लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेना फेफड़ों के कार्य को कमजोर कर सकता है, जिससे श्वास लेने में कठिनाई और सूजन की समस्या पैदा होती है.
हार्ट डिजीज का खतरा
वायु प्रदूषण का हार्ट पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषित हवा में रहने से दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है. यह खून की नालियों में सूजन और थक्का बनने का कारण बन सकता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है.
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इम्यूनिटी का कमजोर होना
प्रदूषित हवा में मौजूद विषैले तत्व हमारी इम्यूनिटी को कमजोर कर सकते हैं. इससे शरीर की संक्रमणों के प्रति प्रतिक्रिया क्षमता कम हो जाती है, जिससे लोग सामान्य सर्दी-खांसी से लेकर गंभीर बीमारियों का सामना कर सकते हैं.
मेंटल हेल्थ बिगड़ने का खतरा
हाल ही में किए गए अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है. प्रदूषित हवा में रहने से चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं. यह मस्तिष्क में सूजन और न्यूरोट्रांसमीटर के असंतुलन का कारण बन सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं होती हैं.
गर्भावस्था और विकास
प्रदूषित हवा का असर गर्भवती महिलाओं और उनके भ्रूण पर भी पड़ता है. वायु प्रदूषण का संपर्क गर्भ में बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे जन्म के समय कम वजन, प्री-मैच्योर जन्म और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
कैंसर का खतरा
कुछ अध्ययनों से यह भी सामने आया है कि प्रदूषित हवा में लंबे समय तक रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. वायु में मौजूद कार्सिनोजेनिक तत्व, जैसे कि बेंजीन और फॉर्मेल्डिहाइड, कैंसर के विकास में सहायक हो सकते हैं.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.