संक्रमित आवारा कुत्ते या बिल्ली द्वारा काटे जाने के बाद रेबीज वायरस को दिमाग तक पहुंचने में समय लगता है. रेबीज का इनक्यूबेशन पीरियड हफ्ते से लेकर महीनों तक रह सकती है.
Trending Photos
रेबीज एक बेहद ही घातक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवर (कुत्ते, बिल्ली, बंदर या चमगादड़) के लार से फैलता है. रेबीज वायरस इंसान के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे दिमागी बीमारी हो जाती है और फिर पीड़ित की मौत हो जाती है. हालांकि, तुरंत उपचार (जिसमें इंजेक्शन का एक सेट शामिल है) वायरस को रेबीज में बदलने से रोकने में मदद कर सकता है.
संक्रमित आवारा कुत्ते या बिल्ली द्वारा काटे जाने के बाद रेबीज वायरस को दिमाग तक पहुंचने में समय लगता है. रेबीज का इनक्यूबेशन पीरियड हफ्ते से लेकर महीनों तक रह सकती है. हालांकि, एक बार क्लीनिक लक्षण सामने आने के बाद, बीमारी लगभग हमेशा घातक होती है.
एंटी-रेबीज वैक्सीन लेने के बाद भी हुई मौत
महाराष्ट्र के कोल्हापुर की एक 21 वर्षीय युवती आवारा कुत्ते द्वारा काटे जाने के बाद रेबीज से दम तोड़ चुकी है. कुत्ते के काटने के बाद उसने एंटी-रेबीज वैक्सीन का पूरा कोर्स लिया था, लेकिन इसके बावजूद उसकी मौत हो गई. ऐसे में हम सबके मन में एक सवाल उठता है कि क्या एंटी-रेबीज वैक्सीन लेने के बाद भी रेबीज हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है एक्सपर्ट्स.
एक्सपर्ट का बयान
गुरुग्राम स्थित मैरेंगो एशिया अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मोहन कुमार सिंह ने कहा कि रेबीज का इलाज कभी-कभी मेडिकल रिसर्च में प्रगति के बावजूद फेलियर हो सकता है. ऐसे ही एक मामले में, 21 वर्षीय युवती को रेबीज के इलाज का कोई फायदा नहीं हुआ. उसे एक कुत्ते ने काटा था, लेकिन उसे तुरंत PEP मिलने के बाद भी, उसे रेबीज हो गया और उसकी मौत हो गई. ये घटनाएं रेबीज की रोकथाम और उपचार के बारे में निरंतर अध्ययन और शिक्षा के महत्व को दर्शाती हैं.
रेबीज के लक्षण
डॉ. चेटीवाल बताते हैं कि रेबीज का वायरस काटने के बाद दिमाग तक पहुंचने में समय लेता है. इस दौरान लक्षण सामने नहीं आते. इसे इनक्यूबेशन पीरियड (ऊष्मण अवधि) कहते हैं, जो हफ्तों या महीनों तक रह सकता है. रेबीज के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे कमजोरी, बुखार या सिरदर्द हो सकते हैं. काटने वाली जगह पर भी तकलीफ, झुनझुनी या खुजली महसूस हो सकती है. ये लक्षण कुछ दिनों तक रह सकते हैं. इसके बाद दिमागी परेशानी, बेचैनी, उलझन और घबराहट जैसे गंभीर लक्षण सामने आते हैं. बीमारी बढ़ने पर भ्रम, असामान्य व्यवहार, भ्रम और पानी से डर (हाइड्रोफोबिया) हो सकता है. यह स्थिति 2 से 10 दिनों तक चलती है. एक बार लक्षण दिखने के बाद, रेबीज का इलाज बहुत मुश्किल होता है और आमतौर पर मरीज बच नहीं पाते हैं.
कौन हो सकता है रेबीज का शिकार?
इंसान और जानवर दोनों रेबीज से ग्रस्त हो सकते हैं. जंगली जानवर जैसे चमगादड़, रैकून और स्कंक्स में अक्सर यह वायरस पाया जाता है. पालतू जानवर जैसे कुत्ते, बिल्ली और बंदर भी इसे फैला सकते हैं. हालांकि, कम ही मामलों में अंग ट्रांसप्लांट और संक्रमित टिशू के संपर्क में आने से भी रेबीज हो सकता है. अगर किसी को संदेह है कि उसे रेबीज से ग्रस्त जानवर ने काटा है, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. काटने के बाद दिए जाने वाले इंजेक्शन (पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस) वायरस को फैलने से रोक सकते हैं. इस उपचार में रेबीज के टीके और कुछ मामलों में रेबीज इम्यून ग्लोब्युलिन शामिल होता है.
रेबीज से कैसे बचें?
पालतू जानवरों का टीकाकरण, जंगली जानवरों से दूर रहना और काटने या खरोंच के बाद तुरंत डॉक्टरी मदद लेना रेबीज के खतरे को कम कर सकता है. लोगों को बीमारी के लक्षणों और वैक्सीन के महत्व के बारे में जागरूक करना रेबीज से बचाव में अहम भूमिका निभाता है. हम सब मिलकर ऐसा माहौल बना सकते हैं, जहां रेबीज से इंसानों और जानवरों को कोई खतरा न हो.