एक 26 वर्षीय गर्भवती महिला ने गंभीर बीमारी से जूझते हुए आत्महत्या कर ली है. परिवार का आरोप है कि मेडिकल कर्मियों की चूक के कारण महिला की हालत बिगड़ी और उसने यह कदम उठाया.
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एक 26 वर्षीय गर्भवती महिला ने गंभीर बीमारी से जूझते हुए आत्महत्या कर ली है. परिवार का आरोप है कि मेडिकल कर्मियों की चूक के कारण महिला की हालत बिगड़ी और उसने यह कदम उठाया. यह घटना न केवल एक युवा जीवन की हानि है, बल्कि गंभीर बीमारियों से जूझ रही गर्भवती महिलाओं के लिए उचित देखभाल और सहायता के महत्व को भी उजागर करती है.
मृतक महिला का नाम जेसिका क्रोनशॉ था. वह एक प्राथमिक स्कूल शिक्षिका थी और पहली बार मां बनने जा रही थी. हालांकि, प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें हाइपरमेसिस ग्रेविडारम (एचजी) नामक गंभीर बीमारी हो गई, जिससे उसे लगातार तेज उल्टी और मितली का सामना करना पड़ा. परिवार के अनुसार, जेसिका की हालत इतनी गंभीर थी कि वह अपना दैनिक जीवन भी नहीं जी पा रही थीं.
जेसिका के परिजनों ने बताया कि मेडिकल कर्मचारियों ने उनकी बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया और गलत दवाएं देने के साथ ही गलत सलाह भी दी. इससे जेसिका की मानसिक स्थिति भी बिगड़ने लगी और वह गहरे डिप्रेशन में चली गई. छह हफ्ते पहले, जेसिका ने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी. उनकी बेटी को बचाने के लिए इमरजेंसी सीजेरियन ऑपरेशन किया गया, लेकिन दुर्भाग्य से न तो जेसिका बच सकीं और न ही उनकी गर्भ में पल रही बेटी.
मेडिकल कर्मियों पर लापरवाही का आरोप
इस घटना के बाद जेसिका के परिवार ने मेडिकल कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अगर जेसिका को सही समय पर सही इलाज और सलाह मिली होती तो शायद यह हादसा नहीं होता. जेसिका की कहानी कई सवाल खड़े करती है. क्या गर्भवती महिलाओं को गंभीर बीमारियों से जूझते हुए पर्याप्त सहायता मिल पाती है? क्या मेडिकल कर्मचारी हमेशा उनकी जरूरतों को समझ पाते हैं और सही इलाज देते हैं? क्या मेंटल हेल्थ पर भी उतना ही ध्यान दिया जाता है जितना शारीरिक स्वास्थ्य पर?
जेसिका की मौत एक दुखद घटना है, लेकिन हमें इससे सबक सीखना चाहिए. गंभीर बीमारियों से जूझ रही गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान और देखभाल की जरूरत होती है. उन्हें न केवल शारीरिक बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देना जरूरी है. साथ ही, मेडिकल कर्मचारियों को भी ऐसी स्थितियों से बेहतर तरीके से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों. हर गर्भवती महिला को स्वस्थ और सुरक्षित मातृत्व का अनुभव करने का अधिकार है.
Disclaimer: जीवन अनमोल है. जी भरकर जिएं. इसका पूरी तरह सम्मान करें. हर पल का आनंद लें. किसी बात-विषय-घटना के कारण व्यथित हों तो जीवन से हार मारने की कोई जरूरत नहीं. अच्छे और बुरे दौर आते-जाते रहते हैं. लेकिन कभी जब किसी कारण गहन हताशा, निराशा, डिप्रेशन महसूस करें तो सरकार द्वारा प्रदत्त हेल्पलाइन नंबर 9152987821 पर संपर्क करें.