लंबे समय से भारत टीबी की बीमारी का सामना कर रहा है. लेकिन हाल ही में आए डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, देश का टीबी फ्री होने का लक्ष्य पूरा होता नजर आ रहा है.
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हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत 30 सबसे ज्यादा टीबी के मरीज वाले देशों में ट्रीटमेंट कवरेज के मामले में शीर्ष पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उन सात देशों में शामिल है जहां 2023 में 80 प्रतिशत से अधिक उपचार कवरेज उपलब्ध है.
इसके साथ ही, भारत ने तपेदिक मरीजों के घर के संपर्क में रहने वालों और एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए निवारक चिकित्सा की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है.
उपचार कवरेज में वृद्धि
2023 में भारत में 12.2 लाख लोगों को निवारक चिकित्सा दी गई, जो 2022 में 10.2 लाख और 2021 में 4.2 लाख थी. हालांकि तपेदिक की दवाएं महंगी हैं और इसका उपचार दो साल तक चल सकता है, लेकिन सरकार मुफ्त दवाइयां उपलब्ध करवा रही है. रिपोर्ट के अनुसार, दवा-संवेदनशील तपेदिक के 89 प्रतिशत लोगों का उपचार सफल रहा, जबकि एक आम दवा रिफाम्पिसिन के प्रति प्रतिरोधी और बहु-प्रतिरोधी संक्रमण वाले मरीजों में यह आंकड़ा 73 प्रतिशत था.
2025 तक टीबी फ्री होगा देश
भारत का लक्ष्य 2025 तक टीबी फ्री होना है, जो वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले है. हालांकि, देश ने 28 लाख तपेदिक मामलों की सूचना दी, जो वैश्विक तपेदिक बोझ का 26 प्रतिशत है. भारत में अनुमानित 3.15 लाख तपेदिक से संबंधित मौतें भी हुईं, जो वैश्विक आंकड़े का 29 प्रतिशत है.
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मामलों की पहचान में सुधार
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अनुमानित मामलों और वास्तव में निदान किए गए मामलों के बीच का अंतर कम हो रहा है. भारत ने 2023 में 25.2 लाख मामलों की सूचना दी, जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 24.2 लाख थी.
तेजी से बढ़ रहा टीबी
WHO की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023 से टीबी फिर से सबसे बड़े इंफेक्शन के रूप में उभरा रहा है. इसने कोविड-19 को पीछे छोड़ दिया है. इस वर्ष लगभग 8.2 मिलियन लोगों को नए टीबी के मामलों का निदान हुआ, जो 2022 में 7.5 मिलियन की तुलना में ज्यादा है.
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