'दुनिया की कैंसर कैपिटल' बनने की राह पर भारत, देश में बिगड़ती सेहत का चौंकाने वाला सच!
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'दुनिया की कैंसर कैपिटल' बनने की राह पर भारत, देश में बिगड़ती सेहत का चौंकाने वाला सच!

भारत, जो कभी अपनी रिच संस्कृति और विविधता के लिए जाना जाता था, आज एक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है. नए आंकड़े बताते हैं कि भारत तेजी से 'दुनिया की कैंसर राजधानी' बनने की ओर बढ़ रहा है. 

'दुनिया की कैंसर कैपिटल' बनने की राह पर भारत, देश में बिगड़ती सेहत का चौंकाने वाला सच!

भारत, जो कभी अपनी रिच संस्कृति और विविधता के लिए जाना जाता था, आज एक चिंताजनक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है. एक नए अध्ययन के आंकड़े बताते हैं कि भारत तेजी से 'दुनिया की कैंसर राजधानी' बनने की ओर बढ़ रहा है. विभिन्न प्रकार के कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और यह वृद्धि भयावह दर से हो रही है.

इंडियन मल्टी-नेशनल हेल्थकेयर ग्रुप अपोलो हॉस्पिटल्स द्वारा जारी रिपोर्ट में पाया गया है कि देश भर में कैंसर और अन्य नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज (गैर-संक्रामक रोग) के तेजी से बढ़ते मामलों ने इसे अब 'दुनिया की कैंसर राजधानी' बना दिया है. लेखकों का कहना है कि यह रिपोर्ट उस खामोश महामारी को उजागर करने का प्रयास है, जिस पर हर भारतीय को प्राथमिकता के साथ कार्रवाई करने की जरूरत है.

हर साल 10 लाख मामले
बता दें कि भारत में हर साल दस लाख से अधिक नए मामले सामने आते हैं, लेकिन कैंसर की दर अभी भी डेनमार्क, आयरलैंड और बेल्जियम जैसे देशों से अधिक नहीं है, जहां दुनिया में कैंसर की दर सबसे अधिक है. वर्तमान में यह अमेरिका से भी कम है, जहां प्रति 100,000 लोगों पर 300 मामले सामने आते हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा 100 है.

महामारी विज्ञान में बदलाव
कुछ विशेषज्ञों द्वारा इसे 'महामारी विज्ञान में बदलाव' (epidemiological transition) कहा गया है, जिसके कारण यह स्थिति जल्द ही बदल सकती है. नई रिपोर्ट में पाया गया है कि वर्तमान में भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति प्री-डायबिटिक है, हर तीन में दो प्री-हाइपरटेंशन के शिकार हैं और दस में से एक व्यक्ति डिप्रेशन से जूझ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी और दिमाग से जुड़ी पुरानी बीमारियां अब इतनी व्यापक हो चुकी हैं कि वे 'गंभीर लेवल' पर पहुंच गई हैं.

तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मामले
कैंसर के मामलों की संख्या वैश्विक औसत से अधिक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, जोकि 2020 में 13.9 लाख से बढ़कर 2025 तक 15.7 लाख हो जाएगी. महिलाओं में कैंसर के सबसे आम रूप ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ओवेरियन कैंसर हैं. वहीं, पुरुषों में फेफड़े का कैंसर, मुंह का कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर ज्यादा पाए जाते हैं. 

पुरुषों में कैंसर का खतरा अधिक
लैंसेट ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पुरुषों में महिलाओं की तुलना में आमतौर पर 25% अधिक कैंसर होने का पता चलता है, लेकिन भारत इस ट्रेंड से अलग है, यहां महिलाओं में कैंसर का ज्यादा पता चल रहा है. इसके अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन और चीन की तुलना में भारत में कुछ कैंसर युवाओं को जल्दी प्रभावित कर रहे हैं. नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर के लिए औसत आयु 59 है, जबकि अमेरिका में 70, चीन में 68 और ब्रिटेन में 75 है.

कैंसर बढ़ने का कारण
कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे पर्यावरण और सोशिय-इकोनॉमिक फैक्टर का मिश्रण है, जैसे प्रदूषण का हाई लेवल, साथ ही लाइफस्टाइल और डाइट संबंधी आदतें. भारत में कैंसर के लगभग 40% मामले तंबाकू के ज्यादा उपयोग के कारण होते हैं, जो फेफड़े, मुंह और गले के कैंसर के खतरे को काफी बढ़ा देता है, जबकि खराब डाइट और शारीरिक गतिविधि की कमी 10% मामलों का कारण बनती है.

मोटापा और हाई बीपी की समस्या भी अधिक
मोटापे की दर (2016 में 9% से बढ़कर 2023 में 20% तक) और हाई ब्लड प्रेसर (2016 में 9% से बढ़कर 2023 में 13% तक) में वृद्धि के कारण देश भर में स्वास्थ्य सेवा संकट की चेतावनी भी देती है. इसके अलावा, प्री-डायबिटीज, प्रीहाइपरटेंशन और मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर तेजी से कम उम्र में प्रकट हो रहे हैं, जबकि भारतीयों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का खतरा ज्यादा रेशियो में पहुंच गया है.

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