Shefali Jariwala disease: मिर्गी से पीड़ित रहीं शेफाली जरीवाला दो साल पहले बिग बॉस 13 में कंटेस्टेंट के तौर पर दिखीं थीं. अब वह इस बीमारी से पूरी तरह ठीक हो चुकी हैं.
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Shefali Jariwala disease: 2002 में एक गाना आया था 'कांटा लगा'. ये ओरिजिनली 1972 में आई फिल्म 'समाधी' का हिस्सा था. इसे रीमिक्स किया गया था एक म्यूजिक वीडियो के लिए. ये वीडियो जमकर पॉपुलर हुआ. इस गाने में नजर आने वाली लड़की शेफाली जरीवाला रातों-रात स्टार बनने की सबसे शानदार उदाहरण हैं, लेकिन कांटा लगा गाने के बाद वो दर्शकों को ज्यादा दिखी नहीं. इसके पीछे एक गंभीर बीमारी वजह है. जिसके चलते वो इंडस्ट्री से गायब हो गई थीं. हालांकि वो दो साल पहले बिग बॉस 13 में कंटेस्टेंट के तौर पर दिखीं थीं.
खुद किया था अपनी बीमारी का खुलासा
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांटा लगा म्यूजिक वीडियो के बाद उन्होंने काम क्यों नहीं किया? इस बारे में शेफाली जरीवाला कहती हैं, 'जब मैंने कांटा लगा किया तो लोगों ने मुझसे पूछा कि मैंने और काम क्यों नहीं किया, अब मैं कह सकती हूं कि मिर्गी के दौरे की बीमारी के कारण मैं ज्यादा काम नहीं कर सकी. मुझे नहीं पता था कि मुझे अपना अगला दौरा कब पड़ेगा. यह 15 साल तक चला. आज मैं, नौ साल के इस दौरे से मुक्त हूं.'
शेफाली जरीवाला ने एक इंटरव्यू में भी बताया था कि मुझे 15 साल की उम्र में मिर्गी की बीमारी हो गई थी. मुझे याद है कि मेरे ऊपर पढ़ाई में अच्छा करने का बहुत ज्यादा प्रेशर था. स्ट्रेस और बेचेनी का कारण दौरे पड़ने की समस्या हो जाती थी. ये सभी चीज आपस में जुड़ी हुई है.' शेफाली जरीवाला बचपन से जिस 'मिर्गी' नाम की बीमारी की शिकार रहीं, उसकी वजह से वह इंडस्ट्री में काम नहीं कर पायीं, आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मिर्गी क्या है?
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जो ब्रेन सर्किट में असामान्य तरंगें पैदा करता है. दिमाग में गड़बड़ी के चलते इंसान को बार-बार दौरे पड़ते हैं. दौरा पड़ने पर दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर बुरी तरह लड़खड़ाने लगता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मिर्गी बहुत ज्यादा खतरनाक नहीं है, लेकिन शरीर के कई अंदरूनी रोग इसका कारण बन सकते हैं. पूरी दुनिया में तकरीबन 50 फीसद मामलों में मिर्गी के कारणों की पहचान नहीं हो पाई है.
मिर्गी के प्रकार
मिर्गी दो प्रकार की हो सकती है. आंशिक तथा पूर्ण. आंशिक मिर्गी में मस्तिष्क का एक भाग अधिक प्रभावित होता है, जबकि पूर्ण मिर्गी में मस्तिष्क के दोनों भाग प्रभावित हो जाते हैं.
मिर्गी के लक्षण
बीमारी को बढ़ावा देने वाले कारक मरीज की उम्र पर निर्भर करते हैं. नवजात शिशुओं के साथ जन्म दोष या डिलीवरी के समय ऑक्सीजन की समस्या के चलते ऐसा हो सकता है, जबकि वयस्कों में सिर पर चोट, इंफेक्शन या ब्रेन ट्यूमर मिर्गी को बढ़ावा दे सकते हैं. मिर्गी के दौरे के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि मस्तिष्क में गड़बड़ी पहले कहां से शुरू होती है और कितनी दूर तक फैलती है.
मिर्गी में मरीज को दौरे आना सबसे सामान्य लक्षण है.
मिर्गी के कारण
मायउपचार कहता है कि मिर्गी से पीड़ित लोगों में से लगभग आधे मरीजों में किसी विशेष कारण की पहचान नहीं होती. अन्य व्यक्तियों में विभिन्न कारकों के द्वारा इस बीमारी के हालात का पता लगाया जा सकता है. जैसे...
क्या है इलाज?
डब्ल्यूएचओ कहता हदै कि आमतौर पर 60-70 फीसद मामलों में दवाओं से मिर्गी का इलाज संभव है. मिर्गी के प्रकार को ध्यान में रखते हुए रोगी को तकरीबन 2-3 साल तक इसकी दवाओं का सेवन करना पड़ता है. कुछ मामलों में ही रोगी को जीवनभर इसकी दवाएं लेनी पड़ती हैं, जबकि कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जहां रोगी पर दवाओं का कोई असर नहीं होता है और ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर्स को सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है. इस बीमारी में विशेष तौर पर एपीलैप्सी सर्जरी ही एकमात्र उपाय रह जाता है.
मिर्गी से बचने के टिप्स (Tips to avoid epilepsy)
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नही है. यह सिर्फ आपको शिक्षित करने के लिए दी गई है.
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