खुशखबरी: कोरोना वैक्‍सीन बनाने में जो रेस में है सबसे आगे, उसके पहले चरण का ह्यूमन ट्रायल कामयाब
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खुशखबरी: कोरोना वैक्‍सीन बनाने में जो रेस में है सबसे आगे, उसके पहले चरण का ह्यूमन ट्रायल कामयाब

ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ जर्मन सेंटर फॉर इंफेक्‍शन कंट्रोल मिलकर कोरोना की जिस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, उसके पहले चरण के ह्यूमन ट्रायल कामयाब होने का दावा किया गया है. 

खुशखबरी: कोरोना वैक्‍सीन बनाने में जो रेस में है सबसे आगे, उसके पहले चरण का ह्यूमन ट्रायल कामयाब

नई दिल्‍ली: ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी और नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ जर्मन सेंटर फॉर इंफेक्‍शन कंट्रोल मिलकर कोरोना की जिस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, उसके पहले चरण के ह्यूमन ट्रायल कामयाब होने का दावा किया गया है. इसी वर्ष 23 अप्रैल से 21 मई के बीच पहले चरण के ट्रायल 1077 प्रतिभागियों पर किए गए. रिसर्चर्स का दावा है कि वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद सभी वालंटियर में कोरोना वायरस एंटीबॉडी बनी. यह शुरुआती नतीजे उत्साहवर्धक हैं.

इस रिसर्च में लगभग बराबर संख्या में महिलाएं और पुरुष शामिल थे. दावा किया जा रहा है कि वैक्सीन देने के 28 दिनों के अंदर लगभग सभी में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज बन गई थी. यह रिसर्च के शुरुआती नतीजे हैं. इसके बाद दूसरे चरण के ट्रायल किए जाएंगे, जो ज्यादा बड़े ग्रुप में किए जाते हैं.

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यह स्टडी ऐसे लोगों पर की गई जिन्हें कभी कोरोना वायरस नहीं हुआ था. 18 से 55 वर्ष के बीच की उम्र जिनकी थी और जो पूरी तरह स्वस्थ हैं.

ऑक्सफोर्ड की इस शुरुआती रिसर्च को लैंसेट जर्नल में प्रकाशित किया गया है. जर्नल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से यह कहा गया है कि दुनिया भर में 137 संस्थान वैक्सीन के ट्रायल पर काम कर रहे हैं.

जर्नल में कहा गया कि सफल वैक्सीन उसे माना जाएगा जो एक या दो टीके में इम्यूनिटी प्रदान कर पाए. बुजुर्ग लोगों पर और ऐसे लोगों पर जो बहुत बीमार हैं उन्हें इम्यूनिटी दे पाए और कम से कम 6 महीने तक एक डोज काम कर पाए.

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