आंवला फाइबर का अच्छा सोर्स होता है. एक तरफ जहां पर्याप्त मात्रा में फाइबर का सेवन कब्ज की समस्या में राहत दिलाता है वहीं अगर बहुत अधिक फाइबर का सेवन किया जाए तो कब्ज की दिक्कत और ज्यादा बिगड़ सकती है. इतना ही नहीं जिसे कब्ज की दिक्कत नहीं है वो भी अगर अधिक फाइबर ले तो उसे कब्ज हो सकता है. साथ ही में पेट फूलना और पेट में ऐंठन की भी दिक्कत हो सकती है.
चूंकि आंवले में एंटी-प्लेटलेट प्रॉपर्टीज पायी जाती है इसलिए अगर बहुत अधिक आंवले का सेवन किया जाए तो यह खून को पतला कर सकता है और ब्लड क्लॉटिंग को प्रक्रिया को रोक सकता है. जब हमें चोट लगती है या स्किन कट जाती है तो ब्लड क्लॉटिंग के कारण ही खून बंद हो जाता है. अगर खून पतला हो जाए तो ब्लड क्लॉट नहीं होगा. जिन लोगों को कोई ब्लीडिंग की बीमारी हो उन्हें भी आंवले का सेवन नहीं करना चाहिए.
वैसे तो कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि आंवला डायबिटीज का इलाज कर सकता है क्योंकि इसमें एंटी-डायबिटीज इफेक्ट होता है जो ब्लड ग्लूकोज लेवल को कम करता है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति को लो ब्लड शुगर की समस्या हो और वो इसके लिए दवा भी खा रहा हो तो ऐसे व्यक्ति को आंवला नहीं खाना चाहिए. क्योंकि आंवला उनके खून में शुगर के लेवल और अधिक कम कर देगा जिससे उसे व्यक्ति को हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है.
वैसे तो आंवला खाने से प्रेगनेंसी के दौरान कोई जटिलता हो सकती है इस बात को साबित करने के लिए कोई रिसर्च या वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं है. लेकिन गर्भावस्था में आंवला खाना पूरी तरह से सेफ है यह बात भी अब तक साबित नहीं हो पायी है. इसलिए बेहतर यही होगा कि गर्भवती महिलाएं आंवला खाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें. साथ ही अधिक मात्रा में खाने से कब्ज और डायरिया भी हो सकता है.
आंवले की तासीर ठंडी होती है और यह शरीर के तापमान को कम कर देता है. इसलिए अगर सर्दी-जुकाम होने पर आंवले का सेवन किया जाए तो यह लक्षणों को बेहतर बनाने की बजाए और बिगाड़ सकता है. लिहाजा सर्दी-जुकाम होने पर आंवले का सेवन त्रिफला के रूप में करें. जब गर्म पानी और शहद के साथ त्रिफला चूर्ण के तौर पर आंवले का सेवन किया जाता है तो इससे कोई दिक्कत नहीं होती.
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