कोरोना महामारी से मुक़ाबले में जारी जंग में एक वक्त था जब विपक्ष शासित कुछ राज्य सरकारें वैक्सीन की कमी के बहाने केंद्र को घेरने के ताक में रहती थीं, अब हाल ये है कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों से ये ब्यौरा मांग रहा है कि वो उसकी भेजी वैक्सीन का पूरा इस्त
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दिलीप तिवारी/नई दिल्ली : कोरोना महामारी से मुक़ाबले में जारी जंग में एक वक्त था जब विपक्ष शासित कुछ राज्य सरकारें वैक्सीन की कमी के बहाने केंद्र को घेरने के ताक में रहती थीं, अब हाल ये है कि स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों से ये ब्यौरा मांग रहा है कि वो उसकी भेजी वैक्सीन का पूरा इस्तेमाल कर पाईं या नहीं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कड़ी मेहनत से नई सुविधाएं जुटा कर कोरोना महामारी से मुक़ाबले में जारी जंग में उसे घेरने की कोशिश करने वाले तमाम राज्यों की बाजी पलट दी. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के मुताबिक गुरुवार तक देश में 22.45 करोड़ अतिरिक्त टीके उपलब्ध थे. सरकार को उम्मीद है कि वो नवंबर के महीने में वैक्सीन की करीब 31 करोड़ डोज की स्पलाई कर लेगी.
हालात ये हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्यों को उनकी मांग से कहीं ज्यादा वैक्सीन सप्लाई करने की स्थिति में है जबकि बहुत से राज्य ऐसे हैं जो केंद्र से मिली वैक्सीन का वक्त पर समुचित इस्तेमाल नहीं कर पा रहे. उनके लिए उस तेजी से वैक्सीन लगाना मुश्किल हो रहा है जिस रफ्तार से केंद्र के द्वारा उन्हें वैक्सीन की सप्लाई की जा रही है. दरअसल, ये कायापलट वैक्सीन निर्माताओं की समस्या, कच्चे माल की सप्लाई और प्रोडक्शन में आने वाली अड़चनों को समझने और उन्हें दूर करने में मिली सफलता की वजह से हो सका.
वैक्सीन निर्माण की राह में आने वाली चुनौतियों को स्वास्थ्य मंत्री श्री मंडाविया ने बहुत पहले ही समझ लिया था. दरअसल, ये तब की बात है जब स्वास्थ्य मंत्री बनने से पहले मंडाविया के पास रसायन और उर्वरक मंत्रालय जैसे विभाग थे. कोरोना महामारी की विभीषिका बढ़ने पर, तब देश में अचानक वैक्सीन की कमी दिखने लगी थी. इस मौके पर विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी की बात कर केंद्र पर निशाना साधना शुरू कर दिया. ऐसे वक्त में श्री मंडाविया ने वैक्सीन निर्माण की चुनौतियों की पहचान और उन्हें हल कराने में बड़ी भूमिका निभाई.
उन्होंने वैक्सीन निर्माण में कच्चा माल उपलब्ध कराने वाली फार्मा इंडस्ट्री के लोगों से बातचीत की. उनकी समस्याओं को समझा और अपने मंत्रालय की मदद से उन्हें तेजी से सुलझाया. उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि कच्चे माल की वजह से वैक्सीन निर्माण की रफ्तार पर कोई असर न पड़े. तब की गई मेहनत अब रंग लाने लगी है और हालात ये हो गए हैं कि केंद्र के पास वैक्सीन का बड़ा स्टॉक है.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने वैक्सीन निर्माण के मामले में देश की आत्मनिर्भरता को लेकर दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान, गुरुवार को ट्वीट भी किया.
Today, when 1.3 billion people of India have taken it upon themselves to make India Aatmanirbhar, we must think about ramping up domestic manufacturing of key ingredients for vaccines and medicines.
This is one frontier that India has to conquer: PM @NarendraModi ji pic.twitter.com/02Z4TP9pDu
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) November 18, 2021
प्रधानमंत्री ने हाल ही में दिए गए अपने बयान में बताया था कि देश किस तरह से वैक्सीन और दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के प्रोडक्शन को बढ़ा रहा है. इस क्षमता की बदौलत ही भारत सरकार 'हर घर दस्तक' के नाम से दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रही है, जिसका लक्ष्य वैक्सीन में आत्मनिर्भरता का लाभ, देश के हर घर तक पहुंचाना है और कोरोना महामारी को पूरी तरह से हराना है.
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