क्या आंखों की कॉर्निया में प्रवेश कर सकता कोरोना वायरस? ताजा स्टडी में हुआ खुलासा
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क्या आंखों की कॉर्निया में प्रवेश कर सकता कोरोना वायरस? ताजा स्टडी में हुआ खुलासा

शोधकर्ताओं को अभी यह पता लगाना बाकी है कि कॉर्निया (cornea) और उसके आसपास के अन्य ऊतक अप्रभावित रहते हैं या नहीं. 

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई: वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Washington University School of Medicine) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि आंखों में मौजूद कॉर्निया कोरोना वायरस (SARS-Cov-2) के संक्रमण का प्रतिरोध करता है. अन्य वायरस जैसे सिंप्लेक्स और जीका वायरस कॉर्निया को प्रभावित करते हैं, जबकि कोरोना वायरस यहां खुद को दोहराने में असमर्थ है. जर्नल सेल रिपोर्ट में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार शोधकर्ताओं को अभी यह पता लगाना बाकी है कि कॉर्निया और उसके आसपास के अन्य ऊतक अप्रभावित रहते हैं या नहीं. 

  1. आंखों में मौजूद कॉर्निया SARS-Cov-2 संक्रमण प्रतिरोध करता है
  2. अभी साबित नहीं कि सभी कॉर्निया प्रतिरोधी हो सकते हैं
  3. शोधकर्ताओं ने कहा कि अभी स्टडी शुरुआती स्तर में है

सभी कॉर्निया प्रतिरोधी हों साबित नहीं
रिपोर्ट के लेखक जोनाथन जे माइनर ने कहा, 'हमारे निष्कर्ष यह साबित नहीं करते हैं कि सभी कॉर्निया प्रतिरोधी हैं, लेकिन हमारे द्वारा जांच किया गया हर डोनर कॉर्निया कोरोना वायरस का प्रतिरोधी था. यह अभी भी संभव है कि लोगों के एक समूह में ऐसा कॉर्निया हो सकता है, जो वायरस के बढ़ने में मदद करते हों, लेकिन हमने जिनका अध्ययन किया, उनमें कोई भी SARS-CoV-2 को बढ़ने में मदद करने वाला नहीं था.'

कुछ रोगियों के आंखों में दिखते हैं लक्षण
जॉन एफ हार्डनेस में नेत्र और दृश्य विज्ञान विभाग के प्रोफेसर राजेंद्र एस आप्टे ने कहा, 'कुछ कोविड-19 रोगियों को आंखों के लक्षण मिलते हैं, जैसे नेत्रश्लेष्मलाशोथ (गुलाबी आंख), लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वायरल संक्रमण ही इसका कारण है. इसके दूसरे कारण हो सकते हैं.' उन्होंने कहा, 'कॉर्निया और कंजंक्टिवा को कोरोना वायरस के रिसेप्टर्स के रूप में जाना जाता है, लेकिन हमारे अध्ययनों में हमने पाया कि वायरस ने कॉर्निया में प्रतिकृति नहीं बनाई.'

शुरुआती स्तर में है स्टडी
शोधकर्ताओं ने कॉर्नियल ऊतक में प्रमुख पदार्थों का भी पता लगाया, जो वायरस के विकास को प्रोत्साहित या बाधित कर सकते हैं. निष्कर्ष में लेखकों ने बताया, 'वास्तव में हमारी स्टडी अभी शुरुआत में है. हमें आंखों सहित SARS-CoV-2 ट्रांसमिशन के सभी संभावित मार्ग को बेहतर तरीके से समझने के लिए ज्यादा क्लिनिकल स्टडी की आवश्यकता है.'

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