Young Women को होता है इन 3 तरह के Cancer का खतरा, भारतीय महिलाएं हो जाएं सतर्क
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Young Women को होता है इन 3 तरह के Cancer का खतरा, भारतीय महिलाएं हो जाएं सतर्क

Cancers In Young Women: कैंसर वैसे तो महिला और पुरुष दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, लेकिन यंग वूमेन को थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. आइए एक्सपर्ट से इसके बारे में जानते हैं.

Young Women को होता है इन 3 तरह के Cancer का खतरा, भारतीय महिलाएं हो जाएं सतर्क

What Are The 3 Types of Cancers Affecting Young Women: कैंसर एक लार्ज ग्रुप ऑफ डिजीज है जो किसी भी ह्यूमन ऑर्गन को प्रभावित कर सकता है. इसमें अबनॉर्मल सेल का ग्रोथ अनकंट्रोल्ड तरीके से होने लगता है, जो दूसरे अंगों में भी फैलने लगता है. कई बार ये जानलेवा भी साबित हो जातै है. वैसे तो कैंसर महिला और पुरुष किसी को भी हो सकता है, लेकिन आजकल यंग वूमेन को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि उनमें में काफी ज्यादा मामले देखे जा रहे हैं.

मौत का बड़ा कारण है कैंसर
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक कैंसर दुनियाभर में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है, साल 2018 में 9.6 मिलियन लोगों ने इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाई थी. यानी हर 6 में से एक मौत कैंसर की वजह से हुई थी. पुरुषों में लंग, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, स्टोमेक और लिवर कैंसर कॉमन है, वहीं महिलाओं की बात करें कुछ प्रकार के कैंसर काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं.

यंग वूमेन में सबसे कॉमन कैंसर
कैंसर कई बार युवा महिलाओं को भी अपना शिकार बनाता है सीके बिड़ला अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. मंदीप सिंह मल्होत्रा (Dr Mandeep Singh Malhotra) ने बताया कि यंग वूमेन को 3 तरह का कैंसर का सामना करना पड़ सकता है. इससे बचने के लिए आपको सही जानकारी होना बेहद जरूरी है.
 

1.ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer)
यह विश्व स्तर पर और भारत में युवा महिलाओं में लीडिंग कैंसर है.खास तौर से, हमारे देश में स्तन कैंसर के मामलों का सबसे अधिक प्रभावशाली दौर पश्चिम की तुलना में लगभग एक दशक पहले होता है. यानी यहां ये बीमारी आमतौर पर 45 साल की उम्र के आसपास होती है, जबकि वेस्टर्न कंट्रीज में ये 50 के दशक के अंत या 60 के दशक में अधिक आम है.

 

2. सर्वाइकल कैंसर ( Cancer): 
हालांकि पहले युवा महिलाओं में सबसे कॉमन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर की दर अब कई वजहों से कम हो गई है. बेहतर स्वच्छता, सैनेटरी पैड के व्यापक उपयोग और एचपीवायरस टीके के बढ़ते इस्तेमाल ने इस पॉजिटिव ट्रेंड में योगदान दिया है. हालांकि ये अभी भी चिंता का विषय है, सर्वाइकल कैंसर अब घटनाओं के मामले में स्तन कैंसर से पीछे हैं.
 

3. ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer): 
इस प्रकार का कैंसर युवा महिलाओं के लिए एक अहम चुनौती पेश करता है क्योंकि इसका अर्ली डाइगनोसिस करना मुश्किल होता है. इसके अलावा, जेनेटिक फैक्टर्स एक भूमिका निभाते हैं, BRCA जीन म्यूटेशन के साथ कभी-कभी हेरेडिटरी ब्रेश और अंडाशय कैंसर सिंड्रोम होता है.

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