अपने पेशे में रहते हुए कितनी कुर्बानियां देती हैं Nurses, जानिए खुद उनकी जुबानी
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अपने पेशे में रहते हुए कितनी कुर्बानियां देती हैं Nurses, जानिए खुद उनकी जुबानी

Role of Nurses In Healthcare: जब आप अस्पताल में भर्ती होते हैं तो डॉक्टर के असाला नर्सिंग स्टाफ के योगदान को समझ पाते हैं, लेकिन क्या आप इस बात से वाकिफ हैं कि नर्सेज कितना ज्यादा सैक्रिफाइस करती हैं.

अपने पेशे में रहते हुए कितनी कुर्बानियां देती हैं Nurses, जानिए खुद उनकी जुबानी

What Are The Extraordinary Sacrifices Made By Nurses: हेल्थ केयर सिस्टम की कल्पना हम बिना नर्सेस के कर ही नहीं सकते, ये वो पेशा है जिसमें स्किल के साथ-साथ इमोशनल टच की भी काफी अहमियत है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नर्सेस की लाइफ कितनी चैलेंजिंग होती है, कैसे उन्हें वर्क लाइफ बैलेंस करना पड़ता है. ऐसे में हम नर्सेज का खुद का एक्सपीरिएंस पता होना चाहिए, कि वो अपने प्रोफेशन के लिए कितना बलिदान देती हैं.

पेशेंट के लिए त्याग करती हैं नर्सेज

सीके बिड़ला अस्पताल में सीनियर मैनेजर इंदु मग्गू (Indu Maggo) के मुताबिक नर्सेज हेल्थकेयर इंडस्ट्री का एक अहम और जरूरी हिस्सा हैं. नवजात शिशुओं की देखभाल से लेकर बुजुर्गों तक समाज पर उनका योगदान की हमेशा तारीफ की जाती है. नर्सिंग एक ऐसा पेशा है जिसमें समर्पण, सहानुभूति, ईमानदारी और आत्म-बलिदान की जरूरत होती है, जो हाल ही में कोरोना वायरस महामारी के दौरान खास तौर से देखा गया था,

नर्सेज कई बार ऐसी शिफ्ट में काम करती हैं जो काफी चैलेंजिंग होता है, कभी-कभी तो ज्यादा घंटों तक काम करना पड़ता है जिससे पेशेंट की जान बचाई जा सके. लंबे समय तक खड़े रहने की मजबूरी कई बार नर्सेज की हेल्थ पर बुरा असर डालती है. इससे स्लीप पैटर्न डिस्टर्ब होता है, और फिर वर्क-लाइफ बैलेंस मेंटेन करना मुश्किल हो जाता है. नर्सेज को हर किसी का ख्याल रखना पड़ता है, भले ही पेशेंट कितना भी खतरनाक संक्रामक रोग से पीड़ित क्यों न हो. कोविड के दौरान नर्सेस को कई दिनों यहां तक की महीनों तक अपने परिवार से दूर रहना पड़ा था.

नर्सेज को 'पेशेंट फर्स्ट' की पॉलिसी पर चलना पड़ता है जिसकी वजह से अक्सर भोजन करने के वक्त नहीं मिलता. कई बार नर्सेस को वर्क प्लेस में होने वाली हिंसा का भी सामना करना पड़ता है. इसकी वजह से जॉब को लेकर डिससैटिसफैक्श, मानसिक दबाव, इमोशनल स्ट्रेस और लो फील होने की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

मल्टीटास्किंग करनी पड़ती है

फोर्टिस एस्कॉर्ट, ओखला, नई दिल्ली में आईसीयू नर्सिंग इंचार्ज शिनी जैसन  (Shiny Jaison) ने कहा कि हेल्थकेयर सिस्टम में तकनीकी विकास लगातार हो रहा है. मेडिकल टीम के लेडर को डारेक्टली पेशेंट से बात करनी चाहिए कि उनकी जरूरत क्या है. उन्होंने खुद साइन लैंग्वेज डिजाइन किया है जिससे उन पेशेंट को मदद मिल सके जो अपनी फीलिंग या परेशानी को खुदकर एक्सप्रेस नहीं कर पाते. नर्स को पेशेंट, डॉक्टर, स्टाफ और एटेंडेंट के बीच कॉन्डिनेशन बनाए रखना पड़ता है जो ये मुश्किल टास्क है. कई बार नई केस स्टडी को पढ़ने के लिए टाइम निकालना पड़ता है जिससे पर्सनल लाइफ काफी एफेक्ट हो रही है. कोविड-19 महामारी के दौरान उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. इन सभी चुनौतियों की वजह से नर्सेस को काफी सम्मान की नजरों से देखा जाता है.

नर्सेज के बिना हेल्थकेयर की कल्पना नहीं हो सकती

फोस्टिस एस्कॉर्ट ओखला, नई दिल्ली में डायरेक्ट (ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट एंड ऑर्थोपेडिक) डॉ. अमन दुआ (Dr. Aman Dua) का मानना है कि नर्सेस हमेशा से हेल्थकेयर इकोसिस्टम की अहम पिलर रही है. वो एक प्राइमरी केयर प्रोवाइडर, हेल्थ एजुकेटर, पेशेंट एडवोकेट और एक रिसर्चर्स का रोल निभाती हैं. जो लॉन्ग वर्किंग ऑवर्स की वजह से चुनौतियों का सामना करती है, उनकी जिंदगी का रास्ता बेहद मुश्किल होता है, जिससे लिए वो कई तरह के बलिदान देती हैं. इन सभी चीजों के बावजूद वो अपने फर्ज को अच्छी तरह निभाती हैं.

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