एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज अब तक वैज्ञानिकों ने नहीं खोजा है, इसलिए जरूरी है कि हम इसको लेकर जागरूक रहें और जितना मुमकिन हो, बचने की कोशिश करें.
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Fourth Generation HIV Test: हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाने वाला विश्व एड्स दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि यह एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने और इस बीमारी से लड़ रहे लाखों लोगों को सशक्त बनाने का दिन है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति का जीवन खत्म नहीं होता, बल्कि सही जानकारी, उपचार और सपोर्ट से इसे बेहतर बनाया जा सकता है. आज हम इसके 4th जनरेशन टेस्ट की बात करेंगे.
एचआईवी का अर्ली डिटेक्शन
एचआईवी संक्रमण की जल्दी पहचान और समय पर इलाज से मरीज की जिंदगी बचाई जा सकती है और संक्रमण के फैलाव को भी रोका जा सकता है. 1985 में एचआईवी स्क्रीनिंग की शुरुआत के बाद से अब तक इस तकनीक में कई सुधार हुए हैं. खासतौर पर चौथी पीढ़ी के टेस्ट ने एचआईवी की पहचान को और अधिक सटीक और तेज बना दिया है. ये टेस्ट वायरस के शुरुआती संकेत (जैसे पी-24 एंटीजन और एचआईवी-1 व 2 एंटीबॉडी) को पहचानने में सक्षम हैं.
क्या है फोर्थ जेनेरेशन एचआईवी टेस्ट?
मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार माइक्रोबायोलॉजिस्ट और मॉलिक्यूल बायोलॉजिस्ट डॉ. आर लक्ष्मीप्रिया ने बताया कि 4th जनरेशन के एचआईवी स्क्रीनिंग टेस्ट में एचआईवी-1 और एचआईवी-2 एंटीबॉडी के साथ-साथ पी-24 एंटीजन की पहचान की जाती है. पी-24 एंटीजन एचआईवी संक्रमण के शुरुआती चरणों में पाए जाते हैं, जो वायरस के संपर्क में आने के लगभग 14 दिनों के भीतर पता लगाए जा सकते हैं. इन टेस्ट्स ने 'डायग्नोस्टिक विंडो' को 4-6 हफ्तों से घटाकर केवल 2 हफ्ते कर दिया है. यह टेस्ट विशेष रूप से तीव्र एचआईवी संक्रमण और पहले से मौजूद संक्रमण की पहचान करने में मददगार साबित हुआ है.
एचआईवी स्क्रीनिंग की सलाह
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, एचआईवी स्क्रीनिंग गर्भवती महिलाओं, ब्लड डोनर, समलैंगिकों, सेक्स वर्कर्स, नशा करने वालों, यौन संचारित रोगों (STD) से ग्रस्त मरीजों और टीबी के मरीजों के लिए आवश्यक मानी जाती है. यदि संक्रमण के संदेह का समय 14 दिनों से पहले का हो, तो एचआईवी-आरएनए पीसीआर टेस्ट किया जा सकता है. यह टेस्ट संपर्क के 5-10 दिनों के भीतर संक्रमण की पहचान करने में सक्षम है.
झूठे नेगेटिव रिपोर्ट की संभावना और विंडो पीरियड
अगर कोई व्यक्ति एचआईवी निगेटिव रिपोर्ट पाता है, तो उसे विंडो पीरियड के दौरान झूठी नेगेटिव रिपोर्ट की संभावना के बारे में जानकारी देना आवश्यक है. मरीजों को 4 हफ्ते के बाद और फिर 3 महीने तक नियमित अंतराल पर दोबारा टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है.
काउंसलिंग और गोपनीयता
एचआईवी टेस्ट से पहले और बाद में प्रोफेशनल काउंसलर्स द्वारा सलाह बेहद जरूरी है. रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखना और मरीज को उपचार, सावधानी और भविष्य की देखभाल के बारे में जानकारी देना महत्वपूर्ण है. 4th जनरेशन के टेस्ट ने एचआईवी संक्रमण की शुरुआती पहचान को आसान और सटीक बनाया है. यह तकनीक उपचार की शुरुआत और संक्रमण की रोकथाम में अहम भूमिका निभा रही है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.