पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होता है थायराइड, जानें कारण और बचाव
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पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होता है थायराइड, जानें कारण और बचाव

एसआरएल डाएग्नोस्टिक्स की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, कुल आबादी की बात करें तो 20 फीसदी महिलाओं को थायॅराईड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाया गया, जबकि पुरूषों में यह संख्या 15 फीसदी थी. वास्तव में 31 से 45 आयुवर्ग की 18 फीसदी आबादी थॉयराईड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाई गई है.

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली : एक अनुमान के अनुसार दुनिया भर में 20 करोड़ लोग थायराइड, डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं में थॉयराईड डिसऑर्डर की संभावना पुरूषों की तुलना में अधिक होती हैं.

इस उम्र में ज्यादा लोग होते हैं शिकार
एसआरएल डाएग्नोस्टिक्स की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, कुल आबादी की बात करें तो 20 फीसदी महिलाओं को थायॅराईड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाया गया, जबकि पुरूषों में यह संख्या 15 फीसदी थी. वास्तव में 31 से 45 आयुवर्ग की 18 फीसदी आबादी थॉयराईड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाई गई है. उत्तरी भारत में सबसे बड़ी संख्या में लोग थॉयराईड एंटीबॉडीज के लिए पॉजिटिव पाए गए हैं. 

कहां होती है थायराइड ग्रंथि
थॉयराईड डिसऑर्डर का असर थायराइड ग्रंथि पर पड़ता है, जो एडम्स एप्पल के नीचे गर्दन के सामने वाले हिस्से में स्थित तितली के आकार का अंग है. थॉयराईड ग्रंथि द्वारा बनाए गए एवं संग्रहित किए गए हॉर्मोन शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं. ये हॉर्मोन शरीर की मैटोबोलिक रेट, कार्डियक एवं डाइजेस्टिव फंक्शन्स (दिल एवं पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली), दिमाग के विकास, पेशियों के नियन्त्रण, हड्डियों के रखरखाव एवं व्यक्ति के मूड को विनियमित करते हैं.

एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के टेक्नोलॉजी एवं मेंटर (क्लिनिकल पैथोलोजी) विभाग के अध्यक्ष डॉ. अविनाश फड़के ने कहा, "थॉयराईड ग्रंथि से दो मुख्य हार्मोन बनते हैं जिन्हें थॉयरॉक्सिन या टी4 और टी3 कहा जाता है. दिमाग में स्थित पियूष ग्रंथि थॉयराईड स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन- टीएसएच बनाती है जो टी4 और टी3 की मात्रा पर नियन्त्रण रखता है, इस पर निगरानी बनाए रखता है."

लिंग असमानता की बात करते हुए डॉ. फड़क ने कहा, "पुरूषों की तुलना में महिलाओं का शरीर हॉर्मोनल बदलाव के लिए अधिक संवेदनशील और अधिक प्रतिक्रियाशील होता है. सभी महिलाओं को अपने पहले एंटीनेटल विजिट के दौरान टीएसएच स्तर की जांच करानी चाहिए, गर्भावस्था से पहले तथा गर्भावस्था की पुष्टि होने के बाद भी तुरंत स्क्रीनिंग की जानी चाहिए."

ऐसे बचें-

- स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए फाइबर से समृद्ध और कम वसा वाले आहार लें.

- कुछ न कुछ शारीरिक गतिविधि करते रहें.

- तनाव से थायराइड विकारों को बढ़ने का मौका मिलता है, इसलिए तनाव से बचने की कोशिश करें.

इन चीजों को आज ही कहिए हां

हरी पत्तीदार सब्जियां:- अपने भोजन में रोज हरी पत्तीदार सब्जियां और सलाद का इस्तेमाल करें क्योंकि ये मैग्नेशियम का बेहतरीन स्रोत है. इसमें मिनरल भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. यह शरीर की प्रक्रिया में अहम रोल निभाता है.

नट्स:- अपने भोजन में काजू, बादाम, और पंम्पकीन के बीज का इस्तेमाल करें क्योंकि यह आयरन और सिलीनियम का बढ़िया स्रोत है. जो थाइरॉइड हेल्थ के लिए लाभदायक है.

समुद्री भोजन:- अगर आप समुद्री भोजन करते हैं तो थाइरॉइड हेल्थ में सुधार होगा. क्योंकि समुद्री भोजन में आयोडीन, मिनरल पाया जाता है यह थाइरॉइड के फंक्शन को मजबूत करता है. मछली, झींगा और समुद्री शैवाल आयोडीन का प्रमुख स्रोत है. 

नमक:- उचित तरीके से फंक्शन करने के लिए थाइरॉइड को आयोडीन की जरूरत होती है. इसलिए आप आयोडाइज्ड नमक का खाने में इस्तेमाल करें.

अंडा:- अंडा सिलीनियम का बेहतरीन स्रोत है. मिनरल थाइरॉइड हार्मोन T4 को T3 में रूपांतरित करता है.

 

इनपुटः  IANS

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