मजदूरों को लेकर काम करने वाली एक संस्था (एनजीओ) की सूचना के आधार पर कांचीपुरम और वेल्लोर के उपजिलाधिकारियों ने लड़की काटने वाली फैक्ट्री का मुआयना किया.
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सिद्धार्थ एमपी, नयी दिल्ली : सरकार तो लगातार दावा करती है कि देश से बंधुआ मजदूरी से मुक्ति दिला दी गई है, लेकिन आज भी देश के कुछ हिस्सों से इसकी खबरें आती रहती हैं. तमिलनाडु के कांचीपुरम और वेल्लोर जिला से 42 बंधुआ मजदूरों को लकड़ी काटने वाली फैक्ट्री से बुधवार को आजाद कराया गया. इस काम को एक एनजीओ की मदद से अंजाम दिया गया. पीड़ितों ने भूख से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है.
मजदूरों को लेकर काम करने वाली एक संस्था (एनजीओ) की सूचना के आधार पर कांचीपुरम और वेल्लोर के उपजिलाधिकारियों ने लड़की काटने वाली फैक्ट्री का मुआयना किया. दोनों ही अधिकारी वहां की वास्तविक स्थिति देखकर चौंक गए.
सिर्फ कांचीपुरम से 28 लोगों को आजाद कराया गया. इनमें आठ परिवार के 19 बच्चे शामिल थे. इन्हें मुक्त कराने के बाद संबंधित विभागीय अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई. इन मजदूरों में दो से 15 वर्ष के उम्र के मजदूरों की संख्या सर्वाधिक थी. इन्हें नौ हजार से लेकर 25 हजार रुपए तक एडवांस के तौर पर दिए गए थे.
इसके अलावा वेल्लोर के पारुवामेदू गांव से 14 बंधुआ मजदूरों का आजाद कराया गया. इनमें पांच परिवार के छह बच्चे शामिल थे. पीड़ितों ने फैक्ट्री के मालिक पर भूख से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. साथ ही अधिकारियों के खिलाफ भी जमकर भड़ास निकाला.
सभी पीड़ितों को बंधुआ मजदूरी से आजाद कराने के बाद फैक्ट्री मालिक के खिलाफ जांत जारी है.