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आगरा: मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम (Lord Ram) ने समुद्र को पार करने के लिए पत्थरों का पुल बनावाया था. नल-नील ने राम नाम लिखकर समुद्र में पत्थर तैरा दिए थे. ऐसे ही पत्थर का एक रूप आगरा (Agra) में यमुना नदी (Yamuna River) में मिला है. जिससे यहां के लोगों में आस्था का सैलाब फूटा पड़ा है और पत्थर को देखने के लिए सैकड़ों की तादाद में भक्त इकट्ठा हो गए हैं. लोग यहां राम नाम का जाप कर रहे हैं.
आगरा में एत्माद्दौला क्षेत्र के नुनिहाई पंचायत चौतरा के पास रहने वाले एक युवक सनी, जो अपने साथियों के साथ बुधवार को यमुना नदी में नहाने के लिए गया था. नदी में नहाते समय सनी को एक पत्थर पानी की सतह के ऊपर तैरता हुआ दिखाई दिया.
इसे देखकर सनी को अचंभा हुआ और जब उसने नजदीक जाकर देखा तो पत्थर काफी भारी था. पानी की सतह पर इतने भारी पत्थर को तैरता देख वह उसे अपने साथ घर ले आया. घर पहुंचकर सनी ने पास की दुकान पर जाकर पत्थर का वजन करवाया तो उसका वजन करीब 8 किलो 900 ग्राम निकला.
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घर पहुंचकर जब सनी ने नदी में पत्थर तैरने की बात अपने परिजनों की बात बताई तो सभी लोग इसे मजाक समझने लगे. पत्थर तैरने की हकीकत को लोगों को दिखाने के लिए सनी ने एक बड़े बर्तन में पानी भरकर उस पत्थर को डाला. जिसके बाद वह पत्थर पानी में तैरने लगा. पानी में पत्थर के तैरते देख लोगों के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई. फिर पानी में पत्थर के तैरने की खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई. तैरने वाले पत्थर को देखने के लिए देर रात तक लोगों की भीड़ इकट्ठा रही.
नुनिहाई बस्ती में रहने वाले लोगों का मानना है कि यह उन्हीं पत्थरों में से एक पत्थर है, जो पत्थर नल-नील ने लंका पर चढ़ाई के पहले समुद्र पर पुल बनाने में इस्तेमाल किए थे. लोग इस पत्थर को भगवान रूप मानकर जय श्री राम के नारे लगा रहे हैं.
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साइंस के अनुसार, ज्वालामुखी के लावा से फुटकर निकलने वाले पत्थर पानी में तैरते हैं. जिन्हें 'प्यूमाइस स्टोन' कहा जाता है. इसी पत्थर को पानी में तैरने वाला पत्थर कहते हैं.
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